उझानी(बदायूं)। नगर में सोमवार को हैरान करने वाला मामला सामने आया है। दो युवकों की प्रेम कहानी शादी तक पहुँच गयी। एक युवक दूसरे युवक के घर चूहामार दवा लेकर भी पहुँच गया और उसने शादी न करने पर आत्महत्या करने की धमकी दी। इसके बाद मामला थाने पहुंचा जहाँ काफी देर तक हंगामा हुआ। पुलिस ने दोनों युवकों को समझाकर घर भेज दिया।
नगर की एक आवासीय कॉलोनी निवासी 35 वर्षीय युवक की दो साल पहले पत्नी की मौत हो चुकी है। सोमवार सुबह वह चूहामार दवा लेकर अपने दोस्त के घर पहुंचा गया। उसने अपने दोस्त की मां से कहा कि हम दोनों एक-दूसरे से प्यार करते हैं, शादी कर दो। उसकी बात सुनकर दोस्त की मां हैरान रह गई। माँ ने जब मना किया तो युवक चूहामार दवा खाने की धमकी देने लगा। शौर-शराबा सुनकर आसपास के लोग जमा हो गए और उन्होंने युवक को वहां से भगा दिया।
थाने पहुंचे दोनों युवक
इस मामले के करीबन दो घंटे बाद दोनों युवक थाने पहुँच गए। दोनों ने आपसी सहमति से थाना प्रभारी निरीक्षक मनोज कुमार सिंह को बताया कि वे शादी करना चाहते हैं और दोनों ही शादी कर पति-पत्नी के रूप में एक साथ अपना जीवन बिताना चाहते हैं। इसके बाद पुलिस ने दोनों के परिजनों को भी थाने बुला लिया। परिजनों के आ जाने पर थाने में काफी देर तक हंगामा हुआ। हालाँकि पुलिस ने दोनों पक्षों को समझाकर घर भेज दिया।
वहीं एक युवक की माँ ने उसके दोस्त के खिलाफ बेवजह आत्महत्या की धमकी देने में नामजद रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए पुलिस को तहरीर सौंप दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि उसके बेटे को बहकाया गया है। प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि समझा-बुझाकर दोनों युवकों को उनके परिजन घर ले गए हैं। वह कोई कार्रवाई नहीं चाहते हैं।
नहीं कर सकते समलैंगिक शादी
भारत में समलैंगिक शादी को क़ानूनी रूप से मान्यता नहीं है हालाँकि कई देशों में इसे मान्यता है तो कई देशों में इसे अपराध की श्रेणी में रखा गया है। भारत में समलैंगिक संबंध अपराध नहीं है, साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने ही समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने वाला फैसला सुनाया था। वहीं हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने समलैंगिक जोड़ों की शादी की मान्यता देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि इस संबंध में कानून बनाने का अधिकार संसद को है। वहीं केंद्र सरकार भी समलैंगिक शादी के खिलाफ है। सरकार का कहना है कि यह ना सिर्फ देश की सांस्कृतिक और नैतिक परंपरा के खिलाफ है, बल्कि इसे मान्यता देने से पहले 28 कानूनों के 160 प्रावधानों में बदलाव करना होगा और पर्सनल लॉ से भी छेड़छाड़ करनी होगी।