लखनऊ। कोरोना के घटते मामलों के बीच स्कूल खुल गए हैं। ऐसे में बच्चे स्कूल जाने लगे लेकिन बीते दिनों यूपी के गाजियाबाद में एक स्कूल बस में चौथी कक्षा के 10 वर्षीय छात्र अनुराग भारद्वाज की मौत हो गई। अनुराग ने स्कूल की चलती बस से सिर बाहर निकाला और वह लोहे के गेट से टकरा गया। इस मामले के सामने आने के बाद प्रदेश भर में स्कूल बसों की फिटनेस पर सवाल उठ रहे हैं। अगर आपका बच्चा भी रोजाना बस से स्कूल जाता है तो आपको ये जानना बेहद जरूरी है कि स्कूल बस से जुड़े सुरक्षा के नियम क्या हैं।
स्कूल बस में किसी भी बच्चों को भेजने से पहले इससे जुड़े कुछ सुरक्षा नियम जानने बहुत ही जरूरी हैं, ताकि आप निश्चिंत होकर अपने बच्चों को स्कूल भेज सकें। वहीं, इन नियमों से बच्चों को भी अवगत कराएं। इससे आपके बच्चे सतर्क होकर स्कूल जा सकेगें। स्कूल बस में अपने बच्चों को चढाते वक्त अभिभावक को कुछ अहम बातों का ध्यान रखना चाहिए। बस खड़ी होने पर ही बच्चों को चढ़ाएं। बच्चे को हमेशा फुटपाथ पर चलने के लिए कहें, अगर ज्यादा छोटा बच्चा है तो बस स्टॉप तक आप खुद छोड़ें और लें।
अपने बच्चों को सिखाएं कि बस चलने से पहले सीट पर बैठ जाएं। साथ ही हमेशा मुंह को आगे की ओर करके बैठने के लिए कहें। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो अचानक से बस चलने की वजह से चोट लगने का खतरा रहता है। साथ ही बस में शोर नहीं करना चाहिए, इससे बस चालक का ध्यान भटकने का खतरा रहता है।
बस में हेल्पर के साथ स्कूल की ओर से एक जिम्मेदार शख्स की तैनाती करनी होती है, जिसकी बच्चों को बस में चढ़ाते और उतारते वक्त अहम जिम्मेदारी होती है। अगर यह जिम्मेदार बस में नहीं है तो अभिभावक को इसकी तत्काल शिकायत स्कूल प्रबंधन से करनी चाहिए, अगर वहां भी सुनवाई नहीं होती तो प्रशासन को इसकी जानकारी देनी चाहिए।
साथ ही बस में कैमरे के साथ साथ फर्स्ट एड बॉक्स भी होना चाहिए। स्कूल बस में जीपीएस सिस्टम होना जरूरी है, ताकि बच्चों की लोकेशन की पूरी और सही जानकारी हर मिनट मिल सके। स्कूल बस में लगा स्पीड मीटर हर छह महीने में अपडेट होना चाहिए और बस की रफ्तार बस 50 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। ड्राइवर सीट के साथ बाएं तरफ शीशा लगा होने जरूरी है। ताकि चालक बस के साथ बस के पीछे पांच मीटर की दूरी तक आते हुए वाहन देख सके। कई अभिभावक भी अपने बच्चों को डग्गामार वाहनों, ई-रिक्शा से स्कूल भेजते हैं। वहीं कुछ स्कूलों ने भी रुपयों के लालच में इस तरह के वाहनों को ठेका दिया हुआ है। ऐसे में ध्यान रहे कि आप बच्चों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी गाइडलाइन जारी की हुई हैं जिसके मुताबिक स्कूल बस पीले रंग से पेंट होनी चाहिए। साथ ही बस के आगे व पीछे ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा हो। स्कूल बस के पीछे स्कूल का नाम और फोन नंबर लिखा होना चाहिए। सभी खिड़कियों के बाहर लोहे की ग्रिल होनी चाहिए। बस में अग्निशमन यंत्र लगा हो, जिससे आग लगने की स्थिति में तत्काल कार्रवाई हो सकें। स्कूल बसों में आपात कालीन निकास होना भी अनिवार्य हैं। बच्चों केा इन दरवाजों को संचालित करने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। बस की सीटों के बीच पर्याप्त जगह होनी चाहिए। इसके आलावा चालक को कम से कम पांच साल का वाहन चलाने का अनुभव हो। ड्राइवर के पास लाइसेंस और ट्रांसपोर्ट परिमट होना चाहिए।