बदायूं। जम्मू कश्मीर में शहीद हुए सेना के जवान मोहित राठौर का पार्थिव शरीर रविवार सुबह उनके गांव पहुंचा। इस दौरान उनके शव आने पर अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। सेना के अफसरों की मौजूदगी में डीएम और एसएसपी ने शहीद को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। शहीद का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
इस्लामनगर क्षेत्र के गांव सभानगर निवासी मोहित राठौर का शुक्रवार देर रात कुपवाड़ा में घुसपैठियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए। शनिवार देर शाम तक उनका पार्थिव शरीर बरेली हवाई जहाज से लाया गया। जहां रविवार सुबह सेना के जवान उनका पार्थिव शरीर लेकर बदायूं पहुंचे। इससे पहले इस्लामनगर से सभानगर गांव तक लोगों की भीड़ जुट गई। शहीद के अंतिम दर्शन करने के लिए सड़क पर जगह-जगह लोग जुट गए थे। लोगों ने फूल बरसाकर शहीद को श्रद्धांजलि दी। सेना की गाड़ी शहीद के पार्थिव शरीर को लेकर गांव पहुंची तो उसके साथ काफी तादाद में लोग तिरंगा लेकर आए। पूरा माहौल जब तक सूरज चांद रहेगा, शहीद मोहित का नाम रहेगा, मोहित अमर रहे, भारत माता की जय, वंदे मातरम, पाकिस्तान मुर्दाबाद जैसे नारों से गूंज उठा।
वहीं पति का शव देखकर पत्नी रूचि बेहोश हो गई। बहनें भी बेसुध हो गईं। पिता नत्थूलाल सिंह बदहवास हो गए। परिजनों ने इन लोगों को संभाला। शहीद की अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए तमाम नेता और पुलिस प्रशासनिक अधिकारी भी गांव पहुंचे। जिलाधिकारी निधि श्रीवास्तव और पुलिस अधीक्षक डॉक्टर बृजेश कुमार सिंह भी पहुंचे। उन्होंने शहीद के परिजनों को ढांढस बंधाया। सेना से आई टुकड़ी ने शोक शस्त्र की रस्म अदा की और शहीद को सलामी दी। पिता नत्थू सिंह ने कंपकंपाते हाथों से सलामी देने के बाद मुखाग्नि दी।
इकलौता बेटा था मोहित
सवानगर गांव निवासी नत्थू सिंह का इकलौता बेटा मोहित राठौर तीन बहनों का लडला था। बचपन से ही सेना में जाने का जज्बा रहा और 2017 में जैसलमेर यूनिट में भर्ती हुआ। कुछ समय पहले ही जम्मू-कश्मीर में मोहित की पोस्टिंग हुई थी। शनिवार को मच्छल सेक्टर में आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ में वो लोहा लेते शहीद हो गया। डेढ़ वर्ष पहले ही रूचि के साथ मोहित की शादी हुई थी।