बदायूं। साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों से पूर्व समाजवादी पार्टी की अंतर्कलह थमने का नाम नही ले रही है। जहाँ समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से अलग होकर चाचा शिवपाल सिंह यादव ने अलग पार्टी बना ली है वहीं अब जिले में भी सपा के दो कद्दावर नेता अपरोक्ष तौर पर आमने सामने आ गये हैं।
सोमवार को सोत नदी के किनारे अवैध रूप से बने सपा के पूर्व विधायक आबिद रजा के बैंक्वेट हाल को प्रशासन ने ढहा दिया था। जिसके बाद से ही सपा समर्थकों के दो गुटों में टकराव की स्थिति पैदा हो गयी है। हालांकि इसमें अभी कोई प्रमुख नेता सामने नहीं आया है। आबिद रजा के बैंक्वेट हॉल टूटने से नाराज समर्थकों ने बुधवार को फिर से सपा सांसद धर्मेंद्र यादव का पुतला फूंका। शहर के कबूलपुरा मोहल्ले में युवा नेता अफसर अली खान और पुत्तन अली खान के नेतृव में सैकड़ों समर्थकों ने सपा सांसद धर्मेंद्र यादव को मुस्लिम विरोधी और भाजपा का एजेंट बताकर विरोध प्रदर्शन किया।
मुस्लिम वक्ताओं ने कहा आबिद रजा का बैंक्वेट हॉल तुड़वाने में महेश चंद्र गुप्ता से ज्यादा हाथ धर्मेन्द्र यादव का हाथ है। आबिद रजा हमारे लीडर व नेता हैं और उन्हें मुसलमान होने की सजा मिली है। आबिद रजा का नुकसान जिले के मुसलमानों का नुकसान है। इसलिए 2019 में मुसलमान धर्मेंद्र यादव से बदला लेने को तैयार हैं। धर्मेंद्र यादव भाजपा से ज्यादा मुसलमान के लिए खतरनाक साबित हुए हैं। इस बात का मुसलमानों को अफसोस है।
वहीं समर्थकों की जंग अब सोशल मीडिया से होते हुए पुलिस थाने तक भी पहुँच गयी है। फेसबुक की एक पोस्ट पर रामेश्वर यादव नाम के यूजर ने एक समुदाय के खिलाफ कमेन्ट किया है जिसके बाद सभासद आमिर अंसारी ने सदर कोतवाली में रामेश्वर यादव के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है।
हालाँकि दोनों नेताओं की जंग पहली बार नही हैं। यूपी में सपा सरकार होने के दौरान साल 2016 में आबिद रजा ने बदायूं के सांसद धर्मेंद्र यादव पर अवैध खनन और गोकशी कराने का आरोप लगाया था, जिसके बाद आबिद रजा को पार्टी से निकाल दिया गया था। लेकिन आज़म खान से करीबी के चलते न केवल आबिद रज़ा की सपा में वापसी हुई बल्कि उन्हें 2017 में बदायूं विधानसभा सीट से सपा का प्रत्याशी भी बनाया गया। वहीं पिछले माह 23 अक्टूबर को आबिद रज़ा ने मुसलमानों की समस्याओं को लेकर मशवराती काउंसिल की मीटिंग की थी, जिसमें आज़म खान सहित देशभर के करीब 100 मुस्लिम नेता शामिल हुए थे। उस मीटिंग को भी सपा की खिलाफत के रूप में देखा जा रहा है।