बदायूं। धार्मिक स्थलों में तेज आवाज के लाउडस्पीकर को हटाने के लिए जनपद में भी अभियान की शुरूआत हो गई है। बुधवार को अलग अलग थाना क्षेत्र में पुलिस ने अभियान चलाया और मंदिर-मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकर को उतरवाया गया।
बुधवार को पुलिस ने पूरे जनपद में धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने को लेकर अभियान शुरू कर दिया है। जनपद के सभी थाना क्षेत्रों में अभियान चला कर धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटवाने और तेज आवाज वाले लाउडस्पीकर की आवाज को कम कराया गया। शहर थाना प्रभारी कोतवाली शहर ने सुप्रीम कोर्ट के रूल के बारे में लोगों को बताया। मंदिर-मस्जिद के धर्मगुरुओं ने कहा, हम लोग जो भी सरकार का नियम-कानून होगा वह सब मानेंगे।
अभियान पर पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह अभियान लगातार पूरे जिले में चलाया जा रहा है। लोग स्वेच्छा से हॉर्न को उतार रहे हैं और उसकी आवाज कम कर रहे हैं, ताकि आवाज परिसर के अंदर ही रहे। इस बाबत हिंदू-मुस्लिम दोनों पक्षों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट और सरकार के आदेश सभी धार्मिक स्थलों पर लागू है। इसे मानने में कोई बुराई नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2005 में दिया था आदेश
17 साल पहले 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने लाउडस्पीकर बजाने को लेकर आदेश दिया था। कोर्ट ने साफ कहा था कि ऊंची आवाज यानी तेज शोरगुल सुनने के लिए मजबूर करना मौलिक अधिकार का हनन है। लाउडस्पीकर या तेज आवाज में अपनी बात कहना अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार में आता है लेकिन ये आजादी जीवन के अधिकार से ऊपर नहीं हो सकती। कोर्ट ने कहा कि किसी को भी इतना शोर करने का अधिकार नहीं है कि पड़ोसियों और दूसरे लोगों को परेशानी हो। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि सार्वजनिक स्थल पर लगे लाउडस्पीकर की आवाज क्षेत्र के लिए तय शोर के मानकों से ज्यादा नहीं होगी। जहां भी तय मानकों का उल्लंघन हो, वहां लाउडस्पीकर और उपकरण जब्त करने के बारे में राज्य प्रावधान करे।
प्रदेश में तमाम सरकार आती-जाती रहीं लेकिन किसी ने इस आदेश को लागू करने की जहमत तक नहीं की वहीं योगी आदित्यनाथ का फरमान आया और पूरे प्रदेश में अभियान छिड़ गया। प्रदेश के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने इस संबंध में शासनादेश जारी कर प्रदेश भर में 30 अप्रैल तक अभियान चलाकर अवैध लाउडस्पीकर उतरवाने और वैध लाउडस्पीकर की आवाज नियमानुसार नियंत्रित करने को कहा। इसमें धर्मस्थलों में नियमों के पालन की साप्ताहिक समीक्षा जिला स्तर पर करने और पहली अनुपालन रिपोर्ट 30 अप्रैल तक शासन को भेजने को कहा गया है।
आदेश में कहा गया है कि जिलों की रिपोर्ट मंडलायुक्तों के माध्यम से और कमिश्नरेट की रिपोर्ट पुलिस आयुक्त के माध्यम से उत्तर प्रदेश शासन को भेजी जाएगी। यही नहीं इस अभियान में जनता और धर्मगुरुओं से संवाद और समन्वय बनाया जाए, उनकी सहमति लेकर अवैध लाउडस्पीकरों को हटवाया जाए और जो वैध हैं, उनमें निर्धारित डेसिबल का पालन कराया जाए।
अब तक 6031 लाउडस्पीकर उतारे गए, 29,674 की आवाज नियंत्रित
उत्तर प्रदेश में 27 अप्रैल को दोपहर डेढ़ बजे तक 75 जिलों में 6031 लाउडस्पीकर धार्मिक स्थलों से उतारे जा चुके हैं। इनमें सबसे ज्यादा मेरठ जोन में 1215, वाराणसी जोन में 1366, बरेली जोन में 1070, कानपुर जोन में 1056 और लखनऊ जोन के जिलों में 912 धार्मिक स्थलों से अवैध लाउडस्पीकर हटाए गए। यही नहीं जहां लाउडस्पीकर वैध पाए गए, ऐसे 29674 धार्मिक स्थलों में लाउडस्पीकर की आवाज निधाार्रित मानकों के अनुसार कम की गई। इसमें सबसे ज्यादा लखनऊ जोन में 6400, फिर बरेली जोन में 6257, मेरठ जोन में 5976, गोरखपुर जोन में 2767 और वाराणसी जोन में 2417 मंदिरों-मस्जिदों में लाउडस्पीकर की आवाज नियंत्रित कराई गई।
वैल्यूम कितना हो अलग-अलग श्रेणियों के लिए तय हैं मानक
ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम 2000 के तहत इंडस्ट्रियल एरिया में दिन में 75 डीबी और रात में 70 डीबी, कामर्शियल एरिया में दिन में 65 डीबी और रात में 55 डीबी, रेजीडेंशियल एरिया में दिन में 55 डीबी और रात में 45 डीबी और साइलेंस जोन में दिन में 50 डीबी और रात में 40 डीबी वैल्यूम के साथ ही लाउडस्पीकर बजाए जा सकते हैं।