उझानी। नगर के सीएचसी में स्वास्थ्य सेवाएं वेंटिलेटर पर नजर आ रही हैं। गर्भवती महिलाएं फर्श पर चादर बिछाकर लेटी हुई हैं। गंदगी का अम्बार लगा हुआ है। अस्पताल के सभी वार्ड फुल हैं। यहां प्रसूताएं नवजात के साथ गर्मी और उमस से भी जूझ रही हैं।
उझानी सीएचसी में प्रसव पीड़ा से जूझ रही प्रसूता अस्पताल में बेड खाली न होने की वजह से फर्श पर लेटने को मजबूर है। बारिश के मौसम में चिकित्सालय में गर्भवती महिलाओं को बेड तक मयस्सर नहीं हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार व शासन को इस बात का इल्म नहीं। हाकिम भी यह जानते हैं कि कम बेड के कारण मरीज परेशानी में हैं, लेकिन स्थिति नहीं बदली है। हालत यह कि प्रसव उपरांत एक बेड पर दो महिलाएं लेटी हुई हैं वहीं नवजात वार्ड से बाहर एक स्लिप पर लेटा हुआ है। गैलरी में लोगों का आना जाना भी लगा हुआ है।
गाँव संजरपुर की प्रियंका ने बताया कि वो आज सुबह 7 बजे अस्पताल आई हैं लेकिन अभी तक उन्हें बेड की व्यवस्था नहीं मिली है। जिसके चलते उन्हें जमीन पर ही बिस्तर लगाना पड़ा है। वहीं भवानीपुर की राजकुमारी ने कहा कि वो कल शाम अस्पताल आई थी जिसके बाद आज सुबह 7 बजे उन्हें बुलाया गया था लेकिन अभी 10 बजे तक बेड नही मिला है। यहां सस्ते सरकारी इलाज की आस में दूर-दूर से गर्भवती महिलाएं और अन्य रोगी पहुंचते हैं लेकिन इस तरह की व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा कर रही है।
यहाँ वीडियो : अस्पताल का हाल बेहाल, फर्श पर गर्भवती, खाने को भोजन नहीं
इसके अलावा गर्भवती महिलाओं के भोजन पर डाका डाला जा रहा है। जननी शिशु सुरक्षा योजना के तहत संस्थागत सामान्य प्रसव पर महिला को तीन दिन और ऑपरेशन से प्रसव पर सात दिन तक अस्पताल में संतुलित आहार देने की व्यवस्था है जिसके तहत सुबह नाश्ते में आधा लीटर दूध, दो अंडे या दो फल, दोपहर भोजन में दाल, रोटी, चावल, सलाद, सब्जी और शाम को सब्जी, रोटी या परांठा दिया जाता है लेकिन अस्पताल की ओर से गर्भवतियों को आहार नहीं मिल रहा है। वहीं मरीजों को भी शासन की तरफ से गर्भवती महिलाआें को दिए जाने वाले आहार के बारे में जानकारी नहीं है। मेहनाज ने बताया कि उन्हें कल शाम बच्चा हुआ है लेकिन अस्पताल की ओर से किसी तरह का भोजन नहीं दिया गया है। गाँव रिनुइया निवासी कन्यावती ने बताया कि उनकी बहू को कल शाम बच्चा हुआ है लेकिन न खाने में कुछ दिया गया है, न ही नाश्ते में।
गर्भवती महिलाओं के वार्ड के पीछे ही शौचालय बना हुआ है लेकिन अस्पताल का शौचालय दुरुस्त नहीं है। जहाँ गंदगी और दुर्गंध से मरीजो को सांस लेने में परेशानी हो रही है। वहीं, नवजात शिशु और गर्भवती महिलाओं के संक्रमण फैलने का खतरा भी मंडरा रहा है। चौकाने वाली बात यह है कि अस्पताल प्रशासन भी साफ-सफाई को लेकर बेपरवाह है।