लखनऊ। यूपी जेल विभाग ने दूसरी लहर के दौरान कोविड संक्रमण के मद्देनजर राज्य की जेलों में भीड़भाड़ को कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुपालन में विचाराधीन कैदियों और दोषियों को जमानत और पैरोल पर रिहा करना शुरू कर दिया है लेकिन 21 कैदियों ने जेल के अंदर सुरक्षित महसूस करने के कारण पैरोल लेने से इनकार कर दिया है।
कोर्ट के आदेश पर कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए सरकार ने 2020 में सैकड़ों बंदियों को पैरोल पर छोड़ा था, जिनमें से कुछ बंदी समय सीमा समाप्त होने के बाद भी जेल नहीं लौटे थे। वहीं, 2021 में भी कोरोना संक्रमण के चलते सरकार ने जेलों में बंद बंदियों की संख्या कम करने के लिए 60 दिन की विशेष पैरोल देने का फैसला लिया था। इसमें उन बंदियों को शामिल किया गया, जिनकी सजा सात सल तक है और 65 वर्ष से अधिक उम्र के दोषसिद्ध बंदी हैं। वही उत्तर प्रदेश की विभिन्न जेलों में बंद लगभग 21 कैदियों ने जेल के अंदर सुरक्षित महसूस करने के कारण पैरोल लेने से इनकार कर दिया है। यूपी डीजी जेल, आनंद कुमार ने संवाददाताओं से कहा कि राज्य की नौ जेलों में 21 दोषियों ने अपने जिलों में कोविड के डर का हवाला देते हुए पैरोल से इनकार कर दिया है और कहा है कि राज्य की जेलों में उनके साथ बेहतर व्यवहार किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि, कैदियों का कहना है कि जेलों में नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच की जाती है। उन्हें समय पर भोजन मिलता है, वे जेलों में सुरक्षित और स्वस्थ हैं। कैदियों का कहना है कि जेल से बाहर आने के बाद उन्हें रोजी-रोटी कमाने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा।
यूपी की जेलों ने अब तक 10,123 ट्रायल के तहत और दोषियों को सुप्रीम कोर्ट के निदेर्शों के तहत जमानत और पैरोल पर रिहा किया है। इनमे 8,463 विचाराधीन कैदियों को अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया, जबकि 1,660 दोषियों को 60 दिनों की पैरोल दी गई। सबसे ज्यादा 703 विचाराधीन कैदी गाजियाबाद जिला जेल से जमानत पर रिहा हुए हैं, जबकि सबसे ज्यादा कैदियों (78) को कानपुर जिला जेल से पैरोल दी गई है।