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हनुमान जी की सेवा और समर्पण से समाज को लेनी चाहिए सीख: समदर्शी रवि महाराज

उझानी। मेरे राम सेवा समिति की ओर से बाबूराम धर्मशाला में चल रही रामकथा का नवें दिन गुरुवार को समापन हो गया। कथा के अंतिम दिन बालि वध, सुंदर कांड, हनुमान का लंका में प्रवेश, रामेश्वरम स्थापना, रावण वध, श्रीराम का राज्याभिषेक आदि का बखान किया। उन्होंने कहा कि हनुमान जी की सेवा और समर्पण से समाज को सीख लेनी चाहिए।

मेरे राम सेवा समिति की ओर से बाबू राम धर्मशाला में चल रही सेवा और संस्कारों को समर्पित नौ दिवसीय श्रीराम कथा के नौवें दिन यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ श्रीराम कथा का समापन हो गया। भक्तों ने लोक कल्याणार्थ यज्ञ भगवान को विशेष आहुतियां समर्पित की। कथावाचक समदर्शी रवि महाराज ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जीवन से नैतिकमूल्यों और सिद्धांतों को प्रखर ऊर्जा मिलती है। आत्मिक सुखानुभूति, आदर्श जीवन, सद्चिंतन और सद्भाव जाग्रत होते हैं। श्रीराम कथा तन मन को पवित्र कर जीवन शैली और आत्मा को नया रुप देती है।

उन्होंने कहा कि श्रीराम चौदह वर्ष का वनवास पूरा करने के बाद माता सीता, लक्ष्मण, हनुमान, अंगद, विभीषण के साथ अयोध्या लौटे, प्रजाजनों ने आनंद और उमंग के साथ भव्य स्वागत किया और दीप जलाए। उन्होंने कहा कि हनुमान जी सेवा और समर्पण से भगवान श्रीराम के उत्कृष्ट भक्त बनें। सत्कर्मों से परमार्थ जागता है और प्रभु की कृपा प्राप्त होती है। भक्तिभाव से मनुष्य कल्याण संभव है।

समापन पर शक्ति कलश के पूजन के बाद कथावाचक को अंगवस्त्र भेंट किए गए। आयोजन समिति के पदाधिकारियों ने प्रसाद वितरण कराया। इस मौके पर भारत सिंह यादव, मुकेश राठी, धनसुख अग्रवाल, हिमांशु कृष्ण, संदीप अग्रवाल, सत्येंद्र सिंह चौहान, सुनील गोयल, अजीत सिंह, विशाल, ब्रजेश यादव, त्रिलोकी नाथ बागड़ा, विजय गोपाल, डीके मथुरिया, अजयपाल सिसौदिया, विष्णु गुप्ता, प्रदीप माहेश्वरी, गगन, जीता अरोरा, धीरेंद्र सिंह सोलंकी आदि मौजूद रहे।

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