लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड जीत के बाद आज शुक्रवार को योगी आदित्यनाथ ने लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। योगी आदित्यनाथ के साथ उनके मंत्रिमंडल में शपथ लेने वाले दो डेप्युटी सीएम और मंत्रियों के चेहरों के बीच जिस एक नाम ने सबसे ज्यादा हैरान किया, वो है दानिश आजाद अंसारी का। योगी मंत्रिमंडल में एकमात्र मुस्लिम चेहरा दानिश कैबिनेट के सबसे युवा मंत्रियों में शुमार हो गए हैं।
दानिश आजाद अंसारी बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा में प्रदेश महामंत्री हैं। मूलरूप से बलिया जिले के बसंतपुर गांव निवासी निवासी दानिश आजाद अंसारी को राज्यमंत्री के बतौर शामिल किया गया है। 2006 में लखनऊ यूनिवर्सिटी से बी.कॉम की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद यहीं से मास्टर ऑफ क्वालिटी मैनेजमेंट फिर मास्टर ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई की है। जनवरी 2011 में भाजपा के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़ गए।
32 साल की उम्र में मंत्री बने दानिश को सीएम योगी का भी करीबी माना जाता है, योगी सरकार बनने पर उन्हें भाषा समिति का सदस्य बनाया गया था। ये एक तरह से दर्जा प्राप्त मंत्री का पद होता है। पिछले साल बीजेपी ने उन्हें जिम्मेदारी देते हुए भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चे का प्रदेश महामंत्री बना दिया गया था। वह लगातार अल्पसंख्यक समाज के बीच सक्रिय बने हुए थे, जिसका पुरस्कार उन्हें योगी सरकार का मंत्री बनाकर दिया गया है। वह यूपी सरकार की फखरुद्दीन अली मेमोरियल समिति के सदस्य भी रह चुके हैं।
अंसारी समुदाय से आते हैं दानिश
दानिश मुस्लिमों के अंसारी समुदाय से आते हैं। यूपी में अंसारी मुस्लिमों की संख्या काफी अधिक है। ये मुस्लिमों में एक तरह से पिछड़े वर्ग की जाति होती है। यूपी की सियासत में इनकी भूमिका काफी कम है। इसके उलट अगड़ी जातियां जिसमें शेख, पठान, सैय्यद, मुस्लिम राजपूत और मुस्लिम त्यागी यूपी की राजनीति में हावी हैं। ऐसे में भाजपा पिछड़े मुस्लिमों को अपने साथ लाना चाहती है।
6 महीने के अंदर बनना होगा विधानसभा का सदस्य
2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने किसी भी मुस्लिम को प्रत्याशी नहीं बनाया। हालांकि भाजपा के सहयोगी अपना दल सोनेलाल से हैदर अली को स्वार सीट से आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम के खिलाफ चुनाव लड़ाया गया, लेकिन वो हार गए। चूँकि दानिश किसी भी सदन का हिस्सा नहीं हैं इसीलिए उन्हें मंत्री पद पर बने रहने के लिए अगले 6 महीने के अंदर यूपी के किसी विधानसभा क्षेत्र से एमएलए या एमएलसी चुनकर आना होगा।