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डीएम साहब! यहाँ चल रही है कागजी गौशाला, घूम रही है लहूलुहान गाय

बदायूं। नगर पंचायत कछला में घुमांतू गोवंश के लिए बनी सरकारी गौशाला में 22 गोवंश की मौत के बाद प्रशासन में हडकम्प मचा हुआ है। गौशाला में गोवंश की मौत के बाद उनके संरक्षण को लेकर प्रशासन के दावों की पोल खुलती हुई नजर आ रही है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सभी जिलों में स्थायी व अस्थायी गोशाला बनाए जाने के निर्देेश दिए गए। जिसके बाद में जिले में कुल 329 अस्थायी गौशालाओं का निर्माण कराया गया है। पशुपालन विभाग के मुताबिक इन गोशालाओं में तकरीबन साढ़े छह हजार गोवंश बंद हैं। पिछले कुछ दिनों इनमें से 408 गोवंश को गांव वालों की सपुदर्गी में दे दिया गया। जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने अधिशासी अधिकारी, प्रधान, सचिवों को निर्देशित किया कि वे अपने यहां सड़क पर छुट्टा घूमने वाले गोवंश को पकड़कर अस्थायी गोशाला में बंद करें। लेकिन जिलाधिकारी के सख्त तेवरों के बावजूद अधिकारी अपनी मनमानी कर रहे हैं। नतीजतन कहीं गौशाला में गाय मर रही है तो कहीं कागज मात्र पर ही गौशाला चल रही है

कादरचौक ब्लॉक के गाँव नूरपुर में शासन के आदेश के बाद अस्थायी गौशाला का निर्माण किया गया था। इसके लिए शासन से 2018-2019 में 1 लाख 30 हजार वहीं 2019-2020 वर्ष में 1 लाख 50 हजार रुपए जारी हुआ। लेकिन भारी भरकम बजट होने के बावजूद गौशाला मात्र कागजों एक सीमित है, गौशाला के निर्माण के नाम पर काली तिरपाल लटका दी गयी है। जब किसी अधिकारी का दौरा होता है तो गाँव प्रधान द्वारा जबरदस्ती घेरकर 10-20 गायें अंदर कर दी जाती हैं। गाँव की सारी गायें सड़को, जंगलों धक्के खा रही हैं। गौशाला में नाली का पानी, प्लास्टिक जमा हो रहा है जिससे दलदल की स्थिति पैदा हो गयी है

ग्रामीणों में बताया कि गौवंश के आतंक की वजह से किसानों की फसलें बर्बाद हो चुकी है। रातभर फसलों की रखवाली करनी पडती है। गाँव में करीबन 250 घुमांतू गौवंश है, लहुलुहान गाय घूम रही है लेकिन गौशाला खाली पड़ी हुई है। गौशाला में कोई सुविधा न होने की वजह से गौवंश ने प्राथमिक स्कूल को अपना आसरा बनाया हुआ है। जिसकी वजह से स्कूल में पढने वाले बच्चों की जिन्दगी भी संकट में है। इस सम्बन्ध में गाँव प्रधान से कई बार शिकायत की गयी लेकिन उनके कानों पर जूं नहीं रेंगती।

सड़को पर मरता गौवंश, आम आदमी भी नहीं है सुरक्षित

अधीनस्थों की उदासीनता के कारण योगी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को पलीता लग रहा है। शासन-प्रशासन के दावों के बीच गौवंश सुरक्षित नहीं है वहीं किसानों और राहगीरों के लिए मुसीबत बने हुए हैं। गोवंश खेतों में खड़ी फसलों को न केवल नुकसान पहुंचाने में लगे हैं, बल्कि जिले भर वह हाइवे पर भी लोगों के लिए हादसे का सबब बन गए। गौवंश ने जिलेभर में अब तक 7 लोगों को पटक पटक कर मौत के घाट उतार दिया है वहीं हाल ही में मुरादाबाद-फर्रुखाबाद हाईवे पर एक अज्ञात वाहन ने आधा दर्जन से अधिक गोवंशीय पशुओं को रौंद दिया, जिसमें चार गायों की मौत हो चुकी है। इनमे एक गोवंश के कान में गौशाला का टैग लगा था।

कछला में गौवंश के शवों को कुत्तों ने नोचा

वहीं कछला कछला नगर पंचायत की अस्थायी गौशाला 22 गौवंश की मौत की मौत हो गयी। भारतीय पशु अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) से विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम बुलायी गयी। उन्होंने बताया कि टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पशुओं द्वारा अधिक हरा चारा खाने के कारण नाइट्रेट विषाक्तता की वजह से ही उनकी मृत्यु हुई है। सभी गोवंश को पोस्टमार्टम के बाद दफना दिया गया है। लेकिन नगर पंचायत ने जल्दबाजी में मानक के मुताबिक गड्डा नहीं जिसके बाद गौवंश के शवों को कुत्ते नोचते हुए नजर आए। विश्व हिंदू परिषद ब्रज प्रांत के प्रांतीय अधिकारियों ने जिलाध्यक्ष सुनील राठौर के नेतृत्व में चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को कछला गौशाला पहुंचा। जिलाध्यक्ष सुनील राठौर ने आरोप लगाया कि नगर पंचायत प्रशासन ने मृत गोवंशीय पशुओं के शवों को कुत्ते खा रहे हैं, जब ईओ को इस संबंध में अवगत कराया गया तो उन्होंने भी कोई ध्यान नहीं दिया।
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