मुजफ्फरनगर। 2013 मुजफ्फरनगर दंगे में सभी 7 हत्यारोपियों को कोर्ट ने शुक्रवार को आजीवन कारावास एवं दो-दो लाख रुपए अर्थदंड अदा करने की सजा सुनाई। जुर्माने की राशि में से 80% मृतक सचिन और गौरव के परिजनों को मिलेगा। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने आज की तारीख सजा के लिए मुकर्रर की थी।
मुजफ्फरनगर के कवाल कांड के सात दोषियों को आज एडीजे (7) हिमांशु भटनागर की कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। मलिकपुरा के ममेरे भाई सचिन और गौरव की हत्या के मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट परिसर में भारी भीड़ रही। इस दौरान जगह जगह पुलिस बल तैनात रहा। हिमांशु भटनागर ने 27 अगस्त, 2013 को गौरव और सचिन की हत्या करने तथा दंगे के जुर्म में मुजम्मिल मुज्जसिम, फुरकान, नदीम, जांगीर, अफजल और इकबाल को दोषी करार दिया। सजा के बाद दोषियों के कोर्ट के बाहर निकलते ही परिजनों ओर रिश्तेदारों ने हंगामा और नारेबाजी की जिसके बाद पुलिस ने उन्हें कचहरी से बाहर खदेड़ दिया।
27 अगस्त 2013 को जानसठ कोतवाली के गांव कवाल में साइकिल और बाइक टकराने को लेकर झगड़ा हुआ था। शाहनवाज की मौत के बाद ममेरे भाइयों सचिन और गौरव की हत्या कर दी गई थी। सरेआम वीभत्स तरीके से मारे गए सचिन और गौरव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट दिल दहलाने वाली थी। डाक्टरों के पैनल को सचिन के शरीर पर 17 तथा गौरव के जिस्म पर 15 निर्मम हत्या के घाव मिले। गोली और धारदार हथियार का हत्यारोपियों ने कोई प्रयोग नहीं किया था, बल्कि लाठी-डंडों, सिर और मुंह को पत्थरों से कुचलने के साथ सरिये से मार-मारकर मौत के घाट उतार दिया था।
इस हत्याकांड को सांप्रदायिक रूप दिया गया और पंचायतों का दौर शुरू हो गया। गौरव के पिता रविंद्र सिंह ने 27 अगस्त, 2013 को जानसठ कोतवाली में इस दोहरे हत्याकांड की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। वहीं, मृतक शाहनवाज के पिता ने भी सचिन और गौरव के अलावा उनके परिवार के 5 सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। हालांकि स्पेशल इन्वेस्टिगेशन सेल ने जांच के बाद शाहनवाज हत्याकांड में एफआर (फाइनल रिपोर्ट) लगा दी थी। कई दिनों तक ज्ञापन और पंचायतों के बाद सात सितंबर को नंगला मंदौड़ की महापंचायत के बाद जिले में दंगा भड़क उठा था। जिसमें 60 से ज्यादा लोग मारे गए थे। 40 हजार से अधिक लोगों को दहशत के चलते पलायन करना पड़ा।
गौरतलब है कि हाल ही में यूपी सरकार ने साल 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों के 38 आपराधिक मामलों को वापस लेने की सिफारिश की थी। इन मुकदमों को वापस लेने की संस्तुति रिपोर्ट 29 जनवरी को मुजफ्फरनगर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट को भेजी गई थी। यूपी सरकार ने पिछले 10 जनवरी को इन मुकदमों को वापस लेने की स्वीकृति दी थी।