उझानी। शहर में अतिक्रमण की वजह से जाम लगना आम बात हो गयी है। सड़को पर दोनों तरफ के दुकानदारों ने कब्जा जमाया हुआ है, दुकानदारों ने फुटपाथ पर सामान सजा रखा है। बाजार में पैदल भी चलना दुश्वार हो जाता है। इसके बाद भी प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है।
नगर में अतिक्रमण की बात की जाये तो बाजार में कोई ऐसी सड़क या जगह नहीं बची है, जहां लोगों द्वारा अतिक्रमण नहीं किया गया है। नगर के सबसे ज्यादा व्यस्त बदायूं-कछला रोड पर हालात सबसे ज्यादा खराब है, जहां लोगों को पैदल चलने के लिए फुटपाथ बनाये गये हैं लेकिन लोगों ने अपनी निजी दुकानें होने के बाबजूद दुकानों का सामान बाहर निकालकर फुटपाथ पर सजाया हुआ है। टीन शेड और तिरपाल भी दुकानदार डाले रहते हैं जिससे काफी जगह घिर जाती है। सड़क किनारे फुटपाथ पर चायपान, फल, जूस और दूसरे खाद्य पदार्थों के अलावा सस्ते रेडीमेड कपड़ों की दुकानें सजी हुई हैं। दुकानदार आधा सामान दुकान के बाहर सड़क तक लगाने में अपनी शान समझते हैं। बाजार में भीड़ होने के बाद हालत यह हो जाती है कि बचकर चलना पड़ता है। एक जगह पर पांच मिनट खड़े होना भी बाजार में संभव नहीं है। तुरंत आने बढ़ने को कहा जाता है। जाम में दोपहिया या चार पहिया वाहन निकालने में पसीने छूट जाते हैं। त्यौहार के समय तो इस बाजार में इस कदर की भीड़ होती है कि थोड़ी थोड़ी देर में जाम जैसे हालात बन जाते हैं। इतनी गंभीर समस्या होते हुए भी किसी ने बाजार का अतिक्रमण हटाने की जरूरत नहीं समझी है।
वहीं स्टेशन रोड, बिल्सी रोड पर भी यही स्थिति है, दुकानदार सड़क पर ही व्यापार कर रहे हैं। लोगों की निजी दुकानें होने के बाद भी सामान सड़कों तक फैला हुआ नजर आता है। वहीं रही सही कसर वहां से गुजरने वाली बड़ी गाडि़यां पूरी कर देती है इसकी वजह से सड़कों पर चलना दूभर हो गया है। हालत यह है कि लोग जाम की समस्या से बचने के लिए सड़क से चलने की बजाय गली कूचों से होकर आने जाने को मजबूर हो रहे हैं। नगर में लगातार बढ़ रहे जाम के कारण आम जनमानस को धीरे-धीरे महानगरों की तरह परेशानी का अहसास होने लगा है। इसके अलावा फल-सब्जी के ठेले भी सड़क के किनारे पर ही खड़े होते हैं जिसकी वजह से हमेशा जाम की समस्या बनी रहती है।
अधिकतर दुकानदार प्रदर्शन के लिए दुकान का तमाम सामान फुटपाथ पर लगा देते हैं। इससे पैदल निकलने वाले लोगों को फुटपाथ के बजाय सड़कों पर चलना पड़ता है। सड़कों पर दिन में कई-कई बार जाम लगता है। इसके कारण कई अभियान और तमाम कोशिशों के बाद भी नगर को अब तक जाम के झाम से आजादी नहीं मिल सकी है। अभियान भी सिर्फ दिखावे के लिए ही चलते हैं और कुछ वक्त बाद ही अतिक्रमणकारियों का कब्जा देखने को मिल जाता है। इस जाम की समस्या को देख कर भी प्रशासन अनदेखा कर रहा है।
नगर में जाम की स्थिति में इजाफे के लिए ई-रिक्शा भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। कहीं भी जाम की स्थिति हो तो ई-रिक्शा मौजूद होते ही हैं। ई-रिक्शा चालकों में नाबालिग चालक भी हैं लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। कुछ समय पहले ही ई-रिक्शा के पंजीकरण कराने को कहा गया है लेकिन अभी भी कई ई-रिक्शा अवैध रूप से चल रहे हैं।