लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अपनी ही 84 वर्षीया मालकिन को नोचकर मार डालने वाले पिटबुल कुत्ते आज गुरुवार को सरकारी पिंजरे से आजाद कर दिया गया है। काफी दिनों तक चली जद्दोजहद के बाद पिटबुल के उसके मालिक अमित त्रिपाठी को सौंप दिया गया है हालांकि पिटबुल अमित के साथ नहीं रहेगा बल्कि उनकी पसंद के दूसरे शख्स के पास यह कुत्ता दिया जाएगा।
कैसरबाग बंगाली टोना निवासी अमित के पालतू पिटबुल कुत्ते ने 12 जुलाई को काटकर उनकी मां को मार डाला था। इसके बाद 14 जुलाई को नगर निगम की टीम पिटवुल को पकड़कर एनीमल बर्थ कन्ट्रोल सेन्टर इन्दिरानगर ले आई थी। तब से पिटबुल नगर निगम के अस्तपाल में था। करीब 14 दिन बाद मंगलवार को पिटबुल के मालिक अमित ने नगर निगम से सम्पर्क साधा। वह नगर आयुक्त से मिलने उनके कार्यालय पहुंचा। उसने नगर आयुक्त से कुत्ता वापस दिलाने की मांग की।
जिसके बाद नगर आयुक्त ने उसे संयुक्त निदेशक पशु कल्याण डॉ. अरविन्द राव के पास भेज दिया। अरविन्द राव से उसकी काफी देर बात हुई क्योंकि अमित को कुत्ता देने पर मोहल्ले के लोग आपत्ति कर रहे हैं। इसके चलते डॉ. अरविन्द राव ने उसे कुत्ता देने से मनाकर दिया। उन्होंने उसकी संस्तुति पर उसके किसी रिश्तेदार या अन्य परिचित को कुत्ता देने की बात कही। हालांकि वह इस पर तैयार हो गया और अपने एक परिचित को कुत्ता देने को कहा है।
डॉ. अरविन्द राव को बताया कि जब से पिटबुल उसके पास से गया है वह बेचैन रहता है। क्योंकि वह उसे काफी प्रिय था। इसीलिए उसने बार बार डॉ. अरविन्द व अभिनव से उसे देने का अनुरोध कर रहा था। उसने अधिकारियों को बताया कि पिटवुल खतरनाक नहीं है। वह बहुत प्रेम से रहता था। उसने पहले किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया था। एक हादसा था जो हो गया। वहीं नगर निगम के अधिकारियों ने कहा कि 14 दिनों की निगरानी के दौरान पिटबुल का व्यवहार सामान्य रहा है।
वहीं आज गुरुवार को अमित शपथ पत्र लेकर पहुँचा। नगर निगम ने सारी विधिक प्रक्रिया पूरी करने और डॉक्युमेंटेशन के बाद पिटबुल ब्राउनी को अमित को सौंप दिया। अमित ने अपने इस प्यारे पेट डॉग को एक नजदीकी संबंधी के हवाले कर देगा हालांकि अमित ने उस संबंधी की पहचान को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया है।
अमित अपने साथ रखना चाहता था पिटबुल
पिटबुल के हमले में जान गंवाने वाली सुशीला का बेटा अमित त्रिपाठी खुद ही उसे घर लाना चाहता था लेकिन पड़ोसियों की सहमति नहीं मिल पाने की वजह से नगर निगम ने पिटबुल को अमित को देने से मना कर दिया था। नगर निगम का कहना था कि पड़ोसियों के ह्यूमन राइट्स का ख्याल रखा गया है।
इससे पहले पिटबुल के मालिक अमित ने कहा था कि अगर मोहल्ले के लोग और नगर निगम परमिशन देगा तो वह खुद डॉग को वापस रख लेंगे। अमित का मानना है कि किन परिस्थितियों में मौत हुई है? वह अलग है, अगर मोहल्ला और नगर निगम मान जाएगा तो वह खुद रख लेंगे नहीं तो वे किसी को अडॉप्ट करवा देंगे।
बीती 12 जुलाई की घटना के बाद अमित त्रिपाठी ने शुरुआत में कहा था कि वो अपने पिटबुल को देखना भी नहीं चाहते। उन्होंने खुद कुत्ते को नगर निगम के हवाले कर दिया था लेकिन बाद में उनका मन बदला। अमित ने कई बार नगर निगम के चक्कर काटे। इस बीच कई दूसरे डॉग लवर्स और एनजीओ की तरफ से इस पिटबुल को रखने की पेशकश की गई।