उझानी (बदायूं)। सोमवार की सुबह आशा कार्यकर्ता और सरकारी नर्सों की दलाली के चक्कर में नवजात बच्चे की जान चली गई। महिला को उसके परिजन प्रसव के लिए सरकारी अस्पताल लेकर गए थे लेकिन नर्स से देखने से इंकार करते हुए प्राईवेट अस्पताल में भेज दिया। जहाँ भर्ती होने के बाद प्रसूता के नवजात की मौत हो गयी।
गरीब प्रसूताओं का सुरक्षित प्रसव सरकारी अस्पतालों में हो सके, इसकी जिम्मेदारी गाँव की आशा बहुओं पर होती है। लेकिन ज्यादा कमीशन के लालच में आशा बहुएं और सरकारी अस्पताल की नर्स प्राइवेट अस्पतालों में प्रसूताओं की डिलीवरी करा रही हैं। कोतवाली क्षेत्र के गाँव अब्दुल्लागंज निवासी गीता साहू(25) पत्नी सतीश साहू को रविवार सुबह प्रसव पीड़ा होने पर परिजन सीएचसी में भर्ती कराया गया। गाँव से उनके आशा कार्यकर्ता भी एम्बुलेंस में साथ आई थी। सतीश ने जब नर्सों से अपनी पत्नी को देखने के लिए कहा तो नर्स ने 8 बजे तक इन्तजार करने को कह दिया। शाम करीबन साढ़े 5 बजे पत्नी की प्रसव पीड़ा बढ़ने पर सतीश ने नर्स से सवाल किया तो उन्होंने एक प्राईवेट होस्पिटल में ले जाने को कह दिया।
रविवार शाम साढ़े 6 बजे परिजनों ने गीता को प्राईवेट अस्पताल में भर्ती कर दिया, इस दौरान आशा भी उनके साथ थी। करीबन 10 मिनट बाद ही प्रसूता ने एक बच्चे को जन्म दिया, अस्पताल ने सकुशल बच्चे का हवाला देकर बिल थमा दिया। भुगतान के बाद अस्पताल प्रशासन द्वारा सतीश को एक मृत बच्चे की जानकारी दी। सतीश का आरोप है कि अस्पताल ने बिल भरवा लेने के लिए जिन्दा लड़का होने की बात कही थी और जब बिल भर दिया तो मरा हुआ बच्चा पैदा होने की जानकारी दी।
वहीं आज सोमवार को गीता के परिजनों ने प्राईवेट अस्पताल पहुंचकर हंगामा काटा जिसके बाद अस्पताल द्वारा इलाज के दौरान लिए गए रूपये लौटा दिए गए हैं। परिजन जब शिकायत करने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे तो नर्सों से बहस हो गयी। नर्सों ने सतीश और उसके परिजनों पर लापरवाही का आरोप लगाया और मौके से खिसक गयी। सरकारी अस्पताल में आशा, नर्सों की रवैये पर परिजनों ने अपनी शिकायत दर्ज करवाई है। परिजनों का आरोप हैं कि अपने निजी फायदे के लिए गीता को यहाँ भर्ती नहीं किया गया। फिलहाल प्रभारी चिकित्सा अधिकारी महेश प्रताप सिंह ने मामला संज्ञान में आते ही जांच कर आशा और नर्सों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है।