उझानी (बदायूं)। स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में प्रदेश में नगर पालिका उझानी ने प्रदेश में पांचवां स्थान प्राप्त किया है। रैंकिग में कस्बे का हाल तो अच्छा रहा है। लेकिन हकीकत अब भी बदतर है। लोगों का यह भी कहना है कि सर्वेक्षण कब हुआ इसकी जानकारी ही नहीं है। हालाँकि पिछले वर्ष के मुकाबले सफाई जरुर हुई है लेकिन अभी बहुत सुधार की गुंजाइश है।
भारत सरकार की ओर से स्वच्छ भारत मिशन नगरीय की रैकिग में नगर पालिका परिषद उझानी को एक लाख तक की आबादी के वर्ग के नार्थ जोन में सबसे क्लीन निकाय के रूप में छठा एवं प्रदेश की रैंक में पांचवा स्थान मिला है। अधिशासी अधिकारी डॉ. डीके राय के मुताबिक भारत सरकार की टीम ने जनवरी-2020 में निरीक्षण किया था। पालिकाध्यक्ष पूनम अग्रवाल ने कर्मचारियों की मेहनत की प्रशंसा की है। इस परिणाम काे लेकर नगर पालिका में उत्साह का माहाैल है। यह फिलहाल खबर अच्छी है कि हम स्वच्छता सर्वेक्षण की सूची में स्थान बना रहे हैं लेकिन हकीकत तो वही है जो जनता जानती है और जो जनता भुगत रही है। कस्बे में ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। अभी भी कस्बे की सफाई व्यवस्था दुरुस्त नहीं है।
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कस्बे के सभी वार्डों में तो कूड़े के ढेर दिखना आम बात हैं, मोहल्लों में आबादी के हिसाब से कूड़ेदान नजर नहीं आते। कूड़ेदान के बाहर ही गंदगी का ढेर जमा होता है जिसे कई दिनों तक नहीं उठाया जाता। कई जगह कूड़ेदान ही गायब हैं या टूट चुके हैं। नगर पालिका खाली पड़े प्लाटों और प्रमुख बाईपास मार्गों पर ही कस्बे से निकलने वाला कूड़ा डंप कर रहे हैं। इसके अलावा कस्बे में महात्मा गाँधी खेल मैदान के पीछे डंपिंग प्वाइंट बना है। इस कचरे में गाय मुंह मार रही है इस तरह के नजारे कस्बे के अंदर कई जगह मिल जाएंगे। सहसवान रोड पर बस्ती के बीचोंबीच डंपिंग प्वाइंट बनाया गया है। नगर पालिका द्वारा घर के सामने ही बनाये गए इस डंपिंग पॉइंट पर पुरुषोत्तम दास वार्ष्णेय ने कई बार अपनी नाराजगी व्यक्त की है लेकिन पालिका कर्मचारी ठेली पलटने से बाज नहीं आते। स्थानीय निवासी उमेश गौतम के घर के निकट नाला गंदगी से भरा हुआ है, जिसकी वजह से मच्छर पनपते हैं लेकिन चौपट सफाई व्यवस्था पर पालिका का ध्यान नहीं हैं। गंदगी की वजह से इस मार्ग से निकलना दूभर हो गया है।
मोहल्ला पठानटोला, मानिकपुर रोड निवासी वसीम के घर के पीछे प्लाट में नाली का पानी जमा होता है। उन्होंने बताया कि नाली की मरम्मत न होने की वजह से पानी प्लाट में भरता है जिसकी वजह से संक्रामक बीमारी फैलने का भी खतरा उत्पन्न हो गया है। बरसात में हालात और ज्यादा खराब हो जाते हैं, पानी दीवारों से रिसते हुए घरों में आने लगा है। इसकी कई बार शिकायत की है लेकिन आश्वासन के सिवाय कुछ भी नहीं मिला। स्थानीय निवासी सब्बन ने बताया कि नाली समस्या यहां के लिए नासूर बन गया है। गंदे पानी के दुर्गंध से परेशान हो गए हैं। अपेक्षित सफाई न होने से गंदगी का ढेर लग रहा है। मुख्य मार्ग से लेकर मुहल्ले के नाले-नालियों में कूड़ा जमा होने से जलनिकासी बाधित हो रही है।
मोहल्ला श्रीनारायण गंज निवासी, बदायूं रोड निवासी सोनू शाक्य के घर के सामने ही गंदगी से नाली पटी पड़ी है। कोल्डस्टोरेज के सामने ही खाली जगह में कूड़ा जमा होता है, जहाँ सफाई नहीं होती। यहाँ कूड़ेदान तक नहीं रखा गया है। प्रदेश में पांचवी रैंक पर समाजसेवी सिपटर सिंह का कहना कि उझानी की रैंकिंग सुधरने से खुश हूं, लेकिन हकीकत में सर्वे परिणाम के मुताबिक सफाई कहीं नजर नहीं आती। सिपटर सिंह ने पालिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि सर्वे के मामले में कुछ ख़ास जगहों का ही निरीक्षण करवाया गया है। पालिका परिषद शासन को गुमराह कर अपनी पीठ थपथपा रही है।
सिपटर सिंह के दावों की पड़ताल की जाए तो स्वच्छता के मामले में उझानी दो हिस्सों में बंटी हुई नजर आती है। कुछ इलाकों में चमचाती सडकें, नालियाँ हैं तो दूसरे इलाकों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। मोहल्ला नझियाई, कछला रोड की बस्तियों में गंदगी की वजह लोगों का रहना दुश्वार है। नालियां बजबजा रही है, सड़क के किनारे से खाली पड़े स्थान पर कूड़ा का ढेर लगा हुआ है। बरसात के दिनों में यहाँ गलियां तालाब में तब्दील हो जाती है। लेकिन नगर पालिका प्रशासन इस ओर कोई ध्यान भी नहीं दे रही है।
जागरूकता की कमी: कस्बे में स्वच्छता की स्थिति अच्छी नहीं तो इसमें नगरपालिका का अमला ही दोषी नहीं लोग भी बराबर के दोषी हैं। लोग खुद नहीं चाहते कि हमारा मोहल्ला हमारी गली साफ सुथरी रहे। पालिकाध्यक्ष, सभासद घर के आसपास सफाई कराएगा यह सपना संजोकर लोग सो जाते हैं इसी सपने को देखते देखते घरों के सामने ही कचरे का ढेर लग जाता है। लोग सफाई को लेकर अमले को रोककर टोकना और बोलना नहीं जानते। अगर कूड़ेदान नहीं हैं तो बोलना नहीं जानते इसीलिए यह ढेर हम खुद लगाते हैं। हालाँकि सवाल यह भी आखिर अपनी बात किससे कही जाए?
नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना द्वारा नगर पालिकाओं एवं नगर पंचायतों को निर्देशित किया गया था कि ईओ अपने व सफाई कर्मचारियों का नाम एवं उनके मोबाइल नम्बर प्रत्येक मोहल्लों में लगवा दें ताकि गंदगी की समस्या होने पर लोग कर्मचारी एवं ईओ से शिकायत कर सके। लेकिन नगर पालिका ने तो नगर विकास मंत्री के आदेश को ठेंगा दिखाया हुआ है।