उझानी। क्षेत्र के गाँव में बरसात के बाद मुख्य मार्ग तालाब बन जाता है। ग्रामीणों हर साल इस गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं लेकिन जनप्रतिनिधि और प्रशासन मौन है। इस समस्या की वजह से ग्रामीणों के रोजमर्रा के कार्यों पर असर तो पड़ता ही है, उनकी रोजी रोटी पर भी संकट आ जाता है।
उझानी ब्लॉक के धौरेरा गाँव में करीबन एक हजार की आबादी निवास करती है। गाँव से निकट आगरा-बदायूं हाईवे से जुड़ने का आवागमन का कच्चा मार्ग हल्की सी बरसात में कीचड़ में तब्दील में हो जाता है। लेकिन लगातार बारिश के बाद यहाँ तालाब बन जाता है। यह मार्ग धौरेरा, अमीरगंज, ननाखेड़ा गाँवो को आपस में जोड़ता है। दरअसल इसी मार्ग से भैंसोर नदी गुजरती है जो सामान्य दिनों में सूखी रहती है लेकिन लगातार दो दिन से हो रही बारिश से भैंसोर नदी उफान पर है।
सोमवार से हो रही बारिश की वजह से गांव से आने-जाने का मार्ग पूरी तरह बंद हो गया। बारिश की वजह से ग्रामीण घरों में कैद होने को विवश हो गए हैं। मेहनत मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण करने वाले लोग भी बाहर नहीं निकलना मुश्किल है। ननाखेड़ा गाँव में रविवार और बुधवार को बाजार लगता है जिसमे धौरेरा ग्रामवासी खरीदारी और व्यापार करने जाते हैं लेकिन रास्ता बंद होने के बाद रोजी-रोटी पर संकट की स्थिति है।
गाँव के रामप्रकाश पड़ोसी गाँव ननाखेड़ा के बाजार में चांट-पकौड़ी बेच अपनी रोजी रोटी चलाते हैं लेकिन ननाखेड़ा पहुँचने का मार्ग जलमग्न होने की वजह से उन्हें रास्ता पार करने में ही एक घंटे से ज्यादा का वक्त वक्त लग जाता है। 65 वर्षीय रामप्रकाश ठेली से सामान उठा सिर पर लाद पानी से गुजरते हुए दूसरी ओर पहुंचाते है, इसके बाद ठेली को रास्ता पार करवाया जाता है। फास्टफूड का काम करने वाले रामप्रकाश के बेटे अनार पाल, देवेन्द्र की स्थिति कुछ ऐसी है।
रामप्रकाश की पत्नी ओमवती कहती हैं कि ननाखेड़ा में दो दिन बाजार लगता है, अब अगर पानी की वजह से कमाना बंद कर दें तो अगले दिन घर में चूल्हा जलाना मुश्किल हो जाएगा। गाँव के जयसिंह राठौर, कैलाशचन्द्र कपड़ा फेरी का काम करते हैं, उनका कहना है कि सावन माह में रास्ता बंद होने की वजह से रोजी रोटी के लिए दूर गाँवों में जाना पड़ता है। इनके अलावा गाँव में ऐसे कई परिवार हैं जिनके घरों में चूल्हा हर दिन की मजदूरी से जलता है, इन तमाम लोगों को पानी में गर्दन तक डूबते हुए आना जाना पड़ता है।
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गाँव के राजेश राठौर पिछले 19 वर्षों से अमीरगंज के प्राथमिक स्कूल में पढाते हैं। बरसात के दिनों में हर साल भारी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। पानी से गुजरते हुए स्कूल पहुँचने के लिए राजेश राठौर घर से दो जोड़ी कपड़े लेकर निकलते हैं। राजेश बताते हैं कि पिछले 19 वर्षों से ऐसा ही चल रहा है, कोई सुध लेने को तैयार नही। राजेश के घर से स्कूल की दूरी करीबन 1 किमी. है वहीं बरसात का पानी बढ़ने के बाद रास्ता पुरी तरह बंद हो जाता है जिसकी वजह से उन्हें मजबूरन 18 किमी. घूमकर स्कूल जाना पड़ता है। वहीं अमीरगंज, ननाखेड़ा गाँवों से कई बच्चे धौरेरा के स्कूल में पढ़ने आते हैं लेकिन बरसात के महीने में उनकी पढ़ाई बंद हो जाती है। आपातकालीन स्थिति में हाईवे पर पहुँचने के लिए लोगों को पानी से गुजरते हुए रास्ता पार करना पड़ता है। वरना रायपुर होते हुए लम्बा सफर तय करते हैं।
आवागमन की समस्या भुगत रहे ग्रामीणों का कहना है कि कच्चे रास्ते पर पुल बनवाने के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक अफसरों के दरवाजे खटखटाए हैं, लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा है। गाँव के रूकुम सिंह के मुताबिक उन्होंने इस सम्बन्ध में पीएमओ को लिखा था लेकिन अभी तक प्रशासन सुध लेने को तैयार नही हैं। रूकुम सिंह राठौर की शिकायत के मुताबिक इस विषय को मुख्यमंत्री कार्यालय से जिलाधिकारी ऑफिस को भेजा गया जहाँ से इसे लोकनिर्माण विभाग में बढ़ा दिया गया लेकिन कुछ ही दिन बाद लोकनिर्माण विभाग ने फोन कर कह दिया कि गाँव में पुल बनबाने का काम उनके क्षेत्र में नही हैं। आवागमन ठप होने से बीमारी या महिलाओं के प्रसव में कम समय में हाईवे तक पहुंचना भी नामुमकिन है।