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यूपी में पंचायत चुनाव ड्यूटी में जान गंवाने वाले शिक्षक-कर्मचारियों के परिवार को दिए जाएंगे 30-30 लाख रुपए

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में हुये पंचायत चुनाव के दौरान जान गंवाने वाले शिक्षकों के लिये योगी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत मृत शिक्षकों के परिजनों को 30 लाख रुपये की आर्थिक मदद का एलान किया गया है। चुनाव आयोग की गाइडलाइन में बदलाव कर ड्यूटी पीरियड को 30 दिन माना जाएगा।

सोमवार को योगी कैबिनेट की बैठक में काफी मंथन और सलाह मशविरे के बाद सरकार ने ने ये तय किया कि निर्वाचन ड्यूटी के 30 दिन के अंदर अगर किसी कर्मचारी की मौत हुई है तो उसके परिवार वालों को 30 लाख रुपये दिए जाएंगे। उसके परिवार को आर्थिक मदद का आधार कर्मी की कोविड-19 की किसी भी तरह की पॉजिटिव रिपोर्ट, ब्लड रिपोर्ट, सीटी स्कैन आदि को माना जाएगा। हालांकि सरकार ने अभी ये नहीं बताया कि चुनाव ड्यूटी में कितने शिक्षकों और कर्मचारियों की मौत हुई है लेकिन सरकार का अनुमान है कि मृतक आश्रितों की संख्या 1200 तक हो सकती है।

कैबिनेट ने तय किया है कि कोरोनाकाल में जिन बच्चों ने अपने माता-पिता दोनों या कमाई करने वाले अभिभावक को खोया है, उन्हें 4 हजार रुपये प्रतिमाह की आर्थिक मदद दी जाएगी। मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के अंतर्गत अनाथ हुई लड़कियों की शादी के लिए 1 लाख 1 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी। क्लास 9 से ऊपर या व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त कर रहे 18 साल तक के बच्चों को टैबलेट/लैपटॉप भी दिया जाएगा।

इससे पहले उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा ने 16 मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखकर कहा कि प्रदेश के सभी 75 जिलों में पंचायत चुनावों ड्यूटी करने वाले 1,621 शिक्षकों, अनुदेशकों, शिक्षा मित्रों और कर्मचारियों की कोरोना वायरस संक्रमण से मौत हुई है।

जवाब में बेसिक शिक्षा परिषद मंत्री सतीश द्विवेदी ने कहा था कि चुनाव ड्यूटी के दौरान सिर्फ तीन शिक्षकों की मौत हुई है। बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘शिक्षक संघ ने जो सूची दी है उनमें शामिल सभी लोगों की मौत को चुनाव ड्यूटी के दौरान हुई मौत नहीं माना जा सकता क्योंकि हमारे पास इसके लिए कोई निर्धारित पैमाना नहीं है। इसके अलावा हमारे पास इसका कोई ऑडिट भी नहीं है। कोई यह कैसे बता सकता है कि वे कब संक्रमित हुए।’

विभाग की तरफ से जारी प्रेस नोट में कहा गया कि पंचायत चुनाव में ड्यूटी का वक़्त सिर्फ़ उतना ही माना जाता है जब कोई कर्मचारी चुनाव के काम के लिए निकलता है, ट्रेनिंग में जाता है और काम ख़त्म होने के बाद अपने घर चला जाता है। परिषद का कहना है कि इसलिए इस टाइमिंग के हिसाब से पंचायत चुनाव में सिर्फ़ 3 शिक्षकों की मौत हुई है।

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