भारत में कोरोना का कहर अभी थमा भी नहीं है कि एक और नई समस्या बर्ड फ्लू ने लोगों की मुसीबत बढ़ाना शुरू कर दिया है। एवियन फ्लू की वजह से देश में हजारों-लाखों चिड़ियों, बत्तख, कौवे और प्रवासी पक्षियों की मौत हो चुकी है। वहीं जनपद में दातागंज और बिल्सी इलाके में मुर्गों में बर्ड फ्लू (एवियन इन्फ्लूएंजा) इसकी पुष्टि हुई है। इसके मद्देनजर जिला प्रशासन ने एक किमी के दायरे में संक्रमित जोन और दस किमी के दायरे में सर्विलांस जोन घोषित कर दिया है। वहीं पक्षियों समेत सभी तरह की मांस की बिक्री पर पाबंदी लगा दी गयी है।
कोरोना वायरस की तरह इंफ्लूएंज़ा-ए वायरस के भी कई स्ट्रेन होते हैं। कुछ बेहद हल्के किस्म के होते हैं, जो पक्षियों की अंडे देने की क्षमता को प्रभावित करते हैं, वहीं, कुछ स्ट्रेन जानलेवा साबित होते हैं। बर्ड फ्लू की बीमारी के तीन टाइप हैं-ए, बी और सी। सबसे ज्यादा बीमारी और आपदा जिस बर्ड फ्लू से फैलती है वो ए टाइप का है। इसके हेमाग्लुटिनिन 16 तरह के होते हैं यानि एच1 से एच16 तक। वहीं न्यूरामिनिडेज नौ तरह के होते हैं, एन1 से लेकर एन9 तक। इसमें एच5एन1 (H5N1) वायरस को सबसे खतरनाक माना जाता है, बर्ड फ्लू की बीमारी एवियन इन्फ्लूएंज़ा वायरस H5N1 की वजह से होती है। ये हवा से फैलने वाले वायरस ही हैं लेकिन आमतौर पर पक्षियों को ही ज्यादा प्रभावित करते हैं। यह एक अत्यधिक संक्रामक वायरल बीमारी है। आमतौर पर मुर्गियों और टर्की जैसी पक्षियों को प्रभावित करती है। बर्ड फ्लू इंफेक्शन मुर्गी, टर्की, गीस, मोर और बत्तख जैसे पक्षियों में तेज़ी से फैलता है। आमतौर पर कई तरह के पक्षियों के सिस्टम में ये वायरस होता है लेकिन किसी तरह की बीमारी पैदा नहीं करता और मल के माध्यम से शरीर से निकल भी जाता है। वहीं, कई मामलों में ये वायरस पक्षियों के मल के माध्यम से सुअर, घोड़े, बिल्ली और कुत्तों जैसे जानवरों में फैल जाता है।
कब आया और कैसे फैलता है बर्ड फ्लू
बर्ड फ्लू के फैलने की मुख्य वजह पशु बाजारों का अनियमित होना और संक्रमित पोल्ट्री उत्पादों का दुनिया भर में ट्रांसपोर्टेशन है। इस फ्लू के किटाणू 10 दिन तक जिंदा रहते है। संक्रमित पक्षियों के मल और लार में ये वायरस 10 दिनों तक जिंदा रहता है। दूषित सतहों को छूने से ये संक्रमण फैल सकता है। इसके साथ ही प्रवासी पक्षियों की वजह से भी बर्ड फ्लू एक देश से दूसरे देश में फैलता है। साल 1997 में पहली बार इंसानों में बर्ड फ्लू का मामला सामने आया था। चीन के गुआंगडोंग में इंसानों को H5N1 बर्ड फ्लू वायरस ने पहली बार संक्रमित किया था। उसके बाद से कई ऐसे मौके आए जब बर्ड फ्लू के बारे में लोगों को पता लगा लेकिन संक्रमित पक्षियों को खत्म करने के बाद बर्ड फ्लू का फैलना रुक जाता है। वहीं भारत में साल 2006 में बर्ड फ्लू का मामला सामने आया था। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2006 में अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की थी कि भारत के महाराष्ट्र राज्य में मुर्गियों में बर्ड फ्लू के वायरस पाए गए हैं। यह पहला मौका था जब दुनिया के अनेक देशों में फैल चुकी इस बीमारी के वायरस भारत में पाए गए थे। तब से लेकर लगभग हर साल किसी न किसी राज्य में बर्ड फ्लू के मामले सामने आते रहे हैं।
बर्ड फ्लू इंसानों में फैलता है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक H5N1 के कारण संक्रमित लोगों में मृत्यु दर लगभग 60 फीसदी है यानी इस बीमारी से मृत्यु दर कोरोना वायरस से भी ज्यादा है हालाँकि बर्ड फ्लू आसानी से इंसानों में नहीं फैलता। अगर संक्रमित पक्षी मृत हो और इसका सेवन किया जाएं तो ये इंसानों के शरीर में पहुंच सकता है और उन्हें संक्रमित कर सकता है। ये वायरस संक्रमित पक्षी के मल, लार में लगभग 10 दिनों तक जिंदा रह सकता है। ऐसे लोग जो मुर्गीपालन के कार्यो से जुड़ें है उन्हें वायरस के संपर्क में आने का खतरा ज्यादा होता है। इसके अलावा अगर संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आते है या कच्चा या अच्छी तरह से पका हुआ चिकन, अंडा खाते है तो भी इस वायरस की चपेट में आने का खतरा बना रहता है। अगर वायरस म्यूटेट हो जाता है और अपने आकार में बदलाव कर इंसानी सेल को पकड़ लेता है और इंसान से इंसान में आसानी से फैलने लगता है, तो ये एक महामारी का रूप भी ले सकता है। फ्लू के वायरस आसानी से म्यूटेट कर जाते हैं, क्योंकि उनमें खंडित जीनोम होता है। अभी तक हम जितने भी फ्लू के बारे में जानते हैं, जैसे मौसमी फ्लू और कोरोना वायरस, इसी तरह म्यूटेट करके पक्षियों से इंसानों में फैलने शुरू हो गए।
क्या ऐसे में अंडे, चिकन या पोल्ट्री प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना चाहिए?
ऐसे भी कोई मामले सामने नहीं आए हैं, जहां लोगों को अच्छी तरह पकाए हुए मुर्गे या उसके अंडे खाकर बर्ड फ्लू हुआ हो। ये वायरस गर्म तापमान सहन नहीं कर सकता, इसलिए पकाए जाने पर मर जाता है। WHO (वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन) की गाइडलाइन्स के मुताबिक, जब भी चिकन या अंडा घर में लाएं, उसके बाद अच्छे से हाथ धोएं। सफ़ाई-सफाई का पूरा ध्यान रखें, बनाते वक़्त उसे अच्छे से पकाएं. कभी आधा-कच्चा या बिन पका न छोड़ें। पूरी तरह से पकाकर और अंडे को उबालकर ही खाएं. ये देखा गया है कि बर्ड फ्लू का वायरस अगर किसी चीज़ में है और उसे 30 मिनट टक 70 डिग्री तापमान पर पकाएं तो ये वायरस मर जाता है।
बर्ड फ्लू से बचने का तरीका क्या है?
अगर आपके घर या पोल्ट्री फार्म में आप पक्षियों के संपर्क में रहते हों पीपीई किट, मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए। मरे हुए पक्षियों के अवशेष को ना छुएं, अपने हाथ नियमित रूप से धोते रहें और साफ सफाई का ध्यान रखें, छींकते वक्त मास्क पहने रखें। अगर आप पक्षी पालते हैं, तो उसकी साफ सफाई का ध्यान दें, उसके आसपास अन्य बाहरी पक्षियों को न आने दें, साथ ही ज्यादा से ज्यादा उनके पिंजरे से दूर रहें। अगर आपके घर के पास यदि पक्षी ने घोंसला बनाया है, तो उसे कुछ वक्त के लिए हटा दें या इंसानों से दूर सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दें।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक इंसानों में होने वाला बर्ड फ्लू स्लॉटर होम और मरी हुई या बीमार पक्षियों को छूने की वजह से फैलता है। आमतौर पर इसका इंफेक्शन बहुत हल्का फुल्का होता है, खांसी, सांस लेने में परेशानी, बुखार और सर दर्द जैसे समस्या हो सकती है लेकिन उन लोगों को ज्यादा सावधानी लेनी चाहिए जिनकी इम्युनिटी कम है यानि जो पहले से डायबिटीज, अस्थमा या अन्य रोगों के शिकार हैं। बच्चों की इम्यूनिटी शक्ति भी कमजोर होती है इसलिए उनके लिए बर्ड फ्लू ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है। बर्ड फ्लू से बचने का सबसे आसान और अच्छा तरीका है कि अपनी हाईजीन का ध्यान रखें।
साथ ही अलग अलग राज्य सरकारों ने बर्ड फ्लू के लिए हेल्पलाइन बनाया है। यूपी में पशुपालन निदेशालय में कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है, जो कि 24 घंटे काम करता है, आपको कोई दिक्कत होती तो इन पर सम्पर्क कर सकते हैं, इसका टोल फ्री नंबर-18001805154 और फोन नंबर-0522-2741991-92 है। दिल्ली में बर्ड फ्लू के लिए एक इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर 011-23890318 जारी किया गया है।