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जनपद में बच्चों पर कोरोना का साया, पिछले 10 दिनों में 100 से ज्यादा बच्चे संक्रमित

प्रतीकात्मक चित्र

बदायूं। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का प्रकोप जारी है, जिसकी चपेट में वयस्कों के साथ ही बच्चे भी आने लगे हैं। शहरी क्षेत्रों के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी बच्चे संक्रमित हो रहे हैं। जनपद के अलग-अलग क्षेत्रों में पिछले 10 दिनों में 1-15 साल के 100 से अधिक बच्चे संक्रमित हो चुके हैं। इससे अभिभावक भी चितिंत हैं।

जनपद में कोरोना संक्रमितों के नए केस मिलने के आंकड़े पिछले दिनों में कम जरूर हुए हैं, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। इस बार कोरोना संक्रमण बच्चों के संक्रमित होने के मामले चिंता बढ़ाने वाले हैं। स्वास्थ्य विभाग की संक्रमितों की सूची पर नजर डालें तो पिछले 10 दिनों में 110 बच्चे कोरोना से संक्रमित हुए हैं। संक्रमितों में शहर से लेकर उझानी, वजीरगंज, अम्बियापुर, सहसवान, दातागंज, सलारपुर, दहगवां, इस्लामनगर, म्याऊं. जगर, कादरचौक ब्लॉक के बच्चे भी शामिल हैं। इसमें एक साल से पांच साल तक के बच्चे भी शामिल हैं। डीएम दीपा रंजन की चार साल की बेटी भी कोरोना पॉजिटिव है। 

रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 10 दिनों में 1 से 5 आयु वर्ग के 27 बच्चे संक्रमण की चपेट में आए हैं। 6-10 आयु वर्ग के कुल कोरोना संक्रमितों की संख्या 37 और 11-15 आयु वर्ग में 46 बच्चे शामिल हैं। माना जा रहा है कि अब घरों में एक साथ कई बड़े सदस्य संक्रमित हो जा रहे हैं, इसलिए बच्चे भी चपेट में आ रहे हैं।

जिला प्रशासन ऐसे बच्चों की सेहत पर विशेष निगरानी रख रहा है। चिंता की बात यह है कि बच्चों के लिए वैक्सीन के अब तक द्वार नहीं खुले हैं, भारत में बच्चों के लिए वैक्सीन अभी ट्रायल फेज में हैं। वहीं 18 वर्ष से अधिक आयु वालों को वैक्सीन लगाने की घोषणा हो चुकी है। इसलिए बड़ों की ही जिम्मेदारी है कि वे परिवार के छोटों का ख्याल रखें। कोविड-19 संक्रमण का खतरा जितना बड़ों को है, उतना बच्चों को भी है।

अनाथ बच्चों का रखें ख्याल

कोरोना महामारी में असहाय बच्चों की सुरक्षा और संरक्षण का ख्याल रखने के लिए जिलाधिकारी ने आदेश दिए हैं। डीएम ने जिला प्रोबेशन अधिकारी को निर्देशित किया कि इस समय कोरोना संक्रमण का प्रभाव उच्चतम स्तर पर है। प्रशासन के मंशा के अनुरूप शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के ऐसे बच्चे, जिनके माता-पिता की कोरोना महामारी के कारण मृत्यु हो गई है या दोनों बीमार हैं। ऐसे बच्चों की खाना आदि की व्यवस्था करने वाला कोई नहीं है। उनका चिह्नांकन आंगनबाड़ी तथा ग्राम पंचायत सचिव के माध्यम से कराना सुनिश्चित करें। इसके बाद सभी बीडीओ इस सूची सत्यापित कर जिला प्रोबेशन अधिकारी को उपलब्ध कराएं। ऐसे बच्चों की जानकारी हो जाने पर तत्काल उन्हें सहायता उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने कहा है कि अवैध रूप से कोई बच्चे को गोद न लेने पाए। अधिकारी इसकी निगरानी करते रहें।

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