उझानी (बदायूं)। देश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। इस विरोध के बीच मंगलवार को आर्थिक जनगणना (Economic Census) करने पहुंची टीम को विरोध का सामना करना पड़ा।
भारत सरकार की ओर से देशभर में 7वीं आर्थिक जनगणना कराई जा रही है। जिलाधिकारी कुमार प्रशांत ने हरी झंडी दिखाकर आर्थिक जनगणना का शुभारम्भ किया था। सीएसएस जिला प्रबंधक शोभित माहेश्वरी के मुताबिक इस काम के लिए 2300 कर्मियों को लगाया गया है वहीं आज मंगलवार सुबह करीबन 11 बजे सर्वेक्षण की 8 सदस्यीय टीम नगर के मोहल्ला बहादुरगंज पहुंची थी। टीम के पहुँचने की सूचना के बाद स्थानीय लोग इक्कठे हो गये। स्थानीय लोगों ने सीएए, एनपीआर, एनआरसी को लेकर अफवाहों के बीच आर्थिक जनगणना करने पहुंची टीम को सर्वे करने से इंकार कर दिया। जिसके बाद टीम को वहां से खाली हाथ लौटना पड़ा।
आर्थिक जनगणना टीम में शामिल नरेंद्र राठौर ने बताया कि कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के माध्यम से आर्थिक सर्वेक्षण का कार्य चल रहा है। जिसके तहत परिवार की आर्थिक स्थिति की जानकारी जुटाई जा रही है। घटनाक्रम की जानकारी सुपरवाइजर को दे दी है वहीं आर्थिक जनगणना सुपरवाइजर राहुल यादव ने बताया कि इस सम्बन्ध में उच्च अधिकारियों को सूचित किया जायेगा।
क्या है आर्थिक जनगणना
भारत में छठी आर्थिक गणना साल 2013 में की गई थी जबकि पहली आर्थिक गणना 1977 में की गई थी। दूसरी 1980, तीसरी 1990, चौथी 1998 में की गई। आर्थिक गणना के तहत देश की भौगोलिक सीमा में रेहड़ी, पटरी पर होने वाले छोटे-मोटे कारोबार समेत सभी व्यावसायिक इकाइयों/प्रतिष्ठानों की गिनती की जाती है. इससे कारोबारी प्रतिष्ठान की आर्थिक गतिविधियों, मालिकाना हक़, इसमें लगे लोगों आदि के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। इस गणना के जरिए प्राप्त सूचना सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए वृहद योजना बनाने में उपयोगी साबित होती है।
पहले यह होता था
अभी तक सरकारी कर्मचारी, सांख्यकी विभाग, जिला योजना विभाग इस कार्य को करता था जिसमे अधिक समय और संसाधन का उपयोग होता था। जनगणना के लिए क्षेत्रभर के शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जाती थी। इससे स्कूलों में विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होती थी। सैकड़ों शिक्षक जनगणना में लग जाने के कारण विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए दूसरा विकल्प नहीं रहता था। परंतु इस बार सरकार ने इसके लिए सूचना एवं इलेक्ट्रॉनिक मंत्रालय के साथ मिलकर कार्य करने के लिए डिजिटल इंडिया अभियान का मुख्य तंत्र सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लि. को इस कार्य के लिए नियुक्त किया है। सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की खास उद्देश्य से बनाई गयी इकाई है। सीएससी के संचालक सुपरविजन का कार्य करेंगे तथा अपने कार्य क्षेत्र में करीब 10 से 30 लोगो को सर्वेयर नियुक्त करेंगे।
पहली बार ऑनलाइन सर्व
अब तक आर्थिक गणना का काम कागजो पर होता था उसे केंद्र सरकार तक पहुंचने में ही महीनों लग जाते थे लेकिन इस बार केंद्र सरकार ने ऐप्प तैयार करवाया है जिस पर जिले की अधिकांश जानकारी रोड मैप, क्षेत्र, ब्लॉक, पंचायत की जानकारी पहले से ही फीड होगी, सर्वे करने वाले को सांख्यकी विभाग से मैप भी प्रदान किया जाएगा उसके आधार पर वह प्रदान किये गए क्षेत्र के अनुसार घर के मुखिया की जानकारी, परिवार के सदश्यो की संख्या, व्यवसाय, उद्योग इत्यादि की जानकारी फीड करेगा।