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फैक्ट चेक: बदायूं पुलिस के जवानों ने शव को दिया कंधा, नहीं मिली एंबुलेंस

सोशल मीडिया में एक तस्वीर वायरल है। इस तस्वीर में पुलिस के दो जवान एक शव को कंधों पर ले जा रहे हैं। दावे के मुताबिक शव को एम्बुलेंस नहीं मिली जिस वजह से बदायूं पुलिस के जवान उसे कंधे पर ले गए। हालाँकि पड़ताल में ये दावा गलत है, ये तस्वीर काफी पुरानी है और इसका बदायूं से भी सम्बन्ध नहीं हैं।

कोरोना संक्रमण काल में लोगों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कहीं ऑक्सीजन की कमी है तो कहीं दवाइयों की। कहीं लोगों को एम्बुलेंस ही नहीं मिलती। इस बीच सोशल मीडिया में एक तस्वीर वायरल है। आम आदमी पार्टी के कार्यकर्त्ता मोहम्मद हैदर ने इसे ट्विट करते हुए व्यंग्य शैली में लिखा है कि यह नाइजीरिया के बदायूँ जनपद में एसआई प्रशांत कुमार सिंह है जो इस म्रत शरीर को एम्बुलेंस के अभाव में अपने कन्धों पर अन्तिम विदाई के लिए लेकर जा रहे हैं। कोरोना आपदा में बाबा जी के नाइजीरिया की हालत को यह चित्र बिना कुछ बोले भी बहुत कुछ बोल रहा है।

प्रतापगढ़ जिले की रामपुर खास विधानसभा सीट से कांग्रेस की विधायक आराधना मिश्रा ‘मोना’ ने इस तस्वीर को साझा करते हुए लिखा है कि राज्य सरकार जिन एम्बुलेंस का दावा करती है वो कहाँ हैं, भाजपा मरे हुए लोगों की इज्जत लूट रही है। एक पत्रकार योगेन्द्र विश्वास ने तस्वीर को साझा करते हुए लिखा, ‘जब कोई साथ ना खड़ा हो तो पुलिस खड़ी होती है। पुलिस, ये भी करती है। फोटो बदायूं की है। एसआई प्रशांत के सिंह और उनकी टीम को साधुवाद’। उन्होंने वो किया, जो अपनों ने करने से मना कर दिया।’

जावेद चौधरी नाम के शख्स ने लिखा, ‘उत्तर प्रदेश की मेडिकल व्यवस्था को सुधारते हुए एसआई प्रशांत कुमार सिंह बदायूं। क्या अभी भी कहेंगे योगी आदित्यनाथ जी कि प्रदेश में कोरोना से लड़ने के लिए सभी उपकरण भरपूर मात्रा में। कब तक धोखे में रखेगी यह भाजपा सरकार।

आनंद प्रकाश नाम के एक शख्स इस इस तस्वीर को साझा करते हुए लिखा है, ‘आत्मनिर्भर भारत मोदी जी का एस आई प्रशांत कुमार सिंह बदायूं। चित्र में बदायूं के एसआई प्रशांत कुमार सिंह और उनके थाने के कांस्टेबल उनके साथ एक लावारिस शव को अपने कंधे पर उठाकर अंतयोष्टि के लिए ले जा रहे हैं। देश वैश्विक बीमारी से गुजर रहा है ! प्रदेश के मुखिया की नाकामी!

सच्चाई क्या है?

सोशल मीडिया में वायरल यह तस्वीर बदायूं की नहीं हैं। बदायूं पुलिस ने इस पर स्पष्टीकरण जारी करते हुए लिखा है कि जनपद मे इस प्रकार की कोई घटना प्रकाश मे नही आई है, फोटो मे दर्शाये गये पुलिसकर्मी ने शीतकालीन वर्दी पहनी है, यह फोटो कई माह पुरानी है। अतः इस घटना को वर्तमान समय का बताकर कृपया भ्रामक ट्वीट न करें। इस घटना का जनपद बदायूं से कोई संबंध नही है।

असल में यह तस्वीर बदायूं की नहीं, फतेहपुर सीकरी की है। पुलिसकर्मी सचिन कौशिक ने इस तस्वीर का सच बताते हुए लिखा है कि जिन तस्वीरों को बदायूँ का बताया जा रहा है, वो आगरा के थाना फतेहपुर सीकरी की हैं और पिछले वर्ष सर्दियों की हैं। ये तस्वीरें कोविड-19 की भी नहीं बल्कि उससे पूर्व की हैं। उन्होंने यह भी लिखा है कि एसआई प्रशांत व कांस्टेबल अमन शव को मोर्चरी ले जाने के लिए गाड़ी तक कंधे पर लाए थे न कि अंतिम संस्कार के लिए।

इसके अलावा भी कई लोग इस तस्वीर को बदायूं का बताते हुए प्रदेश सरकार की आलोचना कर रहे हैं। साथ ही कुछ लोग बदायूं पुलिस की प्रशंसा भी कर रहे हैं। हालाँकि यह तस्वीर पिछले साल की है और बदायूं की नहीं हैं

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