एटा| उत्तर प्रदेश के जनपद एटा में खाने का बिल मांगने पर ढाबा संचालक और उसके भाई समेत स्टाफ के लोगों को पुलिस ने फर्जी एनकाउंटर में गिरफ्तार कर उन्हें जेल भेज दिया था। जमानत पर छूटने के बाद कथित आरोपी ने मामले की शिकायत अधिकारियों से की, जिसके बाद पुलिसकर्मियों की साजिश का खुलासा हुआ। जांच में मुठभेड़ फर्जी पाए जाने पर इंस्पेक्टर इंद्रेश पाल सिंह और दो को संस्पेंड कर केस दर्ज किया गया है।
मामला एटा की देहात कोतवाली का है। बीती 4 फरवरी को कासगंज रोड स्थित ढाबा संचालक प्रवीण उसके भाई पुष्पेंद्र समेत 10 लोगों को पुलिस ने मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार दिखाया था। इन लोगों को आर्म्स एक्ट, गांजा और अवैध शराब के कारोबार के आरोप में जेल भेज दिया गया था। पुलिस ने दावा किया था कि कासगंज रोड पर जसराम गांव स्थित ढाबे में कुछ अपराधियों के होने की सूचना मिली थी। बताया गया कि ढाबे में मौजूद अपराधी किसी लूट को अंजाम देने की फिराक में हैं। शाम को पुलिस की टीम ढाबे पर भेजी गई, जहां से ढाबा संचालक प्रवीण, उसके भाई पुष्पेंद्र और वहां खाना खा रहे 8 अन्य लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया।
40 दिन बाद जमानत पर छूटने के बाद प्रवीन कुमार ने आला अधिकारियों से पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ में फंसाने का आरोप लगाते हुए शिकायत की। यदुवंशी ढाबा संचालक प्रवीन कुमार का आरोप था कि चार फरवरी को दोपहर करीब दो बजे भाई पुष्पेंद्र ढाबा पर मौजूद था। इस दौरान कोतवाली देहात के दो आरक्षी शराब के नशे में धुत्त होकर आए और करीब चार सौ रुपए का खाना खाया। जब रुपए मांगे गए तो मारपीट शुरू कर थाना से प्रभारी निरीक्षक इंद्रेशपाल सिंह सहित करीब दो गाड़ियां पुलिस की मंगा लीं। ढाबा पर खाना रहे ग्राहकों को भी थाने लाए और वहां लूट की योजना बनाने के फर्जी आरोप में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और असलहे, गांजा और अवैध शराब की धारा लगाकर सभी को जेल भेज दिया गया। पुलिस ढाबे से 11 लोगों को लेकर आई थी, जिसमें से एक व्यक्ति को कुछ रुपये लेकर छोड़ दिया गया।
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एसएसपी सुनील कुमार सिंह ने शिकायत पर एएसपी क्राइम राहुल कुमार को जांच सौंपी। एएसपी राहुल कुमार ने मामले की जांच की तो परत दर परत देहात कोतवाली पुलिस की साजिश का खुलासा होता गया। शिकायतकर्ता प्रवीन कुमार के भाई पुष्पेंद्र यादव व चचेरे भाई दीपक यादव का कोई आपराधिक इतिहास नहीं निकला। वहीं अन्य लोग अलग-अलग गांव से हैं और उस दिन ढाबे पर खाना खाने पहुंचे थे। एएसपी ने मामले की जांच करने के बाद उन्होने रिपोर्ट डीएम, एसएसपी को सौंप दी।
जांच में सामने आया कि जिस ढाबे पर फायरिंग होना बताया गया वहां कोई गोली नहीं चली। जांच में यह भी सामने आया है कि पुलिस शराब माफिया बंटू यादव के साथ मिलकर खेल किया। बंटू यादव ने ही ढाबा पर पकड़े गए लोगों पर मुकदमा लगाने के लिए पुलिसकर्मियों को शराब, गांजा आदि दिए थे। इस मामले में एसएसपी सुनील कुमार सिंह ने इंस्पेक्टर इंद्रेश पाल सिंह को सस्पेंड कर दिया। इंस्पेक्टर के अलावा हेड कांस्टेबल रिसाल सिंह, सिपाही शैलेंद्र यादव और सिपाही संतोष यादव और स्वाट टीम के दो सिपाही सुरजीत, महेन्द्र को भी सस्पेंड कर दिया गया है। एसएसपी सुनील कुमार सिंह ने स्वाट टीम भंग कर प्रभारी विनय शर्मा सहित पूरी टीम को पुलिस लाइन भेज दिया है।
पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोतवाली देहात में मुकदमा दर्ज किया गया है। रिपोर्ट के बाद विभागीय कार्रवाई के आदेश भी कर दिए गए हैं। मुकदमे की जांच एसएसपी अलीगढ़ को सौंपी गई है, जबकि विभागीय जांच एसएसपी कासगंज स्तर से होगी। हालांकि, फर्जी मुठभेड़ कांड का आरोपी शैलेंद्र पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया, अन्य आरोपी भी गिरफ्तारी के डर से अंडरग्राउंड हो गए हैं। देर रात पुलिस ने शराब माफिया बंटू यादव के घर पर भी दबिश दी लेकिन वह पुलिस की पकड़ से दूर है।