लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2019 के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच राज्य की सीटों पर दावेदारी तय हो गयी है। दोनों पार्टियों ने लगभग आधी-आधी सीटों पर लड़ने का ऐलान किया है। बाकी की सीटें सहयोगी दलों के लिए छोड़ी गई हैं।
उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ज्यादातर सीटें एसपी तो पूर्वी यूपी की ज्यादातर सीटें बीएसपी के खाते में आई हैं। एसपी-बीएसपी के बीच हुए इस बंटवारे में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर बीएसपी का दबदबा बरकरार है। सूबे की 80 लोकसभा सीटों में अनुसूचित जाति के सुरक्षित 17 सीटों में से 7 पर सपा चुनाव लड़ेगी तो 10 पर बसपा अपनी किस्मत आजमाएगी। इसके अलावा 2014 में जिन पांच लोकसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी को जीत मिली थी, वे भी एसपी के ही हिस्से में ही आई हैं।
प्रदेश की तीन सीटों कैराना, गोरखपुर और फूलपुर पर उपचुनाव में भी गठबंधन को जीत मिली थी। कैराना में समाजवादी पार्टी के टिकट पर आरएलडी की कैंडिडेट लड़ी थीं। वहीं गोरखपुर में निषाद पार्टी के प्रवीण निषाद एसपी के टिकट पर चुनाव में उतरे थे। इन तीनों सीटों पर भी समाजवादी पार्टी का दावा बरकरार है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और योगी आदित्यनाथ का गढ़ गोरखपुर एसपी कैंडिडेट उतरेगा। वहीं दलित आंदोलन का केंद्र रहे सहारनपुर की सीट बीएसपी के हिस्से में आई है। जबकि रायबरेली और अमेठी दो सीटों पर कांग्रेस के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया गया है।
बता दें कि सपा और बसपा ने सूबे के 80 लोकसभा सीटों में से 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था लेकिन अखिलेश यादव ने अपने कोटे से एक सीट आरएलडी को दे दी है। इस तरह से आरएलडी को तीन सीटें मिली हैं। आरएलडी को उसकी परंपरागत मथुरा, बागपत और मुजफ्फरनगर सीटें मिली हैं।