लखनऊ। मुख्य्मंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज शनिवार को कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण जान गंवाने वाले 50 पत्रकारों के परिवारों को 10-10 लाख रुपये का चेक सौंपा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार हर उस परिवार के साथ खड़ी है, जिसने इस आपदाकाल में अपनों को खोया है।
सीएम ने लोकभवन में दिवंगत पत्रकारों के परिजनों को सहायता राशि का चेक सौंपा। मुख्यमंत्री ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में मीडिया के अहम योगदान को लेकर पत्रकारों को धन्यवाद ज्ञापित किया। सीएम योगी ने कहा कि आज हम लगभग कोरोना को नियंत्रित करने के नजदीक है, लेकिन कुछ नहीं कहा जा सकता ये कब वापस आ जाए। कोरोना के चरम के समय हर आदमी भयभीत था, हर कोई एक अदृश्य आशंका से ग्रस्त था। ऐसे दौर में भी मीडियाकर्मी अपने कार्य में लगे रहे।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के सजग प्रहरी के रूप में मीडिया का काम ही ऐसा है कि उन्हें हर समय आवागमन करना होता है। लेकिन न उनके पास पीपीई किट थे, न ग्लब्स न मास्क और हर समय सैनिटाइजर हो यह जरूरी नहीं, लेकिन हमारे मीडियाकर्मी अपने कर्मपथ पर डटे रहे। खुद की चिंता न करते हुए समाज को जागरूक करते रहे। सरकार को सुधार के लिए इंगित किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हम सबके लिए यह एक ऐसा क्षण है जब मीडिया जगह से जुड़े हुए उन सभी दिवंगत आत्माओं के प्रति जिन्होंने कोरोना कालखंड में समाज के लिए अपनी लेखनी को चलाते-चलाते अपने प्राणों की आहूति दी है, उन सबके प्रति हम अपनी संवेदना व्यक्त कर सकें, श्रद्धांजलि व्यक्त कर सकें और परिवारजनों के प्रति एक संबल बन सके।
इस अवसर पर एनबीए के अध्यक्ष इंडिया टीवी के एडिटर इन चीफ रजत शर्मा ने कहा-‘भावुक क्षण है… उन लोगों के प्रति मेरी संवेदना जिन्होंने कोरोना के प्रकोप से अपनों को खोया.. श्रद्धांजलि देना चाहता हूं उन पत्रकारों भाइयों-बहनों को जो कोरोना की वजह से अपनों से इतने दूर हो गए कि वापस नहीं आ पाएंगे। योगी आदित्यनाथ जी का बहुत आभार व्यक्त करना चाहता हूं कि शोक में डूबे उन लोगों के प्रति अपनी गहरी संवेदना दिखाई और एनबीए की तरफ से हमें शिरकत करने का मौका दिया।
इससे पहले योगी सरकार ने कोरोना महामारी में अनाथ हुए बच्चों की देखभाल का जिम्मा उठाते हुए मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना शुरू करने की घोषणा की थी। इस योजना के तहत सरकार ऐसे सभी बच्चों की देखभाल का जिम्मा उठाएगी जो कोरोना महामारी में अनाथ हो गए हैं। ऐसे बच्चों के वयस्क होने तक उनके अभिभावक को प्रतिमाह चार हजार रुपये दिए जा रहे हैं।