Site icon Badaun Today

धरा रह गया योगी सरकार का मिशन शक्ति, एसएसपी की उम्मीदों पर भी फिरा पानी

उघैती (बदायूं)। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भले ही आए दिन मिशन शक्ति अभियान को लेकर वाहवाही लूट रही हो पर जनपद की घटना ने ‘मिशन शक्ति’ को तार-तार कर दिया है। वहीं जनपद में अपराध नियंत्रण एवं कानून-व्यवस्था को संभालने के लिए एसएसपी के तबादले भी काम नहीं आए हैं, एक सप्ताह में ही उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है।

नवरात्र के पहले ही दिन यूपी में महिला और बालिकाओं की सुरक्षा के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ‘मिशन शक्ति’ अभियान शुरू किया था। इस अभियान तहत मुख्यमंत्री ने प्रदेश के 1535 थानों में महिला हेल्प डेस्क का शुभारंभ किया। सत्ताधारी पार्टी के प्रदेश सरकार में मंत्री, सांसद, विधायक, कार्यकर्ताओं ने बड़े ही जोर शौर के साथ महिला डेस्क का फीता काटकर सुर्खिया बटोरीं। महिला सम्बन्धी शिकायतों को सुनने के लिए एक अलग कक्ष की व्यवस्था की गई। अभियान के तहत पुलिस विभाग में बीस प्रतिशत अतिरिक्त महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती की भी घोषणा की गई, दावा किया गया कि महिला भुक्तभोगी की शिकायत महिला पुलिस कर्मी ही सुनेगी, महिलाओं से संबंधित किसी भी समस्या पर त्वरित कार्रवाई की व्यवस्था होगी, इस मिशन से आधी आबादी की सुरक्षा होगी।

पढ़ें: आंगनबाड़ी सहायिका का गैंगरेप, गुप्तांग में डाली रॉड, मामला दबाती रही पुलिस

मिशन शक्ति के तहत जनपद के सभी थानों में भी महिला डेस्क की व्यवस्था की गयी। महिलाओं के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए स्कूली छात्राओं को एक दिन का एसओ भी बनाया गया। आश्वासन दिया कि महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और स्वालंबन का पूरा ध्यान रखा जाएगा। लेकिन उघैती क्षेत्र में आंगनबाड़ी सहायिका के साथ हुई बर्बरता के बाद पुलिस विभाग के रवैये ने साबित कर दिया गया है कि मिशन शक्ति अभियान धरा का धरा रह गया है। मिशन शक्ति के तहत महिला सशक्तिकरण, महिला सुरक्षा, महिला आत्मसम्मान जैसे बड़े बड़े दावों की जनपद में पूरी तरह धज्जियां उड़ गयीं। इस मामले में न महिला डेस्क काम आई और न किसी महिला पुलिसकर्मी ने परिजनों की फरियाद को सुना।

आंगनबाड़ी सहायिका के बेटे के मुताबिक रविवार रात को लगभग साढ़े ग्यारह बजे दरवाजा खटखटाने की आवाज आई। हमने जब दरवाजा खोला तो दरवाजे पर महंत सत्यनारायण, चेला वेदराम व ड्राइवर जसपाल ने बोलरो से निकालकर मम्मी को बाहर फेंक दिया। उन्होंने बस इतना ही कहा कि तुम्हारी मम्मी कुएं में गिर गयी थीं और इसके बाद तीनों वहां से भाग गए। कई बार सूचना भिजवाने के बावजूद पुलिस नहीं आई। हमने मम्मी के शव को वहां से उठाकर घर में ले आए, उसे चारपाई पर रखाा। अगली सुबह फिर पुलिस को सूचना देने गए लेकिन कोई नहीं आया। घर वाले बार-बार पुलिस को फोन करते रहे। रात से सुबह हो गई लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की।

पीड़ित परिवार पुलिस के सामने गिडगिडाता रहा लेकिन निलम्बित उघैती इंस्पेक्टर राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने उनकी एक न सुनी। बल्कि वो महिला के कुएं में गिरने की आरोपी महंत की कहानी को दोहराते हुए नजर आए। अगले दिन जब डायल-112 को सूचना दी गयी तो कंट्रोल रूम तक बात पहुँचने और ग्रामीणों का बढ़ता गुस्सा भांपने के बाद सोमवार शाम 4 बजे मजबूरन थाना पुलिस वहां पहुंची और करीबन 16 घंटे बाद महिला का शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।

वीडियो: गांव में ही मीडिया में बयानबाजी करता रहा आरोपी बाबा, पुलिस ने नही किया गिरफ्तार

देर शाम मोर्चरी पर शव पहुंचने की वजह पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई, जिसके बाद मंगलवार सुबह को पोस्टमार्टम कराया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आने के बाद प्रशासन में हडकम्प मचा तो महंत सत्यनारायण, चेला वेदराम व ड्राइवर जसपाल के खिलाफ गैंगरेप के बाद हत्या की धाराओं में केस दर्ज किया गया। पुलिस ने इस मामले में अब दो आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है, फरार महंत के खिलाफ 50 हजार का इनाम रखा गया। साथ ही एसएसपी संकल्प शर्मा ने लापरवाह थानाध्यक्ष राघवेंद्र प्रताप को निलंबित किया है।

वहीं निलम्बित थानाध्यक्ष राघवेन्द्र प्रताप सिंह की लापरवाही ने एसएसपी संकल्प शर्मा की उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया है। जनपद में कानून व्यवस्था को मद्देनजर एक सप्ताह पहले ही एसएसपी ने कई थानों के प्रभारी को बदला था, जिसमे राघवेन्द्र प्रताप सिंह को अपराध शाखा से उघैती की कमान सौंपी गयी थी। लेकिन वो एसएसपी की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे जिसका खमियाजा न सिर्फ जिला प्रशासन को उठाना पड़ा बल्कि योगी सरकार के मिशन शक्ति पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

पढ़ें: फजीहत के बाद थानाध्यक्ष निलंबित, दो आरोपी गिरफ्तार

पढ़ें: एसएसपी ने बदले थानों के प्रभारी, क्या तबादलों से अब सुधरेगी कानून व्यवस्था?

इससे पहले साल 2017 में यूपी में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी सरकार बनने के बाद ही सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा और उनके सशक्तिकरण के अपने चुनावी वादों के मुताबिक जोर-शोर से एंटी रोमियो अभियान शुरू किया था लेकिन एंटी रोमियो स्क्वैड कार्यक्रम महिला सुरक्षा में भूमिका निभाने की बजाय विवादों में ज्यादा आ गया और अब उसका शोर बिल्कुल थम गया है। इसके बाद अब मिशन शक्ति अभियान की शुरुआत हुई। अब सवाल उठता है कि इन सब योजनाओं और कार्यक्रमों के बावजूद आखिर अपराध रुक नहीं रहे, पुलिस की शैली में कोई बदलाव नहीं है तो कई नामों से योजनाएं चलाने का क्या फायदा है। 

Exit mobile version