लखनऊ। यूपी में होर्डिंग विवाद में योगी सरकार अपने कदम पीछे हटाने को तैयार नहीं है, अब योगी आदित्यनाथ सरकार ने नया कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश रिकवरी पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपटी अध्यादेश पारित किया गया है।
योगी सरकार ने शुक्रवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में उत्तर प्रदेश पब्लिक प्राइवेट प्रॉपर्टी एंड रिकवरी अध्यादेश पारित किया है। इस अध्यादेश के तहत किसी भी आंदोलन व धरना प्रदर्शन में सरकारी या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर उसकी क्षतिपूर्ति की व्यवस्था इसी अध्यादेश के तहत की जाएगी। माना जा रहा है कि अध्यादेश में नुकसान की वसूली के साथ ही सज़ा आदि का प्रावधान भी होगा।
क्या है मामला
सीएए के विरोध में 20 दिसंबर को हुई हिंसा के दौरान बड़े पैमाने पर आगजनी की गई थी। करोड़ों की सार्वजनिक व निजी संपत्ति को दंगाइयों ने नुकसान पहुंचाया था। प्रदेश सरकार ने इसे लेकर वसूली की प्रक्रिया शुरू की है। सरकार की ओर से आरोपियों को नोटिस भी भेजे गए लेकिन वसूली में कुछ विधिक दिक्कतें आ रही थीं। इस मद्देनज़र सरकार ने दंगे के दौरान हिंसा के आरोपियों के होर्डिंग भी लगाए थे जिसे लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपत्ति जताते हुए पोस्टर हटाने के आदेश दिए थे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए रविवार को छुट्टी के दिन इस मामले में संबंधित अधिकारियों को तलब कर लिया। यूपी सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए होर्डिंग लगाने को जायज ठहराया था। कोर्ट सरकार के तर्क और रुख़ से संतुष्ट नहीं हुई और राज्य सरकार को होर्डिंग हटाकर 16 मार्च तक रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। इसके बाद भी यूपी सरकार ने होर्डिंग नहीं हटाये और सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया।
सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत
यूपी सरकार की हाईकोर्ट को चुनौती देने की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का आदेश नहीं दिया। सुप्रीम कोर्ट में 2 जजों की पीठ ने इस मामले को 3 जजों की बेंच को ट्रांसफर कर दिया।