बदायूं। लोकसभा 2019 चुनावों के लिए कांग्रेस अभी तक महागठबंधन का हिस्सा नहीं है, लेकिन फिलहाल पार्टी ने महागठबंधन लिए 7 सीटों पर उम्मीवार न उतारने का फैसला किया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने इसे महागठबंधन के प्रति कांग्रेस पार्टी के सम्मान बताया। हालांकि अखिलेश यादव की नाराजगी के बाद भी बदायूं सीट पर कांग्रेस-सपा आमने सामने हैं।
कांग्रेस ने आज मैनपुरी, कन्नौज, फिरोजाबाद की सीट पर उम्मीदवार न उतारने का फैसला किया है। इसके अलावा कांग्रेस उन सीटों पर भी अपने उम्मीदवार नहीं खड़े करेगी जहां से बसपा सुप्रीमो मायावती, आरएलडी के अजीत चौधरी और जयंत चौधरी चुनाव लड़ेंगे। मैनपुरी, कन्नौज समाजवादी पार्टी की पारिवारिक सीटें हैं, मैनपुरी से मुलायम सिंह यादव, कन्नौज से डिंपल यादव चुनाव लड़ रही हैं। साथ ही फिरोजाबाद से रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव मैदान में हैं। इससे पहले सपा-बसपा गठबंधन ने भी कांग्रेस के पारंपरिक गढ़ अमेठी और रायबरेली से अपने कैंडिडेट नहीं उतारने का ऐलान किया है। फिलहाल अमेठी से राहुल गाँधी और रायबरेली से सोनिया गांधी सांसद हैं। जाहिर है सपा-बसपा के इसी फैसले का सम्मान करते हुए कांग्रेस ने इन दलों को 7 सीटों पर वॉकओवर देने का फैसला किया है। लेकिन कांग्रेस पार्टी का यह सम्मान बदायूं समाजवादी पार्टी की समझ से बाहर है।
दरअसल बदायूं से समाजवादी पार्टी सांसद और मुलायम परिवार के सदस्य धर्मेन्द्र यादव इस बार तीसरी बार मैदान में हैं। मैनपुरी, कन्नौज, फिरोजाबाद की तरह बदायूं भी समाजवादी पार्टी की पारिवारिक सीट है। लेकिन कांग्रेस पार्टी ने यहाँ से चार बार सपा के टिकट पर सांसद रहे सलीम शेरवानी को उम्मीदवार घोषित किया है। बदायूं सीट को लेकर भी अखिलेश यादव की नाराजगी की बात सामने आयी है। फिलहाल कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा सपा की तीन पारिवारिक सीटों को छोड़े जाने के बाद एक बार संकेत दिये जाने लगे हैं कि बदायूं से सलीम शेरवानी की उम्मीदवारी वापस हो सकती है हालाँकि उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी महासचिव ओमकार सिंह, जिलाध्यक्ष साजिद अली ऐसे कयासों को अफवाह करार कर चुके हैं।