लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में प्रचंड जीत के बाद भाजपा ने पहली बार विधान परिषद में भी बहुमत हासिल कर लिया है। एमएलसी चुनाव में 36 में से कुल 33 सीटों पर बीजेपी कब्जा करने में कामयाब रही है, इनमे से नौ सीटें बीजेपी पहले ही निर्विरोध जीत चुकी थी। वहीं, मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया।
विधान परिषद की 36 सीटों के लिए हो रहे चुनाव में नौ सीटों पर बीजेपी के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) पहले ही निर्विरोध चुने जा चुके हैं। बाकी 27 सीटों के लिए पिछले शनिवार को मतदान हुआ था। आज 27 सीटों के लिए हुई मतगणना में भी 24 सीटों पर बीजेपी उम्मीदवार जीते। चुनाव में प्रमुख विरोधी दल सपा को बुरी हार का सामना करना पड़ा है। वह एक सीट भी नहीं जीत सकी है। हालांकि 3 निर्दलीय प्रत्याशी जरूर भाजपा और सपा की लड़ाई में अपनी पहचान बनाए रखने में कामयाब रहे हैं।
इस बड़ी जीत पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिक्रिया सामने आई है। सीएम योगी ने ट्विटर पर लिखा, ”आज उत्तर प्रदेश के स्थानीय प्राधिकारी विधान परिषद चुनावों में बीजेपी की प्रचण्ड विजय ने पुनः स्पष्ट कर दिया है कि आदरणीय प्रधानमंत्री के कुशल मार्गदर्शन एवं नेतृत्व में प्रदेश की जनता राष्ट्रवाद, विकास एवं सुशासन के साथ है।”
वाराणसी में बीजेपी को झटका
हालांकि, बीजेपी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में करारा झटका लगा है जहां निर्दलीय प्रत्याशी अन्नपूर्णा सिंह ने जीत हासिल कर ली। यहां बीजेपी तीसरे स्थान पर रही। अन्नपूर्णा सिंह जेल में बंद माफिया ब्रजेश सिंह की पत्नी हैं और लगातार दूसरी बार इस सीट से विधान परिषद का चुनाव बतौर निर्दलीय उम्मीदवार जीती हैं।
वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि वाराणसी सीट से पूर्व एमएलसी बृजेश सिंह की पत्नी निर्दलीय प्रत्याशी अन्नपूर्णा सिंह ने 4234 मत पाकर चुनाव जीत लिया है। उन्होंने अपने निकटतक प्रतिद्वंद्वी सपा के उमेश यादव को 3889 मतों से हराया। बीजेपी प्रत्याशी सुदामा पटेल 170 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे। इसके अलावा 127 मतपत्र निरस्त हुए हैं।
वाराणसी में बीजेपी को भले ही निराशा हाथ लगी लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार अन्नपूर्णा सिंह ने अपनी जीत के बाद कुछ ऐसा कह दिया है जिसने कि यह साबित कर दिया है कि चुनाव में अदृश्य रूप से ही लेकिन बीजेपी का उन्हें समर्थन जरूर था। बृजेश सिंह की पत्नी ने कहा है कि वह अपनी जीत का श्रेय पीएम मोदी और सीएम योगी को देना चाहती हैं। अन्नपूर्णा सिंह बीजेपी के विधायक सुशील सिंह की चाची हैं। सुशील सिंह को पूर्वांचल के प्रभावशाली चेहरों में एक कहा जाता है और वह सीएम योगी के बेहद करीबी भी हैं।
40 साल बाद किसी पार्टी को बहुमत
यूपी विधान परिषद में 100 सीटें हैं। विधान परिषद में बहुमत का आंकड़ा 51 का है। अब भाजपा के 67 एमएलसी हो चुके हैं। 40 साल में ये पहली बार है जब यूपी विधान परिषद में किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला है। इससे पहले 1982 में कांग्रेस के पास पूर्ण बहुमत था।
सत्ताधारी पार्टी को होता है एमएलसी चुनाव में फायदा
- 2004 में जब मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे, तब समाजवादी पार्टी ने 36 में 24 सीटें जीती थीं।
- 2010 में जब मायावती मुख्यमंत्री थीं, तब बसपा ने 36 में 34 सीटें जीती थीं।
- 2016 में जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे, तब सपा ने 31 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसमें आठ सीटों पर निर्विरोध ही सपा प्रत्याशी जीत गए थे।
- 2018 में 13 सदस्य निर्विरोध ही चुनाव जीत गए थे। इसमें योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य, डॉ. दिनेश शर्मा समेत 10 सदस्य भाजपा के थे। इसके अलावा अपना दल (सोनेलाल) और सपा के एक-एक सदस्य भी चुने गए थे।
- 2020 में शिक्षक एमएलसी के चुनाव हुए थे। तब छह सीटों में से तीन पर भाजपा, एक पर सपा और दो पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी।
- 2020 में ही पांच एमएलसी की सीटों के लिए चुनाव हुए थे। तब तीन पर भाजपा और एक पर समाजवादी पार्टी की जीत हुई थी।
- 2021 में भाजपा के चार सदस्यों को राज्यपाल ने नामित किया था।
अब कैसी होगी विधान परिषद की तस्वीर?
नतीजे आने के बाद विधान परिषद में भाजपा के 67 सदस्य हो जाएंगे। समाजवादी पार्टी के 17, बसपा के चार, कांग्रेस के एक, अपना दल (सोनेलाल) के एक सदस्य हैं। इसके अलावा दो शिक्षक एमएलसी, पांच निर्दलीय और एक निषाद पार्टी के सदस्य हैं। दो सीटें खाली हैं।