बदायूं। जनपद में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए जोर आजमाइश शुरू हाे गई है। मंगलवार देर शाम पुलिस-प्रशासन की टीम जिला पंचायत के वार्ड नंबर छह से कांग्रेस से जिला पंचायत सदस्य घर तोड़ने पहुंच गई। सूचना पर कांग्रेस जिलाध्यक्ष ओमकार सिंह भी पहुंच गए। कांग्रेस जिलाध्यक्ष और ग्रामीणों ने जब इस कार्रवाई का विरोध किया तो टीम बिना कार्रवाई किए ही वापस लौट गई। फ़िलहाल पुलिस-प्रशासन की टीम बुधवार तक वापस लौट गई है।
तीन जुलाई को जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव को लेकर चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है। सियासी गलियारों में हलचल शुरू हो गई है। जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के लिए भाजपा की वर्षा यादव और सपा की सुनीता शाक्य के बीच मुकाबला है। निर्दलीय उम्मीदवार ऐश्वर्या यादव ने मंगलवार को नाम वापस ले लिया है। सपा के पास जहां 14 सदस्य हैं, वहीं भाजपा के पास 17 सदस्य हैं। ऐसा माना जाता है कि इन चुनावों में जिसके जितने ज्यादा अध्यक्ष बनेंगे वह पार्टी जमीनी स्तर पर खुद को उतना ही मजबूत दिखाती है। इसीलिए दोनों राजनैतिक दलों की निगाहें निर्दलीय, बसपा, कांग्रेस से जीते जिला पंचायत सदस्यों पर हैं। इन सदस्यों को अपने पाले में लाने के लिए साम, दाम दंड का प्रयोग भी किया जा रहा है।
पंचायत चुनाव में पड़ौलिया निवासी अनुसूचित जाति की कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार ईश्वरवती भारी अंतर से चुनाव जीत थी। मंगलवार को एसडीएम सदर लालबहादुर, तहसीलदार सदर, सीओ सिटी चंद्रपाल सिंह भारी पुलिस बल के साथ ईश्वरवती के ईश्वरवती के घर ढहाने गांव पड़ौलिया पहुंच गए। इस दौरान जिला पंचायत सदस्य ईश्वरवती अपनी रिश्तेदारी में गई हुई थीं। वहीं उनके परिवार के अन्य सदस्य घर में मौजूद थे। प्रशासनिक अमले के पहुँचने पर ग्रामीण भी मौके पर जमा हो गए।
एसडीएम के मुताबिक ईश्वरवती का घर ग्राम पंचायत की भूमि पर बना हुआ है। ईश्वरवती का पति राजू करीब दस साल पहले इस गांव का प्रधान था, तब उसने मकान बनाया था। इस मामले के चुनाव से लेना देना नहीं हैं। वहीं परिवारवालों का कहना है कि करीबन 15 साल पहले घर बनवाया था, आज तक कभी ऐसी बात सामने नहीं आई, अगर निर्माण अवैध है तो प्रशासन ने इससे पहले नोटिस क्यों नहीं दिया।
इस बीच परिवार के लोगों ने कांग्रेस जिलाध्यक्ष ओमकार सिंह को सूचना दी तो खबर मिलते ही दल-बल के साथ गांव कूच कर गए। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस-प्रशासन सरकार के दबाव में काम कर रहा है और जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में हर संभव जोड़तोड़ करने में जुटा है। अगर निर्माण अवैध है तो पहले नोटिस देना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि जनता इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगी और भाजपा सरकार की तानाशाही का विधानसभा चुनाव में जवाब देगी।
काफी देर तक गहमागहमी के बाद पुलिस प्रशासन बुधवार तक का वक्त देकर वापस लौट गया। इससे पहले दोपहर को ईश्वरवती के घर दो लोग पहुंचे थे। परिवार के लोगों का कहना है कि उन्होने ईश्वरवती के बारे में पूछा और पता बताने पर 40 लाख का ऑफर भी दिया था।