लखनऊ। योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में सांप काटने से होने वाली मौतों के मामले में मुआवजे के नियमों में छूट दी है। इससे पहले तक सांप काटने से होने वाली मृत्यु के मामले में ज्यादातर लोगों को सरकार की तरफ से मुआवजा नहीं मिल पाता था। जबकि सरकार ने 4 लाख रुपए मुआवजे का प्रावधान किया है। अब इसके लिए बिसरा रिपोर्ट की जरुरत नहीं होगी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर ही मुआवजा मिलेगा।
उत्तर प्रदेश सरकार ने नियमों में संशोधन करते हुए कहा है कि विसरा रिपोर्ट प्रिजर्व (सुरक्षित) करने की अब जरूरत नहीं है। शासन की ओर से स्पष्ट निर्देश है कि मृतकों के आश्रितों को आर्थिक सहायता के लिए उनके परिजन की मौत सर्पदंश से ही हुई है, इसके प्रमाण के लिए बिसरा रिपोर्ट का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। बल्कि मृत्यु के बाद मृतक के पंचनामा और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर ही 7 दिनों के अंदर उन्हें सरकार की ओर से मिलने वाली आर्थिक सहायता उपलब्ध करा दी जाएगी।
अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने आदेश में कहा कि, “शासन के संज्ञान में आया है। सर्पदंश से मौत को प्रमाणित करने के लिए मृतक का विसरा जांच के लिए फॉरेंसिंक लैब भेजा जाता है और रिपोर्ट की प्रतीक्षा में आश्रितों को आर्थिक मदद नहीं मिल पाती है। दूसरी ओर फॉरेंसिक स्टेट लीगल सेल के तहत सर्पदंश के मामलों में विसरा रिपोर्ट को प्रिजर्व करने का कोई औचित्य नहीं है। साथ ही विसरा जांच रिपोर्ट से सर्पदंश से मृत्यु होने की पुष्टि भी नहीं होती है। ऐसे में पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर 7 दिन के अंदर मुआवजा दिया जाए।”
उत्तर प्रदेश सरकार ने अगस्त 2018 में सर्पदंश मृत्यु को राज्य आपदा में शामिल किया था, जिसके तहत मृत्यु की दशा में परिजनों को 4 लाख रुपए दिए जाने का प्रावधान था। लेकिन उस वक्त बिसरा रिपोर्ट अनिवार्य थी, जिसके चलते ज्यादातर लोगों को लाभ नहीं मिल पाता था।
भारत में हर साल औसतन 8500 से ज्यादा मौतें
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो एक्सीडेंटल डेथ एंड सुसाइड इन इंडिया 2018 के मुताबिक देशभर में सांप काटने से 8962 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें 5574 पुरुष और 3388 महिलाएं शामिल थीं। देशभर में हुई मौतों में से 359 मौतें उत्तर प्रदेश में हुई थीं।