बदायूं/बिल्सी। सदर सीट पर भाजपा से महेश चंद्र गुप्ता उम्मीदवार हैं, जो प्रदेश के नगर विकास राज्यमंत्री भी हैं। सपा से रईस अहमद, बसपा से राजेश कुमार सिंह, कांग्रेस से युवा प्रत्याशी रजनी सिंह मैदान में हैं। इनके अलावा वंचित समाज पार्टी के उस्मान गद्दी, भारतीय सुभाष सेना से नंदराम, निर्दलीय हेम सिंह समेत सात प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं।
अपने मौजूदा विधायक राधा कृष्ण शर्मा के सपा में जाने की वजह से बिल्सी सीट पर भाजपा ने इस चुनाव में हरीश शाक्य को प्रत्याशी बनाया है। सपा ने गठबंधन में यह सीट महान दल के लिए छोड़ी है। महान दल ने अध्यक्ष केशव देव मौर्य के बेटे चंद्रप्रकाश मौर्य को प्रत्याशी बनाया है। बसपा से ममता शाक्य और कांग्रेस से अंकित चौहान समेत 11 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। राष्ट्रीय परिवर्तन दल ने ठाकुर वीपी सिंह सोलंकी को चुनाव मैदान में उतारा है। सहसवान चेयरमैन मीर हादी अली उर्फ बाबर मियां भीम आर्मी के राजनीतिक फ्रंट आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी बतौर मैदान में हैं।
10 Mar 2022 4:30 PM (IST) बदायूं शहर से भाजपा प्रत्याशी महेश चन्द्र गुप्ता और बिल्सी सीट से भाजपा प्रत्याशी हरीश शाक्य ने जीत दर्ज की।
10 Mar 2022 10:38 (IST) बदायूं में समाजवादी पार्टी फिलहाल भाजपा को चुनौती दे रही है, सपा उम्मीदवार रईस अहमद मात्र 198 वोट पीछे चल रहे हैं। भाजपा उम्मीदवार महेश चन्द्र गुप्ता को अभी तक 49747 और सपा उम्मीदवार को 49549 वोट मिले हैं।
10 Mar 2022 10:38 (IST) बिल्सी से भाजपा उम्मीदवार 3134 वोटों से आगे चल रहे हैं, उनके पीछे सपा गठबंधन उम्मीदवार चन्द्र प्रकाश मौर्य 2615 वोट के साथ बने हुए हैं।
10 Mar 2022 09:37 (IST) बदायूं सदर से महेश चन्द्र गुप्ता 3365वोटों के साथ आगे चल रहे हैं, वहीं सपा से रईस अहमद 2383 वोटों के साथ उनका पीछा कर रहे हैं।
राजनैतिक इतिहास
उत्तर प्रदेश की बदायूं विधानसभा सीट के राजनीतिक इतिहास की बात की जाए तो ये सीट सन 1951 में बदायूं नार्थ विधानसभा सीट के रूप में अस्तित्व में आई थी। इस विधानसभा सीट पर सबसे पहले सोशलिस्ट पार्टी के निहालउद्दीन विधायक बने थे। बाद में सन 1957 में इस सीट का नाम बदायूं हो गया था। इसके बाद जब दोबारा चुनाव हुए तो इस सीट से निर्दलीय टीका राम ने चुनाव जीता। बदायूं विधानसभा सीट से केवल एक बार ही कोई विधायक दोबारा चुनाव जीत सका, उस विधायक का नाम था कृष्ण स्वरूप वैश्य। उन्होंने 1989 और 1991 में बीजेपी से चुनाव लड़ा था और दोनो बार चुनाव जीता। इसके बाद 1991 से अब तक यहां की जनता ने लगातार अपना जनप्रतिनिधि बदला है।
वहीं बिल्सी विधानसभा का गठन साल 1951 में हुआ था। यह पहले सहसवान ईस्ट के नाम से जानी जाती थी। 1957 के चुनाव में इस विधानसभा सीट का नाम इस्लाम नगर हो गया। इस चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई। 1962 में सुरक्षित सीट कर दिया गया। इसका नाम बदलकर कोट विधानसभा हो गया। 1967 में इस सीट का नाम बदलकर अम्बियापुर हो गया। 1974 में इस विधानसभा क्षेत्र का नाम बिल्सी रखा गया। बिल्सी विधानसभा सीट से साल 1996 में पूर्व सीएम मायावती ने भी चुनाव लड़ा था। यह सीट तभी चर्चा में आई थी। मायावती ने तब बीजेपी उम्मीदवार योगेंद्र कुमार सागर को दो हजार से ज्यादा वोटों से हराया था।
उस साल मायावती दो सीटों से चुनाव लड़ी थीं। उन्होंने सहारनपुर की हरोंदा विधानसभा सीट को बरकरार रखा और बिल्सी सीट से इस्तीफा दे दिया। 1962 में सुरक्षित सीट बनी बिल्सी विधानसभा 2007 में सामान्य हो गई थी। 1996 में सुरक्षित यानी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने की वजह से ही मायावती यहां से चुनाव लड़ी थी।