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सुपुर्द-ए-खाक हुए उस्ताद राशिद खान, कोलकाता में हुआ था निधन

बदायूं। सहसवान-रामपुर घराने के शास्त्रीय गायक उस्ताद राशिद खान को गुरुवार को सुपुर्द-ए-खाक किया गया। इस मौके पर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। उस्ताद राशिद खान का मंगलवार को कोलकाता में निधन हो गया था। वह काफी समय से प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित थे। उनका पार्थिव शरीर कोलकाता से बदायूं लाया गया।

शास्त्रीय गायक उस्ताद पद्मभूषण राशिद खान ने नौ जनवरी को कोलकाता के एक अस्पताल में आखिरी सांस ली थी। उनके निधन के बाद बदायूं में शोक की लहर है। निधन के बाद उनके परिवार के लोग एवं उनके चाहने वाले गम में डूबे रहे। बदायूं जिले के मोहल्ला मोहल्ला कबूलपुरा निवासी राशिद खान का पार्थिव शव कोलकाता से बदायूं लाया गया। राशिद खान की अंतिम इच्छा थी कि उनके निधन पर उनका दफिना पिता की कब्र के बराबर में किया जाये। जनाजे की नमाज मोहल्ला कबूलपुरा की पीरजियों वाली मस्जिद में की गई। उनका पार्थिव शरीर बदायूं पहुंचते ही उनके अंतिम दर्शन को चाहने वाले आवास पहुंचे। उनके घर टीएसी सांसद नदीमउल हक, सपा के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव भी पहुंचे। जिला प्रशासन की ओर से उन्हें गार्ड ऑफ आनर दिया गया। डीएम मनोज कुमार संग प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे।

40 साल पहले कोलकता में बस गए थे
उस्ताद पद्मभूषण राशिद खान का जन्म एक जुलाई 1968 को शहर के मोहल्ला कबूलपुरा में हुआ था। इनके पिता का नाम हामिद रजा एवं माता का नाम सादरी बेगम था। इनका परिवार रामपुर-सहसवान घराने से ताल्लुक रखता था। राशिद खान के नाना सहसवान रामपुर घराने के पद्मभूषण उस्ताद निसार हुसैन खान थे। इन्हीं से उन्होंने छह साल की उम्र में संगीत की शिक्षा ली। करीब 10 साल की उम्र में ही वह उस्ताद निसार खान के साथ कोलकाता चले गए थे और वहीं आईटीसी संगीत रिसर्च अकादमी में संगीत की तालीम ली। बाद में उन्होंने वहीं पर शादी कर ली। उनका बेटा अरमान खान, बेटी सोहा खान, साउना खान, पत्नी ज्योता वासु खान परिवार संग कोलकाता में रहते हैं। हालाँकि उन्होंने कभी बदायूं से नाता नहीं तोडा।

अपने बेटे और पत्नी के साथ राशिद खान

शहर के कबूलपुरा मोहल्ला में पुश्तैनी मकान के एक हिस्से में रहने वाले फुफेरे भाई दानिश बदायूंनी बताते हैं कि 12 वर्ष पहले वह घर आए थे। उसके बाद व्यस्तता के कारण लौट नहीं सके मगर, स्वजन से फोन पर बातचीत होती रहती थी। वहीं लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने राशिद खान को याद करते हुए एक्स पर बताया कि एक बार राशिद खान ने कहा था, ‘मेरा नाम पहचान सब बदायूं से है सहसवान से है। अफ़सोस होता है कि इतनी छोटी उम्र में बदायूं छूट गया, कलकत्ता का ही होकर रहा गया। अब मेरा वहां जी नही लगता। मेरी दिली ख्वाहिश है कि वापस बदायूं आकर बस जाऊं, बच्चों को अब यहीं सिखाऊं’

बॉलीवुड की कई फिल्मों में गाने गाए
उस्ताद राशिद खान ने बॉलीवुड की फिल्मों में भी कई मशहूर गाने गए। उन्होंने साल 2007 में रिलीज हुई फिल्म ‘जब वी मेट’ के पॉपुलर सॉन्ग ‘आओगे जब तुम साजना’ में अपनी आवाज दी थी। उन्होंने फिल्म ‘किसना: द वॉरियर पोएट’ के गाने काहे उजाड़ी मोरी नींद, तोरे बिना मोहे चैन नहीं, फिल्म ‘माय नेम इज खान’ का अल्लाह ही रहम, फिल्म ‘शादी में जरूर आना’ का तू बनजा गली संग जैसे मशहूर गाने गाए थे।

तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और रामनाथ कोविंद के साथ उस्ताद

रामपुर-सहसवान घराने ने संगीत को दी ऊंचाई
राशिद खान रामपुर-सहसवान घराने के संस्थापक उस्ताद इनायत हुसैन के परपोते थे। इनायत हुसैन नेपाल में राजगायक भी रहे थे। वर्ष 1957 में घराने के उस्ताद मुस्ताक हुसैन खान को पद्मभूषण अवार्ड मिला था। उनके बाद निसार हुसैन खान, गुलाम मुस्तफा खान, हफीज अहमद खान, गुलाम सद्दीक खान को पद्मश्री अथवा पद्मभूषण से सम्मानित किया जा चुका है। राशिद खान को को साल 2006 में पद्मश्री पुरस्कार मिल चुका है जबकि साल 2022 में पद्मभूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

राशिद खान के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे समेत कई राजनैतिक हस्तियों ने दुख जताया। पीएम मोदी ने संवदेना व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, ”भारतीय शास्त्रीय संगीत जगत की महान हस्ती उस्ताद राशिद खान के निधन से दुख हुआ। संगीत के प्रति उनकी अद्वितीय प्रतिभा और समर्पण ने हमारी सांस्कृतिक दुनिया को समृद्ध किया, पीढ़ियों को प्रेरित किया। उनका निधन एक खालीपन छोड़ गया है। इसे भरना मुश्किल होगा। उनके परिवार, शिष्यों और अनगिनत प्रशंसकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना।”

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने क्या कहा?
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संवेदना व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘प्रख्यात हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत गायक उस्ताद राशिद खान के निधन के बारे में जानकर दुख हुआ। पद्म भूषण से सम्मानित उस्ताद राशिद खान ने संगीत शैलियों के मिश्रण और जुगलबंदियां प्रस्तुत करके अत्यधिक बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।’’ राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘वह शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में एक समृद्ध विरासत छोड़ गए हैं। मैं उनके प्रियजनों और प्रशंसकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करती हूं।’’

मल्लिकार्जुन खरगे क्या बोले?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, ”प्रसिद्ध हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत गायक और पद्म भूषण से सम्मानित उस्ताद राशिद खान जी के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ। शास्त्रीय संगीत के सार और शुद्धता को खोए बिना समकालीन संगीत प्रस्तुत करने की उनकी अनूठी शैली ने लाखों लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। शोक संतप्त परिवार और उनके प्रशंसकों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं।’

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