बदायूं। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बरेली-मथुरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर बदायूं से बरेली तक फोरलेन निर्माण के लिए 1527 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। एनएचएआई के अधिकारियों ने छह महीने के भीतर जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी करने का आश्वासन दिया है।
नितिन गडकरी ने एक्स पर एक पोस्ट में बताया कि उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्ग-530B (पैकेज-4) के बरेली-बदायूं खंड के 4-लेन निर्माण के लिए 1527 करोड़ रुपए की लागत के साथ स्वीकृति दी गई है। यह परियोजना बरेली और बदायूं के बीच यात्रियों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाएगी और इन दोनों शहरों के बीच यात्रा के समय को कम करेगी। इसके अलावा यह परियोजना बरेली और पवित्र धाम मथुरा के बीच कनेक्टिविटी को बढ़ाएगी और पूरे क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि और शाश्वत विकास को बढ़ावा देगी। इसके जवाब में प्रदेश सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के यशस्वी मार्गदर्शन में एवं आपके सहयोग से ‘नया उत्तर प्रदेश’ बेहतरीन सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ही उत्कृष्ट कनेक्टिविटी का नया गंतव्य बनकर उभरा है। दीपावली से पहले आज उत्तर प्रदेश को मिले इस उपहार के लिए आपका हार्दिक आभार!
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के यशस्वी मार्गदर्शन में एवं आपके सहयोग से ‘नया उत्तर प्रदेश’ बेहतरीन सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ही उत्कृष्ट कनेक्टिविटी का नया गंतव्य बनकर उभरा है।
दीपावली से पहले आज उत्तर प्रदेश को मिले इस उपहार के लिए आपका हार्दिक आभार! https://t.co/T2jSjuNzwR
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) October 17, 2024
दरअसल अब बरेली से मथुरा तक 216 किलोमीटर तक हाईवे को चार चरण में बनाया जाना है। पहले चरण में मथुरा से हाथरस और दूसरे में हाथरस से कासगंज के बीच काम शुरू हो गया है। तीसरे चरण में कासगंज से बदायूं तक काम वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की एनओसी नहीं मिलने की वजह से अटका है। चौथे पैकेज में बदायूं से बरेली तक हाईवे का निर्माण होना है। यह हिस्सा फोरलेन तो है लेकिन हाईवे के मानक के अनुरूप नहीं है। इसलिए एनएचएआई ने लोक निर्माण विभाग की इस सड़क को अपने अधीन लिया है।
जमीन अधिग्रहण का काम पहले ही हो चुका
बरेली-बदायूं फोरलेन परियोजना के लिए दो साल पहले ही जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। इसमें बरेली और बदायूं के 70 गांवों की 118 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहीत की गई थी, लेकिन बजट की मंजूरी में देरी होने के कारण काम रुका हुआ था। अब मुआवजे का भुगतान किया जाना है। एनएचएआई के अधिकारी और भूमि अध्याप्ति अधिकारी तय प्रक्रिया पूरी करने के बाद मुआवजे का वितरण कराएंगे। अगले छह महीने में अधिग्रहण पूरा करने की तैयारी है।