उझानी(बदायूं)। आम आदमी के लिए बिजली, पानी, सफाई के साथ ही चौड़ी सड़कें और पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथ जरूरी होता है लेकिन नगर की सड़कों पर से फुटपाथ गायब हो गया है। ऐसे में पैदल राहगीर चले तो कहां? ये बड़ा सवाल है पर जबाव किसी के पास नहीं है। क्योंकि जिम्मेदारों की नाक के नीचे अतिक्रमणकारी फुटपाथ को लील रहे हैं, फुटपाथ पर व्यापार चल रहा है हालाँकि बीते दिनों से यातायात पुलिस ने कुछ हद तक फुटपाथ को खाली करवाया है लेकिन इस अतिक्रमण के खिलाफ प्रभावी और स्थाई कार्रवाई की जरूरत है।
नगर में जाम की समस्या बहुत पुरानी हैं। इसकी लगातार अनदेखी की जा रही है। इससे आम जनता के अलावा मरीज और तीमारदार भी परेशान हो रहे हैं। लाखों रुपये खर्च कर पैदल आवाजाही करने वालों के लिए फुटपाथ तो बनाए गए हैं लेकिन उन पर भी अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया है। नगर के सभी मुख्य मार्गों कछला-बदायूं, स्टेशन रोड, बिल्सी रोड पर फुटपाथ पर कब्जा है। खासकर घंटाघर चौराहे से अशफाक तिराहे तक भारी जाम लगता है। दुकानदारों ने चार-पांच फुट तक फुटपाथ घेरा हुआ है। दुकानदारों के पास अपनी दुकाने हैं लेकिन इनमे फुटपाथ पर कब्जा करने की होड़ मची है। पैदल चलने के लिए बनाए गए फुटपाथ पर किराना, कपड़े, जूते, बर्तन, सब्जी, फल, चाट, फुल्की, चाय- पान ठेले-टपरे और रेहड़ी वालों के साथ व्यापारियों की जागीर बन गए हैं। इसके बाद ई रिक्शा, टेम्पों वालों की वजह से फुटपाथ की जगह नही बचती है। वहीं कोतवाली, अस्पताल, नगर पालिका के आसपास पर भी ठेले व फड़ वालों का कब्जा नजर आता है। नगर के मुख्य मार्गों पर ऐसा कोई स्थान नहीं जहां पर फुटपाथ सुरक्षित हों। हर फुटपाथ पर लोगों का कब्जा है। ऐसा नही है कि जनप्रतिनिधि या नगर परिषद के अफसर इन तमाम मार्गों से कभी गुजरते नही हैं लेकिन वो जानकारी के बाद भी इस समस्या को नजरंदाज कर देते हैं।
टीएसआई का प्रयास पर सवाल भी जायज
नगर में बीते दिनों से टीएसआई एसके त्यागी लगातार फुटपाथ को खाली करवा रहे हैं। उन्होंने सडकों से ठेला, खोमचा व फड़ वालों हटाया है, साथ ही अतिक्रमण करने पर जुर्माने की चेतावनी दी है। उन्होंने दुकानदारों को भी सडक से सामान हटाने को कहा है। उनके प्रयास पर राहगीर सराहना कर रहे हैं। इस बीच कुछ लोग एकपक्षीय कार्रवाई का आरोप भी लगा रहे हैं, लोगों का कहना है कि स्टेशन रोड और पंचमुखी हनुमान मंदिर के आसपास दुकानदार ने फुटपाथ पर कब्जा कर रखा है, उनके खिलाफ कोई एक्शन नही लिया गया हालाँकि टीएसआई का कहना है कि किसी को भी जाम की वजह नहीं बनने दिया जाएगा।
लोगों ने क्या कहा?
नगर के रमेश गुप्ता का कहना है कि फुटपाथ पैदल चलने के लिए बनाए जाते है न कि व्यापार करने के लिए। शहर का ऐसा कोई फुटपाथ खाली नहीं जहां लोग पैदल चल सके। सख्ती से इन्हें हटाया जाना चाहिए। वहीं अंकित वर्मा का कहना है कि दुकानदार खुद अपनी दुकान तो संचालित करते ही हैं। अधिकांश लोग फड़ों को भी किराये पर उठाते हैं। दुकानदार यदि चाह लेगा तो उसकी दुकान के बाहर कोई फड़ क्यों लगाएगा। हर दिन जाम की समस्या होती है।
अभिषेक का कहना है कि दिन प्रतिदिन कोई रोक टोक न हो पाने के कारण शहर का अतिक्रमण बेतरतीब सा हो गया है। सुबह हो या शाम, जाम लगता है। स्कूली बसें फंसने से बच्चों को भी काफी समस्याएं होतीं हैं लेकिन पालिका कुछ सुनती ही नहीं। साथ ही भाकियू नेता आसिम उमर ने बताया कि साफ फुटपाथ और चलने के लिए सुरक्षित जगह होना हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है लेकिन जिम्मेदारों लोगों की लापहरवाही की वजह से यह अधिकार भी सुरक्षित नहीं बचा। लंबे-चौड़े फुटपाथ के बावजूद राहगीर फर्राटा भरते वाहनों के बीच जान जोखिम में डाल कर सड़क पर ही पैदल चलने मजबूर है। इसे विंडबना ही कही जाएगी कि इतनी बड़ी समस्या को नजरअंदाज किया जाता है।
क्या कहती हैं अदालतें?
फुटपाथ पर अतिक्रमण को लेकर एक आदेश में बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एमएस सोनक और न्यायमूर्ति कमल खाता की पीठ ने इस समस्या का स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि जब प्रधानमंत्री और वीवीआईपी के लिए सड़कों और फुटपाथ को एक दिन के लिए खाली कराया जा सकता है तो ऐसा हर नागरिक के लिए रोजाना क्यों नहीं किया जा सकता? जहां इच्छाशक्ति होती है, वहां कोई न कोई रास्ता निकल आता है। खंडपीठ ने कहा कि साफ फुटपाथ और पैदल चलने के लिए सुरक्षित स्थान प्रत्येक व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। राज्य और नगर निकाय सहित अन्य अधिकारी इसे ऐसे ही नहीं छोड़ सकते।
इसके अलावा हाईकोर्ट ने कहा कि फुटपाथ पर अतिक्रमण करनेवाले विक्रेताओं और फेरीवालों पर जुर्माना बहुत मामूली है। उनकी पहचान के लिए डाटाबेस बनाएं जिससे वे आदेश का उल्लंघन न करें और वापस सड़क पर न आ पाएं। सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल अपने एक आदेश में कहा था कि फुटपाथ केवल यात्रियों के लिए हैं। किसी अन्य उद्देश्य के लिए इसे इस्तेमाल करने की अनुमति है। फुटपाथ पर चलने का आम नागरिकों को पूरा अधिकार है।