लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अब आकस्मिक पुलिस सहायता के लिए 100 की जगह 112 नंबर डायल करना होगा। 26 अक्टूबर से डायल 100 सेवा बंद हो जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 26 अक्टूबर को 112 नंबर की शुरुआत करेंगे। दुनिया के कई देशों की तर्ज पर इमरजेंसी कॉलिंग के लिए भारत में 112 को अपनाया गया है।
भारत सरकार ने 112 नंबर पूरे देश में पुलिस आपातकालीन हेल्पलाइन के रूप में स्थापित करने का निर्णय लिया है, जिसे चरणबद्ध तरीके से हर जिले में शुरू किया जा रहा है। इस सेवा का शुभारंभ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किया जाएगा। 112 नंबर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई देशों में आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर के रूप में पूर्व से स्थापित है। डायल 112 पर पुलिस, फायर, ऐम्बुलेंस, जीवन रक्षक एजेंसियों की सेवा भी प्राप्त की जा सकेगी। इतना ही नहीं, 100 को 112 में बदले जाने से प्रत्येक नागरिक की कॉल पर बिना देरी सहायता उपलब्ध कराने के साथ मामले को विधिक निष्कर्ष तक पहुंचाया जाएगा।
‘जारी किया जाएगा 112 सेवा का इमर्जेंसी ऐप’
एडीजी यूपी 100 असीम अरुण ने बताया कि 26 अक्टूबर को 112 सेवा का इमर्जेंसी ऐप भी जारी किया जाएगा। ऐंबुलेंस सेवा के 108, वीमिन पावर लाइन के 1090 और सीएम हेल्पलाइन को भी 112 के साथ इंटीग्रेट किया जाएगा। 112 सेवा के जरिए पीड़ित और पीआरवी दोनों की एकदम सही लोकेशन मिलेगी। यही नहीं, 112 सेवा में संबंधित इलाके के प्रभारी निरीक्षक द्वारा कार्रवाई पूरी करने के बाद उनके द्वारा ही पीड़ित की कॉल क्लोज की जाएगी। अभी तक पीआरवी में तैनात पुलिसकर्मी ही कॉल क्लोज कर देते थे।
‘पुलिसकर्मियों को किया गया प्रशिक्षित’
असीम अरुण ने बताया कि कंट्रोल रूम में तैनात कॉल टेकर्स को आपात स्थितियों के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है। उन्हें पता होगा कि आग में फंसे होने, चोट लगने और डिप्रेशन से पीड़ित लोगों को कैसे हैंडल करना है। 112 सेवा के लिए पुलिसकर्मियों को कम्युनिटी पुलिसिंग, ज्यादा से ज्यादा लोगों से समन्वय स्थापित करने और समस्या के समाधान के लिए प्रशिक्षित किया गया है, ताकि उनका व्यवहार लोगों के प्रति अच्छा हो।
जानें, डायल 112 ही क्यों?
भारत के अलावा विश्व के 80 देशों में आपात सेवा का नंबर 112 है। 1972 में यूरोपियन कॉन्फ्रेंस ऑफ पोस्टल ऐंड टेलिकम्युनिकेशन (सीईपीटी) ने 112 नंबर का आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर के लिए चयन किया था। उस दौरान टेलिफोन में 112 नंबर डायल करने में सबसे कम समय लगता था। इसकी एक वजह यह भी थी कि उस समय टेलिफोन के तीन नंबर छेद में छोटा सा ताला लगाकर फोन को लॉक किया जाता था इसलिए फोन लॉक होने के बाद भी 112 नंबर मिलाया जा सकता था।
112 या 911 की हुई थी संस्तुति
मोबाइल फोन में 112 नंबर पहले ही दर्ज रहता है। वर्ष 2008 में इंटरनैशनल टेलिकम्युनिकेशन्स यूनियन (आईटीयू) ने 112 या 911 को सारे देशों में आपातकालीन नंबर के रूप में अपनाने की संस्तुति की थी। यूरोपियन यूनियन ने इसे कई वर्षों पहले ही 112 को अपना लिया है।