बदायूं। जनपद में शनिवार को जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए तीन प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र दाखिल किये। भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला है लेकिन बहुमत किसी के पास नहीं हैं, ऐसे में जीत की चाबी निर्दलीय व बसपा जिला पंचायत सदस्यों के हाथ में है।
शनिवार को जिला निर्वाचन अधिकारी दीपा रंजन के निर्देशन में सहायक निर्वाचन अधिकारी नरेन्द्र बहादुर सिंह एवं सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी प्रवेन्द्र सिंह पटेल की मौजूदगी में जनपद में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए कलेक्ट्रेट में नामांकन किया गया। सबसे पहले भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी वर्ष यादव ने अपना नामांकन कराया। इसके बाद समाजवादी पार्टी की ओर से सुनीता शाक्य और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ऐश्वर्या यादव ने नामांकन पत्र जमा किये। नामांकन के लिए प्रत्याशी के साथ प्रस्तावक और अनुमोदक को ही जाने की इजाजत रही। अन्य लोग प्रत्याशियों के साथ अंदर न जाने पाएं, इसके लिए पुलिस ने कड़े इंतजाम किए गए थे।
इस दौरान कलक्ट्रेट में अंदर प्रवेश करने को लेकर भाजपा जिलाध्यक्ष अशोक भारतीय, नगर विकास राज्यमंत्री महेश चंद्र गुप्ता, राज्यसभा सांसद बीएल वर्मा, शेखुपुर विधायक धर्मेंद्र शाक्य के साथ पुलिस की नोकझोंक भी हुई। नामांकन के बाद पर्चों की जांच की गई। इस बार चुनाव में नाम वापस लेने की तारीख 29 जून है। इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोजन तीन जुलाई को होने वाले मतदान की तैयारी में लग जाएगा। तीन जुलाई को मतदान के बाद नतीजे भी घोषित होंगे।
सपा ने खेला दांव
उत्तर प्रदेश में सत्ता के सेमीफाइनल माने जाने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में सपा कोई मौका छोड़ना नहीं चाहती है। जनपद की विधानसभा सीटों पर पिछड़ा वर्ग के मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। इसीलिए भाजपा ने वर्षा यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं समाजवादी पार्टी ने एक कदम आगे बढाते हुए बसपा से निष्कासित पूर्व विधायक सिनोद शाक्य की पत्नी सुनीता शाक्य को जिला पंचायत अध्यक्ष का प्रत्याशी बनाया है। दोनों को आज ही पार्टी में शामिल किया गया है।
सेमीफाइनल की चाबी बसपा व निर्दलीय सदस्यों के हाथ
जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए रण सज चुका है। मुख्य टक्कर भाजपा और सपा के बीच है। दोनों पार्टियों के अपने-अपने दावे हैं, लेकिन अध्यक्ष पद की कुर्सी की चाबी बसपा व निर्दलीय जिला पंचायत सदस्यों के हाथ में हैं। ऐसे में दावे चाहे कुछ भी हों, लेकिन पार्टी के पदाधिकारी व प्रत्याशी दोनों ही जिला पंचायत सदस्यों के मान मनौव्वल में लगे हैं। जिला पंचायत के निर्वाचित कुल 51 सदस्यों में भाजपा के पास सर्वाधिक 17 सदस्य हैं। इसके बाद भी बिना निर्दलीय के सहयोग से इनका भी बेड़ा पार नहीं होगा। वहीं सपा के पास 12 सदस्य हैं। निर्दलियों की संख्या 15 है।
इसके अलावा बसपा के छह और कांग्रेस का एक सदस्य है। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए कम से कम 26 सदस्यों के समर्थन की जरूरत है। जातिगत आंकड़ों में 26 सदस्य अन्य पिछड़ा वर्ग के हैं। इसके अलावा 14 सदस्य सामान्य और 11 अनुसूचित जातियों से ताल्लुक रखते हैं। अन्य पिछड़ा वर्ग के कुल 26 सदस्यों में सबसे ज्यादा 13 यादव बिरादरी के हैं।