शेखूपुर/बिसौली। शेखुपुर विधानसभा पर समाजवादी पार्टी जीतने में कामयाब रही है, जहां उसके 24 वर्षीय प्रत्याशी हिमांशु यादव ने बीजेपी के धर्मेंद्र कुमार सिंह शाक्य को 5 हजार से ज्यादा वोटों से हरा दिया। वहीं बिसौली में भी समाजवादी उम्मीदवार आशुतोष मौर्य ने जीत हासिल की है। 2017 विधानसभा चुनाव में यह दोनों सीट भाजपा के खाते में गयी थीं।
शेखूपुर विधानसभा सीट बीजेपी ने धर्मेंद्र कुमार शाक्य को टिकट दिया था जबकि समाजवादी पार्टी ने हिमांशु यादव को उतारा तो बसपा की ओर से मुस्लिम खान और कांग्रेस से ममता देवी चुनावी दंगल में थे। हिमांशु यादव को कुल 105531 वोट मिले जबकि उनके प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी और पूर्व विधायक धर्मेंद्र शाक्य को 99431 वोट मिले। हिमांशू ने 6 हजार से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की। बसपा उम्मीदवार मुस्लिम खां को 34932 वोट ही मिले।
2017 विधानसभा चुनाव में शेखुपुर विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी धर्मेंद्र कुमार शाक्य ने जीत दर्ज की, उन्हें 93702 मत मिले जबकि दूसरे स्थान पर रहे समाजवादी पार्टी के आशीष यादव को 70316 मत मिले। इस तरह भाजपा प्रत्याशी ने 23386 मतों के अंतर से जीत दर्ज की। वहीं इस चुनाव में भाजपा से फिर धर्मेंद्र शाक्य मैदान में थे जबकि आशीष यादव ने इस बार अपने पुत्र हिमांशु यादव को चुनावी समर में उतारा था।
उधर बिसौली में भाजपा के कुशाग्र सागर और सपा प्रत्याशी आशुतोष मौर्य के बीच कड़ा मुकाबला हुआ और आखिरकार यह सीट भी सपा के खाते में गई। बिसौली विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ मानी जाती है। बिसौली से सपा प्रत्याशी आशुतोष मौर्य को 56830 वोट मिले। दूसरे स्थान पर रहे भाजपा के कुशाग्र सागर को 55261 तो बसपा के जयपाल ने 11864 वोट पाकर तीसरा पायदान प्राप्त किया।
2017 में भाजपा को यहां 1993 के बाद पहली बार कमल का फूल खिलाने में कामयाबी मिली थी। 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने निवर्तमान विधायक कुशाग्र सागर ) पर ही भरोसा जताया था। कांग्रेस ने प्रज्ञा यशोदा को मैदान में खड़ा किया था, उन्हें कुल 1089 वोट मिले वहीं बसपा से जयपाल सिंह को 23454 वोट मिले हैं।
10 Mar 2022 04:00 PM (IST) बिसौली में भाजपा के मौजूदा एमएलए कुशाग्र सागर और सपा प्रत्याशी आशुतोष मौर्य के बीच कड़ा मुकाबला हुआ और आखिरकार यह सीट भी सपा के खाते में गई।
10 Mar 2022 02:00 PM (IST) बिसौली में सपा-भाजपा के बीच कांटे का मुकाबला बना हुआ है, भाजपा प्रत्याशी कुशाग्र सागर 94487 वोट और सपा उम्मीदवार आशुतोष मौर्य 94036 वोट के साथ मैदान में डटे हुए हैं। वहीं शेखूपुर में समाजवादी पार्टी प्रत्याशी हिमांशु यादव ने जीत दर्ज कर ली है।
10 Mar 2022 02:00 PM (IST) बिसौली विधानसभा सीट पर भाजपा और सपा के बीच कड़ी टक्कर नजर आ रही है। यहाँ कभी भाजपा तो कभी सपा आगे हो रही है वहीं बसपा दोनों के आसपास भी नहीं हैं। इस वक्त सपा उम्मीदवार 3 हजार वोट से आगे चल रहे हैं, भाजपा उम्मीदवार कुशाग्र सागर को 44242 और सपा उम्मीदवार आशुतोष मौर्य को 47296 वोट मिले हैं।
10 Mar 2022 10:00 (IST) बिसौली में भाजपा और सपा में कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है, भाजपा उम्मीदवार 3857 वोट के साथ आगे चल रहे हैं वहीं सपा उम्मीदवार 3317 वोटों के साथ पीछे हैं।
10 Mar 2022 09:50 (IST) शेखूपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार धर्मेन्द्र शाक्य 4553 वोटों के साथ बढ़त बनाए हुए हैं, वहीं सपा उम्मीदवार हिमांशु यादव 1654 वोट के साथ काफी पीछे हैं।
राजनैतिक इतिहास
बिसौली विधानसभा सीट के राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो ये सीट साल 1957 में अस्तित्व में आई थी। बिसौली विधानसभा सपा का गढ़ मानी जाती रही है। योगेंद्र कुमार उर्फ कुन्नू बाबू दो बार सपा के टिकट पर विधायक चुने गए। कुन्नू बाबू के पिता बाबू ब्रज बल्लभ वर्ष 1980 में यहां से विधायक चुने गए। उन्होंने पूर्व मंत्री शिवराज सिंह को लगभग चार हजार मतों से शिकस्त दी थी। 2007 में राष्ट्रीय परिवर्तन दल के अध्यक्ष डीपी यादव की पत्नी उमलेश यादव चुनाव जीती थीं। एक बार यहां से भाजपा के टिकट पर दयासिंधु शंखधार ने विजय हासिल की। आरक्षण में सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित होने पर सपा से आशुतोष मौर्या उर्फ राजू चुनाव जीते। 2017 में भाजपा से कुशाग्र सागर ने 12 हजार वोटों से सपा प्रत्याशी राजू को हराया। कुशाग्र सागर भाजपा सरकार में पूर्व मंत्री रहे योगेंद्र सागर के पुत्र हैं।
शेखूपुर पहले उसहैत नाम से जिले में विधानसभा क्षेत्र था। इसे काटकर वर्ष 2012 में शेखूपुर विधानसभा क्षेत्र गठित किया गया। इसके पहले विधायक सपा से आशीष यादव बने। आशीष सपा के दिग्गज नेता रहे और मशहूर स्व. बनवारी सिंह यादव के बेटे हैं। आशीष को हराकर वर्ष 2017 में धर्मेंद्र शाक्य शेखूपुर विधायक बने। भाजपा के यह विधायक पूर्व मंत्री रहे भगवान सिंह शाक्य के पुत्र हैं। परंपरागत रूप से शेखूपुर सीट पर इन्हीं दो घरानों का वर्चस्व रहा है। शेखूपुर विधानसभा सीट के मतदाता केवल विधायक नहीं चुनते, सरकार बनाते हैं। पिछले 20 साल का इतिहास यही है, जिस दल के उम्मीदवार को शेखूपुर विधानसभा सीट से जीत मिली, सूबे में उसी दल की सरकार बनी है।