लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य नहीं लिया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा है कि प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को जनहित याचिका में पारित आदेश के पालन का निर्देश दिया जाए।
यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी ने चारु गौर और दो अन्य की याचिका पर दिया है। याची के अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि याची से बूथ लेबल ऑफिसर तथा अन्य बहुत से कार्य लिए जा रहे हैं। जबकि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 तथा इसकी नियमावली के नियम 27 के अनुसार शिक्षकों की ड्यूटी गैर शैक्षणिक कार्यों में नहीं लगाई जा सकती। अधिवक्ता ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा सुनीता शर्मा व अन्य की जनहित याचिका में पारित आदेश का हवाला देकर भी बताया गया कि हाईकोर्ट ने भी शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्यों को लेने पर रोक लगाई है, फिर भी कार्य लिया जा रहा है।
न्यायालय ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम नियमावली के नियम 27 तथा न्यायालय द्वारा पारित आदेशों के परिपेक्ष्य में शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य नहीं लिया जा सकते हैं। इस आशय का दिशा निर्देश सभी उच्च अधिकारियों को अनुपालन हेतु जारी किया जाए।
हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि शिक्षकों से आपदा, जनगणना और सामान्य निर्वाचन के वक्त काम लिया जा सकता है। दरअसल, प्रदेश में टीचर्स से स्कूल में पढ़ाने के साथ साथ कई तरह के काम कराए जाते रहे हैं। अब तक मिड डे मील बंटवाना, भवन और बाउंड्री वॉल का निर्माण, रंगाई पुताई, स्कूल के खातों का संचालन, आधार कार्ड बनवाने में मदद जैसे बहुत से गैर शैक्षणिक कामों में टीचर्स का सहयोग लिया जाता है।