उझानी(बदायूं)। बेसिक शिक्षा विभाग की सरपस्ती में मान्यता न होने के बावजूद उझानी के हरविलास गोयल इंटरनेशनल स्कूल में आगामी सत्र के लिए प्रवेश प्रारंभ हो गए है। इसके लिए स्कूल प्रबंधन ने बाकयदा पोस्टर-होर्डिंग लगाना शुरू कर दिए हैं। जबकि स्कूल को अस्थाई रूप से मिली कक्षा एक से पांच तक की मान्यता समाप्त हो रही है वही विभाग ने स्कूल की जमीन पर विवाद के चलते मान्यता न देने का निर्णय लिया है।
नगर के समाज सेवी संजय मित्तल व उनकी मां विमला देवी ने हरविलास गोयल इंटर कॉलेज बनने पर हर विलास गोयल चैरिटेबल ट्रस्ट को मुख्य द्वार का रास्ता दान में दिया था। दान के समय चैरिटेबल ट्रस्ट को दान की गई भूमि की बिक्री न होने और किसी तरह का कोई निर्माण न करने की शर्त भी रखी गई थी। संजय मित्तल के मुताबिक बीते साल ट्रस्ट की ओर से नियमों को अनदेखा करते हुए कॉलेज के भवन सहित जमीन का सौदा कर दिया गया। जिसकी जानकारी मिलने पर संजय कुमार मित्तल की ओर से एडवोकेट प्रेम स्वरूप वैश्य ने वैधानिक कार्रवाई के तहत ट्रस्टी समेत कई लोगों को नोटिस दे दिए गए। दानदाता संजय कुमार मित्तल ने बताया कि ट्रस्ट को दान दी गई जमीन के अभिलेख व दान की शर्तों के अभिलेख उनके पास मौजूद हैं। ट्रस्ट की जमीन का बैनामा करने का किसी को कोई हक नहीं है।
वहीं हरविलास गोयल इंटर कॉलेज बंद हुआ तो हरविलास गोयल इंटरनेशनल स्कूल अस्तित्व में आ गया। प्रबंध तंत्र ने शिक्षा विभाग को अंधेरे में रख कर कक्षा एक से लेकर पांच तक की मान्यता अस्थाई रूप से प्राप्त कर ली। साथ ही कक्षा छह से आठ तक की मान्यता का आवेदन किया मगर इन कक्षाओं के संचालन हेतु प्रबंध तंत्र का आवेदन ही निरस्त कर दिया गया। मान्यता न होने के बाद भी स्कूल में कक्षा छह से आठ तक की कक्षाओं के संचालन की शिकायत मिलने पर एडी बेसिक शिक्षा ने बीएसए को तत्काल कक्षाओं का संचालन रोकने के निर्देश दिए साथ ही कहा कि जमीनी विवाद का निस्तारण होने तक कक्षा एक से पांच तक की भी मान्यता स्थाई या अस्थाई रूप से न प्रदान की जाए।
बेसिक शिक्षा विभाग के स्पष्ट आदेश और निर्देश के बाद भी हरविलास गोयल इंटरनेशलन स्कूल में कक्षाओं का संचालन और आगामी सत्र के लिए बच्चों का प्रवेश देने से बेसिक शिक्षा विभाग पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। अभिभावकों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि जब शिक्षा विभाग ने स्कूल को मान्यता ही नही दी है तब प्रवेश किस आधार पर लिए जा रहे हैं? क्या प्रबंधतंत्र किसी अन्य नाम से स्कूल में बच्चों को प्रवेश दे रहा है?
स्कूल में बच्चों के प्रवेश को लेकर बेसिक शिक्षा अधिकारी स्वाती भारती अंजान बनी हुई है वही खंड शिक्षाधिकारी भी स्कूल प्रबंधतंत्र पर कार्रवाई के बजाय चुप्पी साधे बैठे हैं। संजय मित्तल का आरोप है कि एक ही जमीन पर दूसरे नाम से स्कूल कैसे चल सकता है? आरोप यह भी है कि स्कूल के प्रबंध तंत्र और शिक्षाधिकारियों की मिलीभगत के चलते बच्चों को प्रवेश दिया जा रहा है जो उनके भविष्य के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।