बदायूं। रस्सी को सांप और सांप को रस्सी कैसे बनाया जाता है, यह कोई पुलिस से सीखे। एक दारोगा ने निर्दोष युवक को स्मैक तस्कर बताकर जेल भेजा दिया। जांच में दूध का दूध और पानी का पानी हो गया। एसएसपी डॉ. ओपी सिंह ने दारोगा समेत तीन सिपाहियों को सस्पेंड कर दिया है। इन चारों पुलिसकर्मियों ने ढाई लाख रुपए भी पीड़ित से वसूले थे।
थाना बिनावर क्षेत्र के गांव अंबियाुपर के मजरा नवाबगंज गौटिया निवासी सतेंद्र ने एसएसपी को शिकायती पत्र देते हुए आरोप लगाया कि उनके भाई रामवीर को फर्जी एनडीपीएस के मामले में जेल भेज दिया गया है। आरोप था कि भाई रामवीर को पकड़ने के बाद दो दिन तक थाने के सिपाही सुनील और दारोगा संजय गौड़ ने थाने में ही एक कमरे में रखे रहे। सिपाही सुनील ने उसे बुलाकर बताया कि उसके भाई को पांच किलो अफीम में जेल भेजा जा रहा है।
जब उसने कहा कि वह लोग तो इसका काम भी नहीं करते है तो उसने कहा कि दारोगा जी पांच लाख रुपये मांग रहे हैं, वह देना पड़ेगा। दारोगा संजय गौड़ और सिपाही सुनील के अलावा दो अन्य सिपाही विक्रांत और जितेंद्र उन पर रुपये देने का दबाव बना रहे थे। सतेंद्र ने बताया कि उसने किसी तरह 2.30 लाख रुपये की व्यवस्था कर उनको दिए थे। बीस हजार रुपये कम होने पर उसकी बाइक और मोबाइल रख लिया। अगले दिन बाइक और मोबाइल तो वापस कर दिया लेकिन भाई को नहीं छोड़ा। दारोगा व सिपाहियों ने 2.30 लाख रुपये रखने के बाद भी भाई रामवीर को 1.50 ग्राम स्मैक लगाकर जेल भेज दिया था।
एसएसपी डा. ओपी सिंह ने एसपी सिटी अमित किशोर श्रीवास्तव से इसकी प्रारंभिक जांच कराई। जिसमें एसपी सिटी ने दारोगा काे दोषी मानते हुए रिपोर्ट एसएसपी को सौंपी थी। बाद में इसकी विस्तृत जांच एसपी देहात सिद्धार्थ वर्मा ने की। सभी के बयान आदि दर्ज कराने के बाद उन्होंने भी इसमें पुलिस कर्मियों को दोषी मानते हुए रिपोर्ट एसएसपी को सौंप दी। एसएसपी डा. ओपी सिंह ने दारोगा संजय गौड़, सिपाही सुनील, विक्रांत और जितेंद्र को निलंबित करते हुए विभागीय जांच के आदेश दिए हैं।