कछला। मोक्ष घाट पर सफाई व्यवस्था के दावों की हवा निकलती हुई दिखाई दे रही है। दिन भर शवों के दाह संस्कार से घाट पर गंदगी का अंबार सजा पड़ा रहता है। यही नहीं, जगह-जगह पर खुले में इस्तेमाल हुई पीपीई किट, बॉडी कवर और मास्क पड़े रहते हैं, जिस कारण में संक्रमण का खतरा और बढ़ गया है। इससे स्थानीय लोग परेशान हैं। नगर पंचायत की ओर तरफ से इनके निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
कछला श्मशान घाट पर प्रतिदिन होने वाले अंतिम संस्कार में खासी बढ़ोतरी हुई है। इनमें कोरोना संक्रमण से मरने वालों के शव भी शामिल होते हैं। कोरोना मरीजों के शवों का शासन की गाइडलाइन के तहत अंतिम संस्कार अनिवार्य है। अंतिम संस्कार के लिए परिजनों का पीपीई किट, बॉडी कवर, मास्क और ग्लव्स पहनना अनिवार्य है। जिन्हें बाद में नष्ट करना होता है लेकिन शवदाह के लिए आने वाले लोग अपने पीपीई किट और अन्य सामग्री यहां छोड़कर जा रहे हैं। यह घाट पर ही हवा उड़कर एक जगह से दूसरी जगह पहुँच रही है। साथ ही यहाँ गंगा के पानी में भी किट नजर आ रही है। घाट पर ही स्थानीय लोगों की दुकानें हैं, वहीँ गंगा स्नान के लिए दूरदराज से लोग कछला आते हैं। इससे लोगों में दहशत है।
लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी है कि कर्मचारियों से पीपीई किट का नियामानुसार निस्तारण कराए। जिससे लोगों को परेशानी न हो। वहीं, नगर पंचायत को भी सफाई व्यवस्था का विशेष ध्यान रखना चाहिए। यदि वहां पर पीपीई किट या अन्य सामग्री बिखरी पड़ी है तो उसे तुरंत उठाया जाए।
कछला घाट पर आम दिनों में रोज 5-10 शवों का अंतिम संस्कार किया जाता था। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में यहाँ प्रतिदिन 40 से ज्यादा दाह संस्कार हो रहे हैं। इसमें कोविड और नॉन कोविड शव भी शामिल होते हैं। जिस कारण कोविड और नॉन कोविड शवों का दाह संस्कार एक ही जगह पर किया जा रहा है। पंचायत द्वारा कोविड मरीजों के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं की गयी है, ऐसे में कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जा रहा है।