बदायूं। सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को बकवास बताते हुए कुछ चौपाइयां हटवाने या पाबंदी की मांग कर सियासी माहौल को गरमा दिया है। उनकी पार्टी ने ही उनसे पल्ला झाड़ लिया है जबकि उनकी बेटी और भारतीय जनता पार्टी सांसद संघमित्रा मौर्य ने बचाव किया है। संघमित्रा का कहना है कि उनके पिता ने श्रीरामचरितमानस की जिस चौपाई का जिक्र करते हुए उसे आपत्तिजनक बताया है, उस पर विद्वानों के साथ चर्चा की जानी चाहिए।
भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्य ने कहा कि हम तो हर चीज को सकारात्मक दृष्टि से लेते हैं जिनको आपत्ति हो रही है उन्हें सकारात्मक दृष्टि से देखना चाहिए कि जो व्यक्ति भगवान राम में नहीं भगवान बुद्ध में विश्वास रखता हो, वह व्यक्ति भाजपा में 5 साल रहने के बाद भगवान राम में आस्था कर रहे हैं और भगवान राम में आस्था करने की वजह से ही राम चरित मानस को पढ़ा। हम सब स्कूलों से ही सीखते आ रहे है कि यदि कोई डाउट हो तो उसका क्लियर फिकेशन होना चाहिए ताकि आगे हमें किसी तरह की कोई दिक्कत न आए।
उन्होंने कहा कि पिता जी ने राम चरित मानस को पढ़ा और उन्होंने अगर उस लाइन को कोड किया तो शायद इसलिए कोड किया होगा हालांकि मेरी इस सम्बंध में उनसे बात नहीं हुई है, क्योंकि वह लाइन स्वयं भगवान राम के चरित्र के विपरीत है। जहां भगवान राम ने शबरी के झूठे बेर खाकर के जाति को महत्व नहीं दिया वहीं पर उस लाइन में जाति का वर्णन किया गया है। उस लाइन को उन्होंने डाउट फुल दृष्टि से कोड करके स्पष्टीकरण मांगा तो हमें लगता है स्पष्टीकरण होना चाहिए। बहुत से विद्वान हैं और यह विषय मीडिया में बैठकर बहस का नहीं है, हमें लगता है विश्लेषण का बिषय है। इस पर विद्वानों के साथ बैठकर चर्चा होनी चाहिए कि वह लाइन है तो उसका क्या अर्थ है और उसका क्या मतलब है।
फाजिलनगर चुनाव में भी पिता के समर्थन में आई थीं संघमित्रा
संघमित्रा मौर्य के पिता स्वामी प्रसाद मौर्य ने 2022 विधानसभा चुनावों से पूर्व समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था। सपा ने उन्हें कुशीनगर जिले की फाजिलनगर सीट से प्रत्याशी बनाया। चुनाव प्रचार के दौरान फाजिलनगर में सपा और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट हो गई। आरोप लगा कि रोड शो के दौरान सपा प्रत्याशी स्वामी प्रसाद मौर्या के काफिले पर हमला हुआ है। पथराव में काफिले की कई गाड़ियों टूट गईं। भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी स्वामी प्रसाद के समर्थकों पर पथराव करने का आरोप लगाया।
विवाद बढ़ने के बाद भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्या भी डंडा लेकर पहुंच गई। उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं से कहा कि भाजपा शांति, दंगा मुक्त प्रदेश की बात करती है लेकिन बीजेपी प्रत्याशी ने मेरे पिता पर हमला किया है। उन्होंने कहा कि मैं आज खुलेआम यहां पर कहती हूं कि फाजिलनगर की जनता 3 मार्च को ऐसे हुड़दंगियों को सबक सिखाएगी और स्वामी जी को भारी मतों से विजयी बनाकर उनकी दबंगई को उनके घर में बंद करवाएगी।
घटनाक्रम के बाद डा. संघमित्रा ने फेसबुक लाइव के माध्यम से भी अपनी बात रखी। डा. संघमित्रा मौर्य बात तो फाजिलनगर की कर रही थीं लेकिन बीच में बदायूं के नेताओं पर निशाना साधना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि अब राजनीति का असली मजा आएगा। पहले किसी के खिलाफ नहीं बोलती थीं। अब पिता की लगाम नहीं होगी, भाजपा में स्वतंत्र रूप से काम करूंगी। अभी तक बदायूं में खेला होता रहा, उसे शीर्ष नेतृत्व के सामने रखूंगी। वर्ष 2019 और जिला पंचायत के चुनाव में पार्टी नेताओं ने जो किया, इस चुनाव में जो हुआ, उसके साक्ष्य शीर्ष नेतृत्व को दिखाऊंगी। हालाँकि फाजिलनगर सीट से स्वामी प्रसाद मौर्य को हार का सामना करना पड़ा था।
पहले भी स्वामी दे चुके हैं कई विवादित बयान
वर्ष 2014 में बसपा में रहते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने शादियों में गौरी गणेश की पूजा करने पर सवाल उठाया था। कर्पूरी ठाकुर भागीदारी सम्मेलन में उन्होंने कहा था कि शादियों में गौरी गणेश की पूजा नहीं करनी चाहिए। यह दलितों और पिछड़ों को गुमराह कर उनको गुलाम बनाने की साजिश है।
सपाइयों ने जताई आपत्ति, माफी मांगने की मांग
रामचरितमानस को लेकर सपा एमएलसी के बयान पर सपाइयों ने भी आपत्ति जताई है। सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा ने कहा कि यह उनका निजी बयान है, इससे पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है। नेताओं को जनता की समस्याओं आदि पर बोलना चाहिए। किसी धार्मिक पुस्तक पर बोलने से बचना चाहिए। स्वामी प्रसाद ने अज्ञानतावश बयान दिया है। उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। विधानसभा में सपा के मुख्य सचेतक मनोज पांडेय ने कहा कि जल्द ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलकर उनके बयान के बारे में जानकारी दी जाएगी। किसान नेता भगत राम मिश्र ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को पत्र भेजा है। इसमें उन्होंने स्वामी प्रसाद के बयान को रामचरितमानस का अपमान बताया है। उनके इस बयान से पार्टी को नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि मौर्य ने शायद रामचरितमानस नहीं पढ़ी है।
योगी सरकार में 5 साल रह चुके हैं मंत्री
स्वामी प्रसाद मौर्य पूरे पांच साल तक बीजेपी की सरकार में मंत्री रह चुके हैं लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी छोड़ते ही पार्टी को ‘राम का सौदागर’ बता दिया था। उन्होंने कहा कि बीजेपी वाले राम का सौदा भी कर लेते हैं, राम को भी बेच देते हैं।’ उनके बयान पर बवाल होने के बाद उस समय भी समाजवादी पार्टी ने बयान से पल्ला झाड़ लिया था। यही नहीं, चुनाव से ठीक पहले बीजेपी छोड़ने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीजेपी को सांप बता दिया था और कहा था कि ‘स्वामी रूपी नेवला बीजेपी को खा जाएगा।’ उसके बाद से बीजेपी के कार्यकर्ता ने स्वामी प्रसाद मौर्य को नेवला ही कहकर ट्रोल करना शुरू कर दिया था।