लखनऊ। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान कथित रूप से हिंसा फैलाने वालों के पोस्टर लखनऊ में लगाए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच ने सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को तीन सदस्यीय पीठ के पास भेज दिया है। हालंकि कोर्ट ने इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे नहीं लगाया है।
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में लखनऊ में हिंसा के दौरान तोड़फोड़ के आरोपितों के लखनऊ में लगाए गए वसूली के पोस्टर पर सुप्रीम कोर्ट से उत्तर प्रदेश सरकार को राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है। कोर्ट ने कहा कि किस कानून के तहत सरकार ने दंगा के आरोपियों का बैनर लगाया। जस्टिस अनुरुद्ध बोस ने कहा कि सरकार कानून के बाहर जाकर काम नहीं कर सकती। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को तीन जजों की बेंच को भेजा है। इन पोस्टरों को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हटाने का आदेश दिया था, जिसे योगी आदित्यनाथ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस उमेश उदय ललित और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की अवकाशकालीन बेंच इस मामले को बड़ी बेंच को भेजने का फैसला सुनाया। जस्टिस ललित ने कहा कि इस मामले को चीफ जस्टिस देखेंगे। इस मामले में सभी व्यक्ति जिनके नाम होर्डिंग्स में नाम हैं, उन्हें सुप्रीम कोर्ट के सामने मामले में पक्ष रखने की अनुमति दी गई है।