उसावां। दस दिवसीय गणपति महोत्सव का समापन रविवार को प्रतिमा विसर्जन के साथ हो गया। दोपहर में गणेश पंडालों में पूजन के बाद प्रतिमाओं का अटैना गंगा घाट पर लेकर जाकर श्रद्धालुओं ने विधिवत विसर्जन किया। गणेश चतुर्थी को लेकर श्रद्धालुओं में बड़ी संख्या में उत्साह देखने को मिला। लॉकडाउन के बावजूद बच्चों से लेकर बड़ों ने बाजार में उत्साह के साथ गणेश प्रतिमाएं खरीदी और लक्कड़ दास हनुमान शिव मंदिर में स्थापित किया। कोरोना महामारी को देखते हुए अधिकांश श्रद्धालुओं ने घरों में ही श्री गणेश की पूजा अर्चना की।
नगर में गणेश महोत्सव एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर बड़े उत्साह पूर्वक मनाया गया। नगर के वार्ड नंबर 9 के मोहल्ला वासियों ने बताया कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष महामारी को देखते हुए नगर स्थित लक्कड़ दास हनुमान शिव मंदिर में श्री गणेश जी की मूर्ति स्थापित की गई थी। कोरोना को देखते हुए हर रोज सुबह शाम साढे सात बजे सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए पूजा अर्चना की जाती है। मूर्ति स्थापना के 10 दिन बाद रविवार को गणेश भक्त वाहन के साथ थाना उसहैत के अटेना गंगा घाट पर पहुंचे और अंतिम पूजा के बाद अगले वर्ष जल्दी आ के उच्चारण करते हुए प्रतिमाएं नदी के बहते जल को सौंप दी।
वहीं सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया। श्रद्धालुओं ने डीजे पर गणपति बप्पा मोरया गाना बजाते हुए मनोरंजन किया व एक दूसरे को रंग लगाकर खुशी मनाई। मंदिर के प्रमुख सेवादार राम गोपाल गुप्ता ने बताया कि हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसलिए इस पर्व को गणेश उत्सव के रूप में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की प्रतिमा को बड़े ही धूमधाम से मन्दिर में लाया जाता है भगवान गणेश को इस समय में बहुत ही सुंदर वस्त्रों व विभिन्न रंगों से सजाया जाता है।
उन्होंने बताया कि इस समय में भगवान गणेश की विशेष पूजा अर्चना की जाती है और उन्हें मोदक और लड्डूओं का भोग लगाया जाता है। इसके बाद अगली चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का बड़े ही धूमधाम से विसर्जन करके उनसे प्रार्थना की जाती है कि वह अगले साल भी जल्दी आएं और अपने भक्तों को अपना आशीर्वाद प्रदान करें। भगवान गणेश जहां पर भी विराजते हैं वहां धन, संपत्ति, सुख और संपदा स्वयं ही चली आती है।