कछला। सावन की तेरस कछला गंगाघाट पर जलाभिषेक के लिए कांवरियों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। बुधवार की शाम तक घाट पर कांवरिया शिविर में पैर रखने की जगह तक नहीं बची थी।
सावन के माह में तेरस तिथि को सावन की शिवरात्रि के रूप में भी जाना जाता है। आज की तिथि में भगवान शिव का दर्शन पूजन करने और उनका अभिषेक करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। श्रावण मास में प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है लेकिन श्रावण मास की शिवरात्रि को भी विशेष पूजा अर्चना करके जलाभिषेक होता है। बुधवार शाम से ही घाट पर कांवरियों की भीड़ जमा हुई। कांवरियों के जत्थे झांकियों के साथ नाचते गाते और भगवान से अपने पापों के लिए क्षमा मांगते हुए आगे बढ़ रहे थे।
कांवड़ियों के पैरों में बंधे घुंघरू जब छन-छन की आवाज करते हैं तो राहगीरों की निगाहें बरबस ही उनकी ओर घूम जाती हैं। कई बेड़ों की कांवड़ भी आकर्षक रहीं। डीजे की धुन पर थिरकते नाचते गाते कांवरिये भगवान शिव की भक्ति में लीन नजर आ रहे हैं। कांवडिय़ों की टोलियों में बच्चे भी नजर आ रहे थे। केसरिया रंग के परिधान पहनकर कांवडिय़ों की टोलियां नाचती गाती चल रहीं थी। कांवडिय़ों की टोलियों के साथ नृत्य कलाकार भी चल रहे थे जो शिव महिमा के गीतों पर झूमते नजर आ रहे थे।
वहीं भोले की भक्ति का यह जुनून और जोश ही है जो शिव भक्तों को गंगा में बाढ़ का प्रभाव भी नहीं रोक पा रहा है। गंगा नदी खतरे के निशान से महज डेढ़ मीटर नीचे बह रही है। जिससे गंगा किनारे बसे गांवों के लोगों को खतरा और भी ज्यादा बढ़ गया है। कछला पर गंगा का गेज 163.65 निकलकर आया है। गंगा नदी में पिछले दिनों से तेजी से जलस्तर बढ़ रहा है। बुधवार को भी नरौरा, बिजनौर, हरिद्वार से तीन लाख 43 हजार 611 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया है।