बदायूं। जनपद में कोरोना संक्रमण प्रतिदिन बढ़ रहा है। लोगों की सांसें उखड़ रही हैं वहीं सांसों की मानीटरिंग करने वाले उपकरण पल्स ऑक्सीमीटर की भी मांग बढ़ गयी है। जिसका फायदा उठाकर कुछ लोगों ने कालाबाजारी शुरू कर दी है। मेडिकल स्टोर द्वारा ग्राहकों को 3000 रुपये तक ऑक्सीमीटर की बिक्री की जा रही है। मनमाने दाम वसूलने के बाद इसकी रसीद भी नहीं दी जाती है और न ही पल्स ऑक्सीमीटर पर लिखित में कोई दाम तय हैं।
कोरोना मरीजों के उपचार में शरीर में ऑक्सीजन का स्तर मापने पल्स ऑक्सीमीटर चिकित्सा में सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में से एक है। अंगुली के ऊपरी हिस्से (फिंगरटिप) पर लगाने के बाद यह रक्त में ऑक्सीजन का स्तर बताता है और इस तरह पता चलता है कि मरीज़ को तत्काल चिकित्सकीय देखभाल की जरूरत है या नहीं। जनपद में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रही है जिसकी वजह से पल्स ऑक्सीमीटर की मांग भी बढ़ गयी है लेकिन इसके साथ ही इसकी कालाबाजारी शुरू हो गई है। जिस वजह होम आइसोलेट संक्रमित परिवारों के लिए कोरोना से लड़ाई और कठिन हो गई है। आज से 20 दिन पहले तक 500 से 700 रुपये में मिलने वाला ऑक्सीमीटर 2200 से लेकर 3000 रुपये में मिल रहा है।
कस्बा उझानी में गौतमपुरी निवासी बीएसएनएल कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव हैं, पिछले दिनों उनके भाई की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है। उन्होंने जब ऑक्सीमीटर खरीदने के लिए मेडिकल स्टोर का रुख किया तो एक स्टोर से 2700 रुपए में खरीदा। वहीं किलाखेड़ा मोहल्ला निवासी एक व्यापारी ने 20 दिन पहले मात्र 600 रुपए का ऑक्सीमीटर खरीदा था। दो दिन पहले उसावां के एक पत्रकार की माताजी की तबियत खराब हुई तो उन्हें जिला अस्पताल भर्ती करवाया गया। शहर में मेडिकल स्टोर में ऑक्सीमीटर के दाम 2200 रूपये बताए गए।
ऑक्सीमीटर के बढ़ते दामों पर कोई निगरानी या कार्रवाई न होने से कीमतों में मनमानी चल रही है। हालाँकि कोरोनाकाल में औषधि विभाग ने जीवन रक्षक दवाओं के साथ ही पल्स आक्समीटर, थर्मामीटर व अन्य सर्जिकल आइटमों कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई करने और दवा विक्रेता का लाइसेंस भी निरस्त करने की चेतावनी पहले ही जारी कर दी है।