बदायूं। पूर्व सांसद धर्मेन्द्र यादव ने लोकसभा चुनाव 2019 में बदायूं से संघमित्रा मौर्य के निर्वाचन के खिलाफ अभियोग वापस ले लिया है। सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव ने चुनाव परिणाम पर आपत्ति दर्ज करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में अभियोग दायर किया था। धर्मेंद्र यादव को स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य ने 18384 वोटों से शिकस्त दी थी।
धमेंद्र यादव साल 2009 में 2.33 लाख वोट पाकर बदायूं से सांसद चुने गए थे। 2014 में मोदी लहर के दौरान उनको बदायूं में रिकार्ड 4.98 लाख वोट मिले लेकिन 2019 में सपा प्रत्याशी के रूप में 4.92 लाख वोट हासिल करने के बावजूद वह लोकसभा नहीं पहुंच सके। धर्मेंद्र यादव को स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य ने 18384 वोटों से शिकस्त दी। चुनाव नतीजों के बाद उन्होंने प्रशासन पर मतगणना में गड़बड़ी का आरोप लगाया था।
धर्मेन्द्र यादव ने कहा, ‘मेरी आपत्ति बिल्सी विधानसभा सीट पर हुई मतगणना को लेकर है। वोटिंग होने के बाद जो रिकॉर्ड मुझे उपलब्ध कराया गया था उन आंकड़ों के मुताबिक 1,88,248 वोट पड़े थे। सबसे कम वोट बिल्सी में ही पड़े थे। लास्ट राउंड की गिनती के बाद जो आंकड़े आए हैं, उनमें उस सीट पर 1,96,110 वोट पाए गए। इस तरह फाइनल गिनती में इस सीट पर करीब 8 हजार वोट ज्यादा पड़ गए हैं।’
इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में अभियोग दायर किया था। धर्मेन्द्र ने आरोप लगाया कि मतगणना में 8 हजार वोटों की गड़बड़ी की गई है। साथ ही उन्होंने कहा कि नामांकन के वक्त दिए गए हलफनामे में भाजपा सांसद ने जिस संपत्ति का जिक्र किया था वो उनके पति की थी। वहीं नामांकन पत्र में पति के स्थान पर पिता का नाम लिखा था। जबकि उनका तलाक नहीं हुआ है।
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अभियोग में तत्कालीन डीएम दिनेश कुमार सिंह पर भी आरोप लगा था। इस मामले में हाइकोर्ट ने डा. संघमित्रा को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने का आदेश भी दिया था। वहीं अब धर्मेंद्र यादव ने कहा कि अभियोग वापस लेने के लिए शपथ पत्र तो कई महीना पहले हाईकोर्ट में दे दिया था। अब उसे स्वीकार किया गया है। चूंकि स्वामी प्रसाद मौर्य सपा में आ चुके हैं, इसलिए यह निर्णय लिया है।
आजमगढ़ में बसपा पर फोड़ा था हार का ठीकरा
धर्मेन्द्र यादव ने जहाँ 2019 के चुनाव में बदायूं में हार का ठीकरा प्रशासन पर फोड़ा था वहीं हाल ही आजमगढ़ उपचुनाव में हार के लिए बसपा और प्रशासन को जिम्मेदार बता दिया था। धर्मेंद्र यादव ने उपचुनाव में अपनी हार के कारणों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि मैं अपनी हार के लिए भाजपा-बसपा के गठबंधन को बधाई दूंगा, जो प्रत्यक्ष तौर पर राष्ट्रपति के चुनाव में भी सामने आ गया।
उन्होंने कहा कि समाजवादियों का गढ़ आजमगढ़ रहा है। यहां पर सपा को हराने के लिए भाजपा के मंत्री से लेकर जिला प्रशासन व बसपा के प्रत्याशी लगे हुए थे। इस तिकड़ी गठजोड़ के चलते उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि मैं अपनी हार के लिए बसपा-भाजपा के गठबंधन को बधाई दूंगा जो प्रत्यक्ष तौर पर राष्ट्रपति के चुनाव में सामने आया और आजमगढ़ के चुनावों में पहले से चल रहा था।