बिसौली। कछुओं से जुड़ी मान्यताएं और भोजन में इस्तेमाल ही उसकी जान का दुश्मन बन गई हैं। इसलिए बड़े पैमाने पर उसकी तस्करी होती है। शनिवार को बिसौली थाना क्षेत्र में पुलिस और वन विभाग की टीम ने दो कछुआ तस्कर को गिरफ्तार किये हैं। इनके पास से 23 कछुए बरामद किए हैं। जिनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत डेढ़ लाख रुपये आंकी जा रही है। कछुओं की अंतराष्ट्रीय कीमत करीबन 2 लाख रूपए है।
शनिवार को सूचना पर पुलिस और वन्य विभाग की टीम ने आसफपुर तिराहे के पास बाइक सवार दो युवकों को गिरफ्तार किया। गिफ्तार अभियुक्त की तलाशी लेने पर उनके पास बोरों से तलाशी में 23 कछुए बरामद हुए। दोनों ही आरोपी बिसौली के मोहल्ला चारबाग के निवासी हैं और कछुए के ग्राहक की तलाश में निकले थे।
वास्तु दोष दूर करने के लिए
आपने बहुत से घरों, दुकान या अन्य प्रतिष्ठानों में छोटे से पानी के पात्र में चांदी या मार्बल का बना कछुआ रखा देखा होगा। इन्हें वास्तुशास्त्रियों की सलाह पर वास्तु दोष दूर करने और सुख समृद्धि के लिए रखा जाता है। इसकी जगह अब भारत समेत दुनिया के कई देशों में लोग घरों की खूबसूरती बढ़ाने और वास्तु दोष दूर करने के लिए कांच के बर्तन में असली कछुओं को पालने लगे हैं। बहुत से लोगों का मानना है कि घर में कछुआ रखने से धन यानि लक्ष्मी आती है। इस तरह की भ्रांतियां इन संरक्षितों जीवों की जान पर खतरा साबित हो रही हैं।
तंत्र क्रियाओं के लिए भी उपयोग में लाए जाते है कछुएं
तंत्र क्रियाओं को मानने वाले भी इन कछुओं का इस्तेमाल धन प्राप्ति के लिए करते हैं। इसलिए भी कछुए की खरीद फिरोख्त गोपनीय ठंग से तस्कर इसी प्रकार करते हैं। कुछ तांत्रिक कछुएं के अंग सिद्धी के लिए भी उपयोग में लाते हैं।
मांस खाने के लिए
पूर्वोत्तर भारत समेत कुछ राज्यों में कछुए का मांस खाने का भी चलन है, जो कि प्रतिबंधित है। लिहाजा गैरकानूनी तरीके से मांस के लिए भी इनकी बिक्री होती है। भारत समेत एशिया के लगभग सभी देशों में कछुए का मांस खाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि कछुए का मांस बहुत गुणकारी होता है। हालांकि, इसका भी कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।
225 किस्म के हैं कछुए
पूरी दुनिया में 225 किस्म के कछुए पाए जाते हैं। सबसे बड़ा समुद्री कछुआ सामान्य चर्मकश्यप होता है। समुद्री कछुआ लगभग आठ फुट लंबा और 30 मन तक भारी हो सकता है। इसकी पीठ पर कड़े शल्कों की धारियां सी रहती हैं, जिन पर खाल चढ़ी होती है। भारत में भी कछुओं की लगभग 55 प्रजातियां पायी जाती हैं। इनमें साल, चिकना, चितना, छतनहिया, रामानंदी, बाजठोंठी और सेवार प्रमुख हैं।