उझानी (बदायूं)। नगर पालिका उझानी के अधिकारी और कर्मचारी लापरवाह हो चुके हैं, उनके आने और जाने का कोई समय सीमा नहीं है, फर्जी हस्ताक्षर से अवकाश प्रार्थना पत्र तक बनाए जा रहे हैं। कार्यालय को छोड़ अधिकारी, कर्मचारी बिना अनुमति के नदारद हैं, जिलाधिकारी के निरीक्षण में यह बात सामने आई है।
गुरूवार को जिलाधिकारी कुमार प्रशांत, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व नरेन्द्र बहादुर नगर पालिका पहुँचकर निरीक्षण किया तो हैरान रह गए। अधिशासी अधिकारी डॉ. धीरेन्द्र राय, लिपिक संजय कुमार गौतम एवं एसएफआई हरीश कुमार नगर पालिका से गायब थे। कर्मचारियों ने जिलाधिकारी को संजय कुमार गौतम, हरीश कुमार का अवकाश प्रार्थना पत्र दिखाया लेकिन प्रार्थना पत्र पर अवकाश की स्वीकृति ही नहीं थी। डीएम ने उपस्थिति रजिस्टर से दोनों कर्मचारियों के हस्ताक्षरों का जब मिलान किया तो प्रार्थना पत्र पर हस्ताक्षर फर्जी पाए गए। जिस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए एक दिन का वेतन रोकने के आदेश दिए हैं।
जिलाधिकारी के दौरे की भनक लगी तो कुछ ही देर में ईओ डॉ. धीरेन्द्र राय नगर पालिका पहुँच गए। लेकिन जिलाधिकारी ने उनकी एक न सुनी। उन्होंने आदेश दिया कि ईओ का एक दिन का वेतन भी काटा जायेगा। उन्होंने कहा कि पूर्व निर्देशानुसार सभी अधिकारियों की छुट्टियाँ निरस्त कर दी गईं थीं, इस मामले में अधिशासी अधिकारी से जवाब तलब किया जाएगा।
नगर पालिका की लापरवाही उपस्थिति से लेकर कामकाज में भी नजर आई। एक तालाब, दो चौराहों, एक पार्क के सौंदर्यकरण के कार्य में अब तक कोई भी प्रगति नही हुई है, न ही स्टीमेट तैयार किया गया है। जिसको लेकर जेई पर भी गिरी। डीएम ने निर्देश दिए कि जब तक यह कार्य पूर्ण नहीं हो जाता, तब तक जेई का वेतन आहरित न किया जाए। वहीं जून 2019 से जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र पत्रिका में कोई भी ब्यौरा दर्ज न होने पर डीएम ने कड़ी नाराज़गी जताई। उन्होंने कहा कि प्रत्येक दशा में इस पंजिका को पूर्ण किया जाए। हाउस एवं वाटर टैक्स निर्धारण के लिए अभी तक पालिका ने सत्यापन का कार्य भी शुरू नहीं किया है।
डीएम ने परिसम्पत्ति पंजिका का निरीक्षण किया तो पाया कि बहुत पुराने आसामी पट्टाधारक लगान जमा नहीं कर रहे हैं, ऐसे लोगों के पालिका पट्टे निरस्त किए जाएं। उन्होंने कहा कि पालिका सम्पत्ति पर जहां-जहां अवैध कब्जे हैं, उन्हें तत्काल हटवाया जाए। कार्यालय के पीछे जीणक्षीर्ण अवस्था में कई गाड़ियाँ खड़ी पाए जाने पर निर्देश दिए कि जो ठीक होने योग्य हों उनकी मरम्मत कराकर प्रयोग में लाया जाए, अन्यथा कन्डम घोषित किया जाए।