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सचिन चौहान हत्याकांड: 40 लाख रुपयों के लिए अपने ही दोस्त ने मरवा दिया

आगरा। कोल्ड स्टोरेज स्वामी के बेटे सचिन चौहान की हत्या उसके दोस्तों ने ही की थी। हत्या के बाद शव का अंतिम संस्कार भी किया गया। पुलिस ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर सोमवार को हत्याकांड का खुलासा किया। इकलौते बेटे सचिन की हत्या से माता-पिता सदमे में हैं। मृतक की मां अनीता रोते हुए कहा कि वह आखिरी बार अपने लाडले बेटे का चेहरा तक नहीं देख सकीं। आरोपियों से पूछताछ में पता चला है कि सचिन पर आरोपी सुमित के 40 लाख रुपये उधार थे। यही 40 लाख रुपये उसकी हत्या की वजह बन गए।

मूलत: बरहन के गांव रूपधनु निवासी सुरेश चौहान का परिवार दयालबाग की जयराम बाग कालोनी में रहता है। सुरेश चौहान का गांव में ही एसएस आइस एंड कोल्ड के नाम से कोल्ड स्टोरेज है। वह आगरा और हाथरस में जिला पंचायत की ठेकेदारी भी करते हैं। 21 जून की दोपहर उनका इकलौता 25 वर्षीय बेटा सचिन लापता हुआ था। इस घटनाक्रम का खुलासा करते हुए एसएसपी मुनिराज जी ने बताया कि सचिन चौहान 21 जून को दोपहर 3:30 बजे घर से लापता हुआ था। इसके बाद उसका सुराग नहीं लग सका। रविवार को पुलिस को कुछ सुराग मिले। वाटरवर्क्स से कमला नगर निवासी हैप्पी खन्ना को पकड़ लिया। हैप्पी खन्ना से पूछताछ के बाद दयालबाग के तुलसी विहार निवासी सुमित असवानी, कमला नगर निवासी मनोज बंसल, रिंकू को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद में हर्ष चौहान को पकड़ा गया। आरोपियों के पास से सात मोबाइल, 1200 रुपये और दो कार (क्रेटा और ईको) बरामद कीं।

एसटीएफ के निरीक्षक हुकुम सिंह ने बताया कि तुलसी विहार निवासी सुमित असवानी दस साल से चीन में कपड़ों के आयात और निर्यात का व्यापार कर रहा था। उसके दो बेटे हैं, परिवार भी वहीं रहता था। उसने यूएसए में भी व्यापार की शुरूआत कर दी थी। मगर, दिसंबर 2019 में चीन में कोरोना संक्रमण बढ़ गया। इस पर वह वापस भारत आ गया। उसने दयालबाग के सौ फुटा मार्ग पर सीबीजेड नाम से स्नूकर और स्पोर्ट्स क्लब खोला। सुमित महंगी गाड़ी में चलता था। रोजाना दोस्तों के साथी पार्टी भी करता था।

उसके क्लब में हर्ष और सचिन का भी आना-जाना था। इस दौरान सुमित की दोनों से दोस्ती हो गई। हर्ष और सचिन एक साथ ही व्यापार करते थे। इससे सुमित सचिन को पैसा देने लगा। हर्ष भी उसकी गवाही देता था। उस पर 40 लाख रुपये हो गए। आरोपी सुमित ने पुलिस को बताया कि सचिन से वह रकम वापस मांग रहा था। मगर, हर बार वो टालमटोल कर देता था। जबकि, उसके अपने खर्चों में कोई कमी नहीं आ रही थी।

हर्ष और सुमित

इसके बाद सचिन ने रुपये देने से मना कर दिया। इस पर सुमित ने हर्ष पर रुपये वापस दिलाने का दबाव बनाया। हर्ष ने सचिन से कई बार कहा, लेकिन उसने रकम वापस नहीं की। यह बात हर्ष को भी बुरी लग रही थी। इस पर सुमित असवानी और हर्ष ने सचिन का अगवा कर दो करोड़ की फिरौती मांगने की योजना बनाई। हर्ष ने यह भी कहा कि अगर फिरौती की रकम नहीं मिलेगी तो वो 40 लाख रुपये उसे दे देगा। क्योंकि सचिन के मरने के बाद व्यापार पर उसी का कब्जा हो जाएगा। घटना वाले दिन सुमित ने सचिन को फोन करके कहा कि पार्टी करेंगे। रशियन लड़कियों को भी बुलाया है। इसके बाद सचिन को कार में ले गए और रास्ते में शराब भी पी।

सचिन का अपहरण तो कर लिया लेकिन डर के कारण रकम नहीं मांगी। सचिन के मोबाइल पर मां के फोन आ रहे थे लेकिन आरोपियों ने फोन नहीं उठाया। एसटीएफ निरीक्षक हुकुम सिंह के मुताबिक, 21 जून को ही हत्या के बाद रात तकरीबन साढ़े आठ बजे सुमित, रिंकू और हैप्पी सचिन के शव को गाड़ी से बल्केश्वर घाट ले गए। कमला नगर स्थित दिलीप मेडिकल की दुकान से तीन पीपीई किट खरीदी गई थीं। शव बॉडी पैकिंग बैग में रखा था। श्मशान घाट कमेटी से सामान खरीदने के बाद सचिन का नाम रवि वर्मा निवासी सरयू विहार, कमला नगर बताकर रसीद कटवाई। वहां बताया गया कि शव कोरोना पॉजिटिव मरीज का है। कोरोना संक्रमित का शव होने के कारण कोई उसके पास नहीं आया।

हत्यारोपियों ने शव का दाह संस्कार कर दिया। इसके बाद 22 जून को हैप्पी खन्ना और रिंकू दोबारा बल्केश्वर श्मशान घाट पहुंचे। सचिन की अस्थियां बीनीं। उन्हें विधि विधान से यमुना में बहा दिया। इसके बाद आरोपी मनोज बंसल को आरोपियों ने सचिन का मोबाइल लेकर बस में बैठा दिया था। वह कानपुर तक गया। रास्ते में सचिन के मोबाइल को कानपुर में इसलिए फेंका था कि पुलिस सचिन की तलाश करे तो समझे कि उसे अपहरणकर्ता कानपुर की तरफ से ले गए हैं। वह पुलिस को भ्रमित करना चाहते थे।

अपने ही ‘बेटे’ ने धोखा दिया
सचिन की हत्या में पिता सुरेश चौहान के साझीदार लेखराज सिंह का बेटा हर्ष चौहान शामिल था। हर्ष सचिन से दो साल छोटा था। मगर, सुरेश चौहान उसे भी बेटे की तरह मानते थे। सुरेश चौहान की गांव के ही लेखराज सिंह से 40 साल पुरानी दोस्ती है। वह उसे दोस्त कम छोटा भाई ज्यादा मानते थे। दोनों ने एक साथ काम शुरू किया। वह दोनों ठेकेदारी भी साथ करते हैं। परिवार में दोनों एक-दूसरे का साथ देते हैं।

जबकि 21 जून को जब सचिन लापता हुआ तो सचिन को तलाशने में परिवार के साथ दिन रात एक किए था। सुरेश चौहान से रोजाना सचिन के बारे में पूछता था। लेखराज ने अपने एक रिश्तेदार की मदद से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय से मामले में सिफारिश लगाई थी। 23 जून को केस में एसटीएफ ने जांच शुरू कर दी। इसके बाद भी हर्ष पुलिस की मदद कर रहा था। जब एसटीएफ ने हर्ष को गिरफ्तार किया तो सुरेश के पैरों तले जमीन खिसक गई। उन्होंने सोचा भी नहीं था कि वह ऐसा कर कर देगा।

आर्थिक तंगी की वजह से बने अपराधी
इस वारदात में शामिल मनोज, हैप्पी और रिंकू आर्थिक तंगी की वजह से अपराधी बन गए। मनोज एक पैर से विकलांग है। उसके दो बच्चे हैं, पिता की दुकान थी। मगर कोरोना की वजह से दुकान बंद हो गई। उस पर लॉकडाउन में ढाई लाख रुपये का कर्ज हो गया था। कर्ज होने की वजह से कमला नगर को छोड़कर देवरी रोड पर किराये पर कमरा लेकर रह रहा था। हैप्पी आरोपी सुमित के मामा का लड़का है। उसे भी रुपयों की जरूरत थी। वहीं रिंकू एक स्कूल की वैन चलाता था। मगर कोरोना संक्रमण की वजह से इस समय काम नहीं मिल रहा था, पिता खेती करते हैं जिससे परिवार का गुजारा नहीं होता, उसे भी रुपयों की जरूरत थी।

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